शिवपुरी। नगर के जानेमाने प्रोपर्टी ब्रोकर राजेन्द्र गुप्ता का कहना है। कोरोना ने हमें पुरानी पद्धति, योग आदि पर लौटने का संदेश दिया है। सुबह जल्द उठकर योग, जल अर्पण, गायत्री मंत्र के जप से हर मुश्किल आसान हो सकती है। उन्होंने कहा कि मानव देह ही ऑक्सीजन प्लांट है।अभी समस्त जनमानस वैश्विक महामारी के अत्यंत कष्ट दायक दौर से गुजर रहा है इस स्थिति के लिए भौतिक संसाधनों के आकर्षण में भारतीय जीवनशैली से दूर होना प्रमुख कारण है सर्वप्रथम मनुष्य को ब्रह्म मुहूर्त में जागने की महत्ता बढ़ाने के लिए कहा गया है। 'जो सोवत है सो खोवत है जो जागत है सो पावत है इस लोकोक्ति में सो शब्द का अर्थ सौ से लिया जाना चाहिए यानी सौ प्रतिशत खोना या पाना ही इसका मतलब है। प्रातकाल सूर्य को जल अर्पण, गायत्री मंत्र के जप का मतलब ही था कि ईश्वरीय कृपा प्राप्त करना। ईश्वरीय कृपा का अर्थ सिर्फ पद, प्रतिष्ठा या पैसा ही नहीं बल्कि शरीर और मन को आहत करने वाली शक्तियों से मुकाबला करने का सामर्थ्य पैदा करना है। इसकी कमी से ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। अगस्त्य ऋषि पर भी शत्रु रुपी आतापी नामक दैत्य यानी (वायरस) ने हमला किया था ऋषि की हत्या के लिए इसी के त्याग के लिए खाद्य पदार्थ में छुपकर पेट में चला गया, पेट में जाते ही ऋषि समझ गए और फिर योग शक्ति से उसे पेट में ही मारना शुरू किया। आतापि नामक दैत्य चिल्लाने लगा कि माफ करिए ऋषि मुझे प्राणदान दीजिए। इस कथा का आशय है कि प्राणशक्ति मजबूत करने के लिए योग जरूर करना चाहिए तथा हर किसी को इसके लिए समय निकालना चाहिए। योग का मतलब ही शरीर का प्राणवायु (ऑक्सीजन) के साथ संयोग बैठाना है। शरीर में ही यदि ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की जाए तो बाहर से ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। ऐसी स्थिति में महामारी के वीभत्स रूप को देखते हुए अब समय आ गया है कि हम अपने ऋषियों जीने की जो कला बताई गई थी उस ओर तत्काल लौटे। देर रात जागने और सुबह देर तक सोने की आदतों को बदलना होगा।श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण के आहार विहार के उपदेशों को अपनाना होगा। जीवन शैली में इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि सात्विक आय से ही जीवन निर्वाह किया जाए।

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