दिल्ली। किसी भी फोन कॉल के पहले सुनाई देने वाली कोरोना अलर्ट टोन अब लोगों को रास नहीं आ रही। उनके अलग अलग तर्क हैं, और मसला एक ही है, की कैसे भी सही लेकिन फोन के पहले बजने वाली टोन, मास्क है, जरूरी इसे बन्द कर दिया जाए। हालांकि कोरोना अभी भी बना हुआ है। मरीज सामने आ रहे हैं। तो लोगों को मास्क लगाने, दूरी रखने जैसी बात से तो परहेज नहीं लेकिन फोन के पहले लंबी टोन लोगों को रास नहीं आ रही। यहां तक कि लोग अब इसे बन्द कराने अमिताभ का नाम लिए बगैर लोगों को एक जुट करने में लग गए हैं। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से तक अपील कर डाली है।
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इस तरह दे रहे तर्क
इंजीनियर पीके सक्सेना ने एक मुहिम को आगे बढाते हुए निम्न तर्क दिए हैं। वे लिखते हैं कि
किसी इमरजेंसी सिचुऐसन में फोन काल करने पर फोन पर विज्ञापन सुनने से ज्यादा बात होना कितना जरुरी है देखें -
1. एक अकेली लड़की अपराधियों के चंगुल में फंसी उसे 5 सेकण्ड का वक्त फोन करने मिला, लेकिन वो फोन नहीं कर पाई वो सिर्फ विज्ञापन ही सुन पाई!
2. कोई इंसान आपकी पहचान वाला बाइक से अपने परिवार के साथ कहीं जा रहा है, और आपकी नजर पड़ जाती है कि पीछे बैठी महिला का दुपट्टा बाइक के पहिये में फंसने ही वाला है, आपने आगाह करने के लिये फोन किया, लेकिन फोन पर विज्ञापन ही बजता रहा, और जब फोन लगा तब तक देर हो गई !
3. एक अपराधी किसी के घर के सदस्यों को घायल करके बच्चे का अपहरण करके भाग रहा है, पड़ोसी ने मदद के लिये फोन किया, फोन नहीं लगा, फोन पर विज्ञापन ही चलता रहा, इतने में अपराधी फरार हो गया !
4. एक डंपर का पीछे का डाला अपने आप उठने लगा, पीछे पीछे गाड़ी मालिक था, मालिक ने ड्राइवर को फोन किया फोन नहीं लगा, विज्ञापन ही चलता रहा, परिणाम ये हुआ कि डंपर का डाला पूरी तरह ऊपर उठ गया और हाईटेंशन लाइन से टकरा गया और बड़ी दुर्घटना हो गई !
ऐसी एक हजार सिचुऐसन हैं जब जीवन बचाने के लिये जो विज्ञापन चलाया जा रहा है वो कैसे जानलेवा साबित हो रहा है, इसलिए इसे बन्द करना चाहिये। सक्सेना ने कहा कि आपको उचित लगे तो कृपया फोन काल से पहले के विज्ञापन हटवाने के लिये मुहिम को व्यापक बनाऐं!
इसके अलावा कई अन्य लोग भी चाहते हैं कि फोन पर बिना रुकावट सीधे बातचीत ही हो।

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