नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023
इज़्ज़त के रहबर : पद्मा शर्मा
"सरकार गाय का वो गोबर है जो ज़मीन पर गिरता है तो कुछ न कुछ लेकर ही उठता है।…भैंस की पूँछ अकारण ही नहीं मिलती…!"
अनुभवों की पाठशाला में अपनी सूक्ष्मग्राही दृष्टि से संवेदना की स्याही में दिल की कलम डुबो कर जो जज़्बात उकेरे जाते हैं, वे सीधे पाठक के दिल को छूते हैं! डॉ पद्मा शर्मा ने भी अपने आसपास की ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव, अन्तर्विरोध और बिखराव से उत्पन्न अन्तर्बोध और अन्तर्ध्वनि को अपनी कहानियों के माध्यम से हमसे साझा किया है!
शीर्षक कहानी का अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, पंजाबी और तेलुगु, पाँच भाषाओं में किया गया अनुवाद भी पुस्तक में शामिल है।
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