ओरछा। भगवान रामराजा सरकार जिन्हे सरकार तक राजकीय सेल्यूट देती है, इनकमटेक्स विभाग ने उनको ही नोटिस थमा डाला है। जिसे लेकर मंदिर प्रबंधन के बीच खलबली की खबर है। दरअसल ओरछा के रामराजा मंदिर प्रबंधन को आयकर विभाग ने रिटर्न दाखिल करने का नोटिस थमाया है। मंदिर के व्यवस्थापक एवं तहसीलदार के नाम जारी नोटिस में विभाग ने 2015-16 के दौरान मंदिर के खाते में जमा किए गए 1.22 करोड़ का हिसाब मांगा है। जिसके बाद मंदिर प्रशासन आयकर विभाग के सामने यह साबित करने का प्रयास कर रहा है कि यह मंदिर शासकीय है और आयकर से मुक्त है, लेकिन आईटी विभाग यह मानने के लिए तैयार नहीं है और जवाब से संतुष्ट नहीं है। आयकर विभाग ने मंदिर की बैलेंस शीट, ऑडिट रिपोर्ट, पी एंड एल खाता के साथ ही आय-व्यय का ब्यौरा और अन्य खातों की जानकारी मांगी है। इस नोटिस के जवाब में प्रशासन ने मंदिर के शासकीय होने और इस नाते मंदिर आयकर की श्रेणी से बाहर होने की बात कही है। आयकर विभाग प्रशासन के इस उत्तर से संतुष्ट न होते हुए इसका पुख्ता प्रमाण चाहा है।
48 लाख की रिकवरी का नोटिस किया जारी
साल 2015-16 में एक करोड़ 22 लाख 55 हजार रुपए दान में आए थे। इस राशि की एक एफडी बनाई गई थी। जिसको आयकर विभाग ने संज्ञान में लिया और 23 मार्च को 48 लाख रुपए रिकवरी का नोटिस मंदिर प्रबंधन को जारी किया है।
शासकीय स्वामित्व बनाए जाने की सूची विभाग को भेजी
आयकर विभाग रामराजा मंदिर को निजी स्वामित्व समझता आ रहा है। जिसको लेकर मंदिर प्रबंधन ने 1947 के सरकार के मंदिर को शासकीय स्वामित्व बनाए की सूची आयकर विभाग को भेज दी है, जिसको आयकर विभाग ने स्वीकार कर लिया है अब हो सकता हैं नोटिस ठंडे बस्ते में चला जाए।
आइए जानिए रामराजा सरकार को
बताया जाता है कि मधुकर शाह की रानी गणेशकुंवरि ग्वालियर के परमार वंश में जन्मी रामभक्त राजपूतानी थीं। उन दिनों भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या अपने विपत्ति काल से गुजर रही थी। एक दिन राजा मधुकरशाह ने रानी को चुनौती दे दी कि इतनी रामभक्त हो तो राम को अयोध्या से ओरछा क्यों नहीं ले आतीं। रानी ने प्रण ले लिया और अपने आराध्य राम को लाने सन् 1573 के आषाढ़ माह में अयोध्या के लिए निकल पड़ीं। श्रीराम की प्रतिमा को लेकर रानी गणेशकुंवरि साधु संतों और महिलाओं के बड़े काफिले के साथ अयोध्या से पांच सौ किमी दूर ओरछा की यात्रा पर निकल पड़ीं। साढ़े आठ माह में प्रण पूरा करके रानी सन् 1574 की रामनवमी को ओरछा पहुंचीं। ओरछा नरेश मधुकरशाह ने सैन्यबल के साथ भगवान राम का ओरछा में शाही सम्मान से स्वागत किया और उन्हें ओरछा के श्री रामराजा सरकार के रूप में मान्यता दी। रामराजा की प्रतिमा को रानी गणेशकुंवरि ने अपने महल में श्रद्धापूर्वक विराजमान किया। तब से आज भी रामराजा सरकार को सशस्त्र बल के साथ सुबह शाम प्रदेश सरकार की तरफ से राजकीय सेल्यूट देने की परंपरा है।

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