वनवासी लीला कार्यक्रम के दूसरे दिन की प्रस्तुति में महर्षि वाल्मीकि द्वारा अपने शिष्यों को भगवान राम की कथा का विस्तार सुनाते हुए बताया गया। जिसमें महाराज दशरथ के पास सिंगवेर पुर की धरती पर रहने वाले तपस्वी आए और उन्होंने दुर्जनों द्वारा तपस्या, पूजा व हवन में विघ्न डालने की बात कही। तब दशरथ ने कुलगुरु वशिष्ठ की सलाह पर पुत्रेष्ठि यज्ञ कराने के पश्चात राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न पुत्रो का जन्म। कैकई द्वारा कोप भवन में बैठकर राम को 14 वर्ष वनवास, राम वनगमन, निषादराज द्वारा आखेट में दशरथ के पुत्रों की रक्षा करने पर उन्हें अपना पांचवा पुत्र कहना, केवट संवाद, भरत निषादराज संवाद, राम के वापिस अयोध्या लौटने की प्रस्तुति दी।

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