क्रान्ति ज्योति सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन हेतु जागरुकता कार्यक्रम आयोजित
सावित्रीबाई फुले लड़कियों को शिक्षा दिलाने के लिए समाज की परवाह न किए बगैर अपने संघर्ष में लगी रहीं और सफलता को हासिल किया:- रवि गोयल , शक्तिशाली महिला संगठन शिवपुरी
शिवपुरी। भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की आज 124 वीं पुण्यतिथि है। सावित्रीबाई फुले ने समाज में महिलाओं के अधिकार के अलावा कन्या शिशु हत्याओं को रोकने के अभियान चलाया और उन्होंने नवजात कन्या शिशु के लिए आश्रम तक खोला था।
भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले ने समाज महिलाओं के अधिकार के अलावा कन्या शिशु हत्याओं को रोकने के अभियान चलाया और उन्होंने
नवजात कन्या शिशु के लिए आश्रम तक खोला था। इतना ही नहीं उन्होंने शिक्षा ग्रहण करके ना सिर्फ समाज की कुरीतियों को हरायाए बल्कि देश की लड़कियों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोलना का कार्य किया था। सावित्रीबाई फुले लड़कियों को शिक्षा दिलाने के लिए समाज की परवाह न किए बगैर अपने संघर्ष में लगी रहीं और सफलता को हासिल किया। सावित्रीबाई फुले ने आज तकरीबन 150 वर्ष पहले महिलाओं को भी पुरुषों की तरह ही सामान अधिकार दिलाने की बात की थी। देश के कई जगाहों पर सावित्रीबाई फुले की 124 वी पुण्यतिथि पर शक्तिशाली महिला संगठन के द्वारा बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन हेतु जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन लक्ष्मी बाई शासकीय कन्या उ0मा0 विधालय कोर्ट रोड़ शिवपुरी में किया। कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि देश की पहली महिला शिक्षिका और समाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव गांव में हुआ था। सावित्रीबाई फुले के पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने शिक्षा ग्रहण करके ना सिर्फ समाज की कुरीतियों को हराया, बल्कि देश की लड़कियों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोलना भी कार्य किया था। सावित्रीबाई फुले के पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले समाजित कार्यकर्ता थे। इन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर 19वीं सदी में लड़कियों , स्त्रियों के अधिकारों, शिक्षा, छुआछूत, सतीप्रथा,बाल.विवाह तथा विधवा.विवाह जैसी कुरीतियां और समाज में फैले अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष किया था। आज विधालय में आयोजित प्रोग्राम में सर्वप्रथम विधालय के प्राचार्य डी0एन0टेड़िया ने सर्वप्रथम अपने विधालय की छात्राओं से सावित्री बाई के विषय में प्रश्न किया तो एक भी छात्रा उनके विषय में नही बोल पायी फिर उन्होने कहा कि आप आज शिक्षा ग्रहण कर रही हो उसका श्रेय सावित्री बाई फुले को जाता है जिन्होने सवसे पहले देश में बालिका शिक्षा की अलख जगाई एवं बालिका शिक्षा को बढ़ावा दिया आज हर क्षेत्र में बालिकाए देश का नाम रोशन कर रही है आप सभी छात्राए भी अपना लक्ष्य बनाओं एवं पूरी मेहनत एवं लगन से लक्ष्य प्राप्ति तक बहुत मेहनत करों जब तक कि आपको सफलता नही मिल जाती । आज बुहत खुशी की बात है कि शक्त्तिशाली महिला संगठन ने सावित्री फुले की पुण्यतिथि पर छात्राओं को जागरुक किया एवं सेनेटरी नेप्किन का निशुल्क वितरण किया। कार्यक्रम में रवि गोयल ने अपने उदबोधन में कहा कि क्रान्ति ज्योति सावित्रीबाई फुले ने हमारे देश भारत के पहले कन्या विद्यालय में पहली महिला शिक्षिका थीं। सावित्रीबाई फुले ने साल 1852 में अछूत बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की भी स्थापना की थी।
जिस समय सावित्रीबाई फुले का विवाह हुआ उस समय उनकी कोई स्कूली शिक्षा नहीं हुई थी। लेकिन शादी के बाद समय मिलने पर उनके पति ज्योतिबा फुले उन्हें पढ़ाया करते थे। जब सावित्रीबाई फुले के पिता को यह मालूम हुआ कि सावित्रीबाई के पति उसे पढ़ाते हैं तो उन्होंने रूढ़िवादीता और समाज के डर से ज्योतिबा फुले को घर से निकाल दिया। इसके बाबजूद उनके पति ने उन्हें पढ़ाना जारी रखा। इसके बाद ज्योतिबा फुले ने सावित्रीबाई फुले का एडमिशन एक प्रशिक्षण विद्यालय में कराया। लेकिन समाज के विराध का सामने करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद अन्य महिलाओं शिक्षित करने करने के लिए प्रयास में जुट गई। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए अपने पति के साथ मिलकर साल 1848 में पुणे में बालिका विद्यालय की स्थापना की थी। इस विद्यालय में उस समय केवल नौ लड़कियों ने एडमिशन लिया था और सावित्रीबाई फुले इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका बनीं थी। सावित्रीबाई फुले का 10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण निधन हो गया था। सावित्रीबाई फुले प्लेग महामारी में प्लेग के मरीजो की सेवा करती थीं इसी दौरान छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया था। जिस कारण उनका निधन हो गया ऐसी आदर्श समाज सेविका , पहली महिला शिक्षक एवं मानवता की सेवा में अपना जीवन न्यौछावर करने वाली क्रान्तिज्योति सावित्री बाई फुले की हम पुण्यतिथि पर उनको याद किया नमन किया एवं जो बालिका शिक्षा के प्रोत्साहन का बीज बोया वह वृक्ष बन चुका है हम सबको मिलकर जहा जैसे भी हो बालिका शिक्षा के लिए आगे आना चाहिए एवं समाज को जागरुक करना चाहिए। कार्यक्रम में छात्राओं में पायल राठौर, ललिता कुश्वाह, आफरीन खान, रोशनी राठौर ने विषय से संबधित प्रश्न किये जिनका कि उत्तर विधालय के प्राचार्य के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में विधालय के प्राचार्य डी.एन.टेड़िया , शक्तिशाली महिला संगठन के संयोजक रवि गोयल, पूजा कोर्डिनेटर, विधालय के शिक्षक,न्यूट्रीशन चैम्पियन्स रिमझिम नामदेव, राधा शर्मा, प्रिया राठौर, रितु शर्मा, वर्षा कुश्वाह एवं एक सैकड़ा छात्राओं ने कार्यक्रम में भागीदारी की ।

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