रासलीला जीव और ईश्वर का मिलन है,
गोपियों को परमानंद दान करने के लिये, भगवान ने लीलाएं की,
श्री कृष्ण जी जगत के एकमात्र स्वामी है
काग के भाग वडे सजनी हरि हाथ सै लै गयौ माखन रोटी
शिवपुरी। श्री ठाकुर वावा मंदिर हाथीखाना पर, यजमान मणि सिंह, मनी महाराज (मनी) द्वारा कराई जा रही श्रीमद् भागवत कथा मै आज पांचवें दिवस भी भारी भीड़ उमड़ी,इस कथा मै पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्री जगमोहन सिंह सैंगर जी एवं उनकी टीम द्वारा विशेष वीआईपी व्यवस्था कथा के श्रोताओं को की जा रही है, लगातार 5 घंटे वच्चे,बुजुर्ग, महिलाओं द्वारा एकाग्र मन से ,वालयोगी वासुदेव नंदिनी के श्री मुख द्वारा कथा का रसपान कर रहे हैं।
आज वडे ही आध्यात्मिक तरीके से भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया, चीरहरण, गोवर्धन पूजा का महत्व भी समझाया गया।
उन्होंने कहा कि वहुत से लोगों को यह आपत्ति होती है कि भगवान ने ऐसा क्यों किया? जवकि वास्तविकता तो यह है कि चीर का अर्थ आवरण भी होता है ओर आवरण पर्दा को भी कहते हैं और जव तक पर्दा डला हो तब तक भगवान नहीं दिखते, इसलिए भगवान ने गोपियों के वस्त्र चुराये। ठाकुर जी उनका ही आवरण हरण करते हैं जिनपर उनको कृपा करनी हो और तभी भगवान ने कृपा स्वरूप गोपियों के संग रास भी रचाया।साथ ही गोवर्धन पूजा का महत्व समझाया,सभी भक्तों ने गोवर्धन पूजा की, उन्होने कहा कि गोवर्धन का अर्थ है अपनी इंद्रियों को एकाग्र करना,और गोवर्धन की पूजा से संकेत मिलता है कि जो अपनी इंद्रियों पर विजय पा ले,वह पूजने योग्य हो ही जाता है।

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