शिवपुरी। भारत में हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। किसी भी राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की सबसे अहम भूमिका होती है। युवा नेताओं के कारण ही भारत ने अंग्रेजों से आजादी पाई और अब युवाओं के बूते पर ही देश विकास की राह पर है। राष्ट्रीय युवा दिवस पर कांकर में युवा संवाद पकार्यक्रम का आयोजन शक्ती शाली महिला संगठन द्वारा कांकर में किया जिसमे संयोजक रवि गोयल ने जानकारी देते हुए कहा की युवा दिवस पर आज कांकर में जो सबसे ज्यादा चिंता जाहिर की वह थी नशा एवम मानसिक तनाव की जो की दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
सबसे पहले मंच पर पहुंचे औरं वहां मौजूद युवाओं से कहा की किसी शायर ने कहा है "कौन कहता है कि आसमाँ में सुराख नही हो सकता, एक पत्थर जरा तबियत से तो उछालो यारों।" स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि "लक्ष्य को ही अपना जीवन कार्य समझो, हर समय उसी का चिंतन करो, उसी का स्वप्न देखो और उसी के सहारे जीवित रहो।"
साथियों हम जैसा कि हम सब जानते हैं कि हम यहां आज राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में उपस्तिथ हुए हैं। भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस की शुरुआत 1984 में हुई। भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। स्वामी जी भारत में 19वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति थे और युवाओं की शक्ति में दृढ़ विश्वास रखते थे। स्वामी विवेकानंद ने ऐसे दर्शन और आदर्शों को बढ़ावा दिया जो भारत देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है। कम से कम 18 विभिन्न देश अपने युवाओं के सम्मान में विभिन्न दिनों पर युवा दिवस मनाते हैं। 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया। प्रोग्राम में प्रमोद गोयल ने कहा की युवा मन नई उमंगों, नये उत्साह, नई कल्पनाओं और नये विचारों से परिपूर्ण होता है। यह अवस्था उसके सपने बुनने और उन्हें साकार करने के लिए मार्ग तय करने की होती है। यही वह समय होता है जिसमें उसका भविष्य निर्धारण होता है और ऐसे समय किसी भी प्रकार की चूक उसके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देती है। ऐसे युवाओं को समझना चाहिए कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए लक्ष्य का सही चयन पहली आवश्यकता होती है। लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति दृढ़ संकल्प दूसरी आवश्यकता होती है और लगन के साथ सतत प्रयास तीसरी व अंतिम आवश्यकता होती है। जरूरत केवल अपनी प्रतिभा और अपनी सृजनात्मक क्षमता का सही दिशा में सही तरीके से उपयोग करने की होती है। प्रोग्राम में करण सिंह लक्ष्यकार ने कहा कीउत्साह भरने में सक्षम हैं- "मुझे उन राहों पर एक बार विजय गीत गाते हुए जाना है, जहाँ मैं कई बार हार चुका हूं।" अतः विपरीत परिस्थितियों और आरंभिक असफलताओं से घबराकर अपना सारा जोश खो देने वाले युवाओं को चाहिए कि नेपोलियन बोनापार्ट का यह सूत्र वाक्य कि "दुनिया में कुछ भी असंभव नही है " को याद रखकर अपनी हर एक असफलता के बाद दोगुने उत्साह व साहस से अपनी मंजिल पाने की कोशिश करें। बबिता कुर्मी ने कहा की अपने ध्येय की प्राप्ति के लिए सतत प्रयास करते रहना हमारा धर्म और कर्म होना चाहिए।सतत प्रयास ही सफलता का सीधा, सरल व सच्चा मार्ग है। राहुल ओझा ने कहा की युवा के बिना किसी भी राष्ट्र के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। अंत में अब मैं स्वामी विवेकानंद जी को नमन करते हुए सबसे विनती करता हूं की कंकर गांव से नशा को समाप्त कर दें।गांव की आशा कार्यकर्ता ने नशा न करने का एवम युवाओं को सही दिशा देने की शपथ दिलाई। प्रोग्रम में गांव के एक सैकड़ा युवाओं के साथ शक्ती शाली महिला संगठन की पूरी युवा टीम ने भाग लिया।










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