नाराज चिकित्सकों ने कहा कि पूरे देश में जो चिकित्सा व्यवस्था लागू है उसे मध्यप्रदेश में क्यों बदला जा रहा है। इसलिए काली पट्टी हाथ में बांधकर हम सब अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं, ताकि सरकार जान ले कि इस तरह से प्रशासक की नियुक्ति कर सरकार अफसरशाही की लगाम मेडिकल कॉलेज और चिकित्सकों पर कसने जा रही है, जो किसी भी तरह से उचित नहीं है। पहले ही प्रदेश की समिति में आईएएस अफसर शामिल है और मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष वैसे भी कमिश्नर होते हैं और कलेक्टर भी प्रतिनिधि के रूप में शामिल होते हैं। ऐसे में नए सिरे से डिप्टी कलेक्टर रैंक के व्यक्ति को प्रशासक बनाना यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है, और ना ही न्याय संगत है। ऐसे में मेडिकल जगत से जुड़े हुए व्यक्तियों की सेवाएं लेकर सरकार विभाग को आगे बढ़ाने की योजना बनाएं, ना की अफसरशाही को हावी करें। इसीलिए हम सब लोगों ने मिलकर विरोध दर्ज कराया है, और प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि मेडिकल कॉलेज में प्रशासक लागू करना किसी भी स्तर पर तय ना हो। ज्ञापन देने वालों में संगठन अध्यक्ष डॉक्टर लोखंडे के अलावा मेडिकल एसोसिएशन और पदाधिकारियों के साथ कॉलेज के सभी विशेषज्ञ डाक्टर शामिल रहे। डीन डॉक्टर के वी वर्मा ने बताया कि डॉ की मांग को वह उचित माध्यम से चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग जी को भेजेंगे ताकि इस पर पर कोई एक्शन हो।

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