शिवपुरी। म.प्र. में लगभग छः वर्षों से पदोन्नति न होने से शासकीय कर्मचारियों में निराशा का महौल व्याप्त है। कर्मचारियों की मांग है कि म.प्र. में शीघ्र ही कर्मचारियों की पदोन्नतियां की जाएं। जिसको लेकर कर्मचारियों ने सपाक्स के बैनर तले मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अपर कलेक्टर अंकुर गुप्ता को नोडल अधिकारी मनोज निगम के नेत्रत्व में सौंपा। ज्ञापन में सैंकड़ों की संख्या में अधिकारी कर्मचारी उपस्थित हुए। *2016 में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पदोन्नति नियमों को मार्गदर्शी सिद्वांतों के अनुरूप न होने से पदोन्नति में आरक्षण को अवैध घोषित किया था। लगभग छः वर्ष वीत जाने के बाद भी म.प्र. के कर्मचारी पदोन्नति के लाभ से वंचित हैं। जबकि दिनांक 28.01.2022 केा माननीय सर्वोच्य न्यायालय की तीन जजेज की पीठ द्वारा पदोन्नति में आरक्षण को लेकर दिए गए अपने फैसले में एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि पदोन्नति में आरक्षण हेतू एम.नागराज प्रकरण और जरनैल सिंह प्रकरण में निश्चित किए गए मार्गदर्शी सिद्वांतों का पालन अनिवार्य होगा। जिसकों लेकर सपाक्स की मांग है कि सर्वोच्य न्यायालय के निर्देशानुसार सभी योग्य कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ दिया जाए एवं पदोन्नति से आरक्षण पूणतः समाप्त किया जाए।* ज्ञापन में प्रमुख रूप से सपाक्स के जिलाध्यक्ष कौशल गौतम, मुकेश मेहता, महेन्द्र सिंह तोमर, अंगद सिंह तोमर, कार्यकारी अध्यक्ष यादवेन्द्र चैधरी, राजकुमार सरैया, प्रदीप अवस्थी रिजवाना खां, मानोज पाठक, पवन अवस्थी, अरविन्द सरैया, रामकृष्ण रघुवंशी, मनोज शर्मा, पुरूषोत्तम शर्मा, मनोज भार्गव, प्रमोद कटारे, सुरेश जादौन, पद्धांश भार्गव, उदय तोमर, प्रमोद कौशल, राजेश पाठक, भूपेन्द्र शर्मा, जितेन्द्र व्यास, संतोष व्यास, मुनेश रघुवंशी, संजय जैन, वीरेन्द्र अवस्थी, शैलेन्द्र जादौन, गोविन्द मिततल, संजय पारशर, भारत रावत, लक्ष्मीनारयण कुशवाह, अशोक श्रीधर, पवन शर्मा, प्रदुम्न भार्गव, शिवदयाल द्विवेदी, लोकश बोवल, विजय भारद्वाज, राकेश आचार्य, विनोद अग्रवाल, जयंत सिकरवार, राघवेंद्र रघुवंशी, सुदामा साहू आदि प्रमुख रूप् से उपस्थित थे।

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