पोहरी। ईश्वर को अगर मनुष्य प्राप्त करना चाहता है तो भक्ति मार्ग उसके लिए सर्वश्रेष्ठ उत्तम साधन है क्योंकि भक्ति के बस में हो करके भगवान तुरंत दौड़े चले आते और अपने भक्तों को दर्शन दे करके उनका जीवन सफल करते हैं क्योंकि परमात्मा को प्राप्त करना ही भक्तों का प्रथम लक्ष्य होता है इसलिए इस संसार में भक्तों को सर्वश्रेष्ठ श्रेणी में गिना जाता है यह प्रवचन पोहरी में किले के मंदिर मुरली मनोहर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन ब्रजभूषण महाराज ने दिए और बताया कि भगवान श्रीकृष्ण से रूक्मणी जी अपार प्रेम करती थी और अपार प्रेम के कारण भगवान ने उनसे विवाह किया वैसे तो लक्ष्मी जी ही रूक्मणी हैं और लक्ष्मी का वरण अन्य कोई कैसे कर सकता है आचार्य जी ने कथा के प्रसंग में कंस वध का प्रसंग सुनाया और बताया की मनुष्य कितना ही बलवान क्यों ना हो मनुष्य को कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए आचार्य जी ने सुंदर रास का प्रसंग सुनाया और बताया कि जिस समय भगवान ने महारास किया उस समय समस्त ब्रह्मांड में आनंद छा गया था और समस्त देवता उस रास को देखने के लिए ब्रज मंडल में उपस्थित हो गए थे अवतार से पहले नारद जी ने भगवान से प्रार्थना की थी जिसको करने के लिए भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लिया था इस कथा का आयोजन जगदीश प्रसाद सिंघल करवा रहे हैं।
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