पचावली। ( देवेंद्र भार्गव की रिपोर्ट) बीती रात स्टेटकाल के पचावली पुल ढहने के साथ सिंध नदी में गिरे प्रभु आदिवासी का खबर लिखे जाने तक पता नहीं लग सका। यह तब अचरज की बात है जब पहले दिन से ही प्रभु के पुल के मलबे में दवे होने का दावा किया जाता रहा है बावजूद इसके जिला प्रशासन ने हितेची या अन्य मशीन से आज तक मलबा और एक बड़ा पत्थर नहीं हटवाया है। आज मोके पर मौजूद प्रभु के पुत्र भगवान लाल, उसकी बहु और माँ ने धीरज खो दिया है। उनका आरोप है कि हमारे आदमी को ढूंढने की ठीक से कोशिश नहीं की गई। नाव में सवार लोग नदी में चक्कर लगाकर लौट आते हैं। एकाध आदमी पानी मे उतरता भी है तो ऊपर से ही लौट आता है। हम सालों से नदी के एक एक हिस्से से बाकिफ हैं अगर हमको ही प्रभु की तलाश करने देते तो अब तक शायद प्रभु मिल गए होते। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि नदी में एक बड़ा पत्थर पुल के साथ गिरा था। उस पत्थर तक को हटाया नहीं गया। हो सकता है प्रभु पत्थर के नीचे दबे हों। परिजन यह बात इसलिये कह रहे हैं कि प्रभु को तैरना आता है, अगर कहीं फसे न होते तो किनारे वो भी आ गए होते। परिवार की महिलाएं पुलिस पर आक्रोशित दिखाई दीं उनका कहना था हमको पीछे धकेल रहे हैं हमारे आदमी की तलाश नहीं कर रहे। आप भी सुनिये धमाका पर क्या बोले परिजन।

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