हातोद का नाम लेते ही याद आते हैं नेताजी
ग्राम हातोद का नाम लेते ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस याद आते हैं। क्योंकि आजाद हिंद फौज के महानायक कर्नल गुरुबख्श सिंह ढिल्लन का इसी ग्राम से नाता रहा हैं। कहने को तो
कर्नल गुरुबख्श सिंह का जन्म 18 मार्च 1914 को पंजाब के तरणतारण में हुआ था। आप साल 1936 के आसपास 14 वीं पंजाब रेजिमेंट में शामिल हुए थे। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में भी भाग लिया। इसके बाद वे आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। अंग्रेज सरकार ने उन पर मुकदमा चलाया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विदेश जाने और भारत की आजादी के बाद वे शिवपुरी के ग्राम हातोद आ गए थे। 1998 में भारत सरकार ने उन्हे 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया। 6 फ़रवरी 2006 को उन्होंने अंतिम सांस ली।गली से खेल मैदान शहीदों के नाम
ग्राम पंचायत हातोद की हर गली, कॉलोनी, खेल मैदान शहीदों के नाम पर हैं। यहां होने वाले किसी भी निर्माण से पहले उनके नाम शहीदों के नाम पर रख दिए जाते हैं। सड़क, कॉलोनी, भवन, खेल मैदान सभी के नाम पहले से ही शहीदों के नाम पर हैं।
इस बात का पूरा श्रेय कर्नल ढिल्लन के सुपुत्र सर्वजीत ढिल्लन और उनकी नातिन बहू परवीन मल्होत्रा पूर्व सरपंच को जाता है। साल
2015 के पहले इंदिरा आवास योजना के बाद से अब तक 35 मुख्यमंत्री आवास योजना और 65 प्रधानमंत्री आवास योजना के आवास हितग्राहियों को उपलब्ध करा दिए गए हैं। 130 आवास हाल ही में स्वीकृत हुए हैं।
ग्राम पंचायत हातोद की जनसंख्या 2500 के लगभग है। इस पंचायत में हातोद, अर्जुनगवां खुर्द, हरनगर, लखनगवां ग्राम आते हैं। यहां कुल 2500 की जनसंख्या में 40% आदिवासी, 30% सिख, 30% गुर्जर, 10% बाकी अन्य समाज के लोग रहते हैं।
ये खूबियां भी हैं
पंचायत में बनाई गई कॉलोनियों में हर घर मे शौचालय बने है।
यहां हर घर में नल कनेक्शन है, जिनसे भरपूर
पानी आता है।
हातोद ग्राम पंचायत में तीन मुक्तिधाम, एक खेल मैदान, गौशाला, हर कॉलोनी में चौपाल है।
उज्जवला योजना के लगभग 350 कनेक्शन हैं।
पंचायत में लोग अपने घरों में लकड़ी से चूल्हे नहीं जलाते। हर घर में रसोई गैस कनेक्शन हैं।
लगभग हर सड़क पर स्ट्रीट लाइट लगी है।
रात को यह गांव किसी शहरी बस्ती से
कम नहीं दिखता है।
पंचायत में साफ-सफाई का पर्याप्त ध्यान दिया जाता है।
शिक्षा के लिए इस पंचायत में 6 प्राथमिक और 2 माध्यमिक विद्यालय हैं।

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