कलक्टर अक्षय की अलख का असर, नगर के जागरूक लोगों आपको दिल से सलाम
शिवपुरी। जिले में हवा से ऑक्सीजन बनाने वाले कॉन्सेंट्रेटर मशीन की स्थापना की तरफ कदम बढ़ गए हैं। हालांकि अभी संख्या कम है कई अन्य लोगों को आगे आना होगा। यह मशीन हवा से ऑक्सीजन तैयार करती है। मरीज को कहीं भी किसी भी आपातकालीन स्थिति में इस मशीन से ऑक्सीजन दी जा सकेगी। इसका यह भी फायदा होगा कि लोगों को ऑक्सीजन के भारी भरकम सिलिंडर उठाने से भी छुटकारा मिल सकेगा। कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए कलक्टर अक्षय सिंह ने यह विचार रखा जिसे सबसे पहले समाजसेवी समीर गांधी ने हाथों हाथ लिया और एक मशीन देने का एलान कर दिया। यह आधुनिक मशीन बिजली से चलती है और हवा से ऑक्सीजन तैयार करती है। अभी समीर आगे आये ही थे कि कलक्टर की पहल पर प्रेम स्वीट के राजू जैन ने एक मशीन देने का एलान किया। यही क्रम आगे बढ़ा तो सब्जी मंडी एकता एवम विकास कल्याण समिति की तरफ से मोहम्मद इरशाद राइन आगे आ गए। किसी भी निर्णय में बढ़ चढ़कर इरशाद ने लोगों का दिल जीता है। रात की इस मुहिम को सुबह होते ही फिर पँख लगे। जब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से सुरिंदर बॉबी एवम रविन्द्र बतरा ने एक मशीन देने की घोषणा की। बड़ी बात यह है कि खुद कलक्टर अक्षय कुमार, एसपी राजेश चन्देल खुद की तरफ से भी यह मशीन लगवाएंगे। यह क्रम अभी थमा नहीं है बल्कि हेमंत ओझा, गगन अरोरा जैसी हस्ती इस मशीन को देने की कतार में हैं।
निजी अस्पताल हर हाल में लगाये मशीन
कलक्टर अक्षय सिंह ने नगर के सभी निजी अस्पताल को तत्काल यह ऑक्सीजन मशीन लगाने कहा है। उनका कहना है कि सभी तत्काल इस दिशा में कदम उठाएं और जिला प्रशासन को अवगत कराएं। कलक्टर सर वैसे इन सभी से एक एक मशीन सरकारी अस्पताल के लिए दान में लेनी चाहिये।
जितनी तारीफ उतनी कम
मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की सीधी निगरानी में लड़ी जा रही कोरोना से जंग में जिला प्रशासन ही नहीं बल्कि पुलिस प्रशासन पीछे नहीं है। इस बीच ऑक्सीजन के ठोस इंतजाम की तरफ बढ़ाये जा रहे यह कदम मील का पथर साबित होंगे। जो सालों तक लोगों की जान की हिफाजत कर सकेंगे।
जरा सोचिये
घर के एसी, कूलर काम नहीं आये जब ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। नगर के कुछ सेठ जब रात को सांस अटकीं तो भागकर जिला अस्पताल गए। रात भर ऑक्सीजन लेकर सुबह घर लौटे हैं। उन्हें खुद संमझ आ जायेगा कि हम क्या कह रहे हैं। इसलिये खुदा ने दौलत दी है तो जीते जी पुण्याई कर लीजिये। सिखिये समीर गांधी जैसे लोगों से जिन्हें उनके पिता इंद्रप्रकाश गांधी से समाजसेवा का फन विरासत में मिला। उन्होंने पिता के कदमों पर चलकर आज एक मिसाल कायम कर दी है। इधर प्रेम स्वीट राजू जैन की बात भी निराली है। जमीन से आसमान को छुआ लेकिन इंसानी जज्बात की कद्र करना नहीं भूले। लोग सिर्फ बात करते हैं वे कर गुजरते हैं। उनके भाई राकेश को भी इसी तरह की शक्ति भगवान ने दी है। मेरा किसी से पर्सनल कोई लेना देना नहीं लेकिन जब खुदा ने दिया है तो जनहित, परहित के लिये दिल खोलकर खर्च कर डालिये। क्योंकि जिंदगी न मिलेगी दोबारा।

Bahut paawan karya
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