जीवन एक रेल है कभी पेसिंजर कभी मेल है
बामौरकलां। श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पीपल चौक में अल्प समय के लिये क्षेत्रों की वंदना करने निकली समाधि सम्राट आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज की सुयोग्य शिष्या आर्यिका अर्षमती माता जी ससंघ बामौरकलां आई हुई हैं। इस अवसर का लाभ लेने बामौरकलां की जैन समाज के निवेदन पर प्रवचनों, गुरु भक्ती के साथ आचार्य मानतुंगाचार्य क्रत भक्तामर महा मंडल की रचना कर श्री फल और दीपकों के साथ प्रत्येक काव्य का महत्व समझा कर संगीत मय विधान किया गया। जिसमें पुरुष वर्ग श्वैत वस्त्र व महिला वर्ग द्वारा टेनरियां साड़ी पहनें थी। साथ ही युवा वर्ग के भाई बहनों ने भी भाग लिया। आर्यिका मां ने इस विधान का महत्व बताते हुए कहा कि यह आपरेशन थियेटर वाला विधान है। श्रद्धा भाव से करने व सुनने से केंसर, अटैक, ब्रेन हैमरेज, ब्लड प्रेशर, सुगर व माइग्रेन जैसी बीमारियां दूर हो जाती है। लेकिन संकल्प और अनुशासन से करें।यह अष्ट कर्मों को नाश करता है तथा शक्तियां आतीं हैं, सिद्ध, बाधाएं दूर हो जाती है। इस अवसर पर विधान में सम्मिलित हुए भक्तों ने अनेकों प्रकार के संकल्प लिए। उन्होंने कहा कि आप सभी इस प्रकार का कोई कार्य न करें जिससे समाज की अप्रभावना हो, उनसे बचें जिससे भी आपकी प्रभावना है। इस अवसर पर ब्रह्मचारिणी विनोद दीदी, सुषमा दीदी, बवीता दीदी विशेष रूप से मौजूद रहीं।

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