श्री बालाजी धाम मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा का छठवा दिन
*कथा पंडाल में उपस्थित जनसमूह ने नाच गाकर लिया आशीर्वाद, दिए उपहार
शिवपुरी। श्री बालाजी धाम मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन आचार्य नरोत्तम शास्त्री के मुखारविंद से रुक्मणी विवाह का सुंदर प्रसंग श्रोताओं के सामने वाचन किया गया। मंगलवार होने के कारण ही कथा परीक्षित संतोष- रामश्री शर्मा द्वारा श्री बालाजी सरकार के समक्ष छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया गया जो भागवत में आए लोगों को वितरण किया गया। रुकमणी विवाह के दौरान वृंदावन से आए कलाकारों द्वारा सुंदर संगीत के माध्यम से अत्यंत सुंदर गीतों पर वहां पर आए लोगों को नृत्य कराया गया कुल मिलाकर कथा पांडाल को पूरी तरह मैरिज गार्डन में परिवर्तित कर दिया गया था जहां सचमुच ऐसा ही लगने लगा था कि श्री कृष्ण और रुक्मणी का विवाह आयोजन वास्तव में ही हो रहा है। आज कथा का अंतिम दिन है रात्रि के समय हवन यज्ञ होगा और कल 10 मार्च को भंडारा प्रसादी वितरण का आयोजन किया जा रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से हो जाता है उद्धार : आचार्य नरोत्तम शास्त्री
श्री बालाजी धाम पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान आचार्य नरोत्तम शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मनुष्य का उद्धार हो जाता है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कथा सुनने की विधि भी बताई है उन्होंने कहा कि कथा श्रवणकर्ता को सदैव पांडाल में बैठकर कथा सुननी चाहिए और कोशिश रहे की कथा सुनते समय वह आसन को ना बदले। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कोई मामूली चर्चा नहीं है यह मनुष्य के जीवन और मरण से संबंधित है,अतः प्रत्येक व्यक्ति को जहां भी कथा का वाचन हो रहा हो वहां कथा श्रवण करने अवश्य जाना चाहिए और अपने पूरे जीवन में एक बार कथा का आयोजन अवश्य कराना चाहिए जिससे वह अपने जीवन का, मनुष्य योनि में जन्म लेने का उद्देश्य पूरा कर सकें।

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