हनुमान जन्मोत्सव पर शनि मकर और बृहस्पति मीन राशि में रहेंगे. जबकि मेष राशि में सूर्य, बुध और राहु की युति बन रही है. यानी मेष राशि में त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है. वहीं, केतु तुला राशि में रहेगा. हनुमान जन्मोत्सव पर इस वर्ष रवि योग भी बन रहा है, जिसमें सूर्यदेव की विशेष कृपा होती है, इसलिए किसी नए काम को शुरू करने के लिए यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है.
हनुमान जन्मोत्सव पर सुबह 8 बजकर 40 मिनट तक हस्त नक्षत्र. इसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू हो गया. ये दोनों नक्षत्र मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं. वहीं, अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. पूजा के लिए यही सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त होगा.
हनुमान जी के जन्मोत्सव पर हो सके तो हनुमान जी के सामने तेल या घी का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें. सुंदरकांड का पाठ करें. उड़द के आटे से दीपक बनाकर सूत के धागे से बत्ती बनाएं.
- हनुमान जी की पूजा के दौरान लाल, भगवा या फिर पीले रंग के ही कपड़े पहनकर पूजा करें। भूलकर भी सफेद या काले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा न करें।
- हनुमान जी को भूलकर भी चरणामृत का भोग न लगाएं। ऐसा करने से भगवान रुष्ट हो सकते हैं। चरणामृत के बदले आप चने की दाल, गुड़, बूंदी के लड्डू आदि का भोग लगा सकते हैं।
- भगवान बजरंगबली बाल ब्रह्मचारी हैं। इसलिए इस दिन अगर कोई महिला हनुमान जी की पूजा कर रही हैं तो उन्हें स्पर्श न करें। बेहतर होगा की दूर से ही पूजा कर लें।
- यदि किसी के घर में किसी की मौत गई है और सूतक चल रहा है तो हनुमान जन्मोत्सव के दिन व्रत या फिर पूजा न करें और मंदिर भी न जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि सूतक के समय आप अशुद्ध होते हैं। इसलिए 13 दिनों तक पूजा-पाठ न करें।
- अगर परिवार में किसी बच्चे ने जन्म लिया है तो ऐसे में बच्चा पैदा होने के 10 दिनों तक हनुमान जी के साथ किसी अन्य भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए।
- हनुमान जी की पूजा करने से पहले अगर आपने कुछ खाया हो तो पहले मुंह को अच्छी तरह से साफ कर लें। कभी भी झूठे मुंह से उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए।
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेउ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तें काँपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरन्तर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
श्रीहनुमानजी का जीवन – सफलता की कुंजी
*निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करै सनमान।* तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान।।
बजरंग-बाण का यह दोहा जीवन में सफलता का मंत्र है. इसमें किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए आवश्यक तत्वों का समावेश है.
*निश्चय* – किसी भी कार्य का प्रारम्भ निश्चयात्मक बुद्धि से करना चाहिए. ऊहापोह की स्थिति कार्य के शुरू करने के पहले ही उसकी सफलता में सन्देह की सूचक होती है. सु़ख की कामना मनुष्य का स्वभाव है. कामनाएं व्यक्ति को अशांत करती हैं. अशांत व्यक्ति लक्ष्य से पूरी तरह से जुड़ नहीं पाता. उसकी बुद्धि संशयात्मक होती है. संशय मनुष्य को असंतुष्ट बनाता है. असंतुष्ट व्यक्ति शिकायत करता है. शिकायत से क्लेश होता है. क्लेश से वातावरण दूषित होता है. फिर दुखों का जन्म होता है. अतः सु़खद एवं सार्थक परिणाम के लिए संशय रहित होना पहली शर्त है.
*प्रेम* – हम जिस कार्य को करने जा रहे हैं उसमें हमारी रुचि, लगाव या प्रेम का होना जरूरी है. प्रेम जुड़ाव की पहली सीढ़ी है. प्रेम की शर्त है विश्वास. बिना विश्वास के समर्पण सम्भव नहीं है. इसीलिए बिना प्रेम एवं विश्वास के किए गए प्रयास अपूर्ण एवं असफल होते हैं.
*प्रतीति* (अनुभूति) – प्रतीति का अर्थ ज्ञान या जानकारी के साथ-साथ दृढ़ निश्चय, विश्वास, हर्ष एवं आदर का भाव भी है. जिस विषय, कार्य, वस्तु या व्यक्ति से हम प्रेम करते हैं उसके बारे में ज्ञान या जानकारी की उत्कंठा हमारे अन्दर स्वत:स्फूर्ति होती है. जानकारी हमारे निश्चय को बल प्रदान कर हमारे हृदय में उसके प्रति विश्वास, हर्ष और आदर का भाव जाग्रत करती है. हम लक्ष्य की ओर दुगने उत्साह के साथ अग्रसर होते हैं.
*विनय* – विनय, शील का प्रतीक है. कार्य की कुशलता के लिए शीलगुण का होना आवश्यक है, अन्यथा सफलता हमें यथेष्ठ लाभ नहीं दिला सकेगी. विनम्रता से हीन व्यक्ति अहंकारी हो जाता है. वह अपनी सफलता पर कितना भी आत्ममुग्ध हो ले, उसे पर्याप्त सामाजिक स्वीकृति नहीं मिलता
*सनमान* (सम्मान) – जहाँ तक सम्भव हो व्यक्ति को अपनी सफलता का श्रेय किसी दूसरे श्रेष्ठ व्यक्ति या ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए. इससे उसके बड़प्पन में चार चांद लग जाते हैं. देखने वाले यह भली-भांति जानते एवं समझते हैं कि कार्य किसने किया है. किन्तु ऐसा करने से उसकी ख्याति और बढ़ जाती है. साथ ही उसमें अहंभाव नहीं आता. अहंकार प्रगति में सबसे ज्यादा बाधक है. यह दोहा बजरंग-बाण का प्रारम्भ है. बाण का कार्य लक्ष्य-वेधन का है. ऊपर वर्णित प्रयास लक्ष्य सिद्धि में सहायक हैं.
श्रीहनुमान जन्म महोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामना. अवधेश त्रिपाठी

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