शिवपुरी। हर साल 15 जून को भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस मनाया जाता है. बुजुर्गों के अधिकारों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए आज ग्राम गढ़ी बरोद में समुदाय के साथ शक्ती शाली महिला संगठन शिवपुरी द्वारा जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने कहा कि हर साल 15 जून को भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस मनाया जाता दुनिया भर में वृद्धों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार, भेदभाव, उपेक्षा और अन्याय को रोका जा सके, इस हेतु लोगों के अंदर जागरूकता लाने के लिये यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाए जाने के पीछे एक उद्देश्य यह भी है कि वृद्धजनों के प्रति सामाजिक व्यवहार बेहतर हो सके।उन्होंने कहा की वृद्धों के प्रति वैश्विक स्तर पर हो रहे बुरे बर्ताव व भेदभाव को दूर करने की बात कही गई थी। जब कोविड महामारी वैश्विक स्तर पर आपदा का रूप ले चुकी थी और स्वास्थ्य उस एक अति महत्त्वपूर्ण मुद्दा बन गया था, तब संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस के लिये ‘स्वस्थ युग के दशक में बहुआयामी दृष्टिकोण’ जैसी थीम को प्रस्तुत किया। वर्ष 2021 में इस दिवस की थीम ‘सभी उम्र के लिये डिजिटल इक्विटी’ थी जो कि तकनीकी रूप से पिछड़े हुए वृद्धों के लिये एक महत्त्वपूर्ण विषय रहा। वर्ष 2022 में इस दिवस की थीम ‘बदलते विश्व में वृद्धजनों का समावेशन’ है। इस वर्ष यह न्यूयॉर्क, वियना और जिनेवा में ग़ैरसरकारी संगठनों द्वारा इस दिवस को मनाया जाना तय हुआ है जिसमें इस विषय से जुड़े अनेक योजनाओं पर चर्चाएँ शामिल हैं। इस वर्ष की कार्ययोजना में महिलाओं पर विशेष ध्यान देने का प्रयास किया गया है। यह समाज में महिलाओं के योगदान का एक स्मरणोत्सव भी है इसलिये विश्व स्तर पर उम्र व लिंग के आधार पर डेटा तैयार करने पर भी काफ़ी ज़ोर देने की कोशिश की गई है ताकि भविष्य की योजनाओं का प्रारूप इन आँकड़ों के आधार पर तैयार किया जा सके। इसमें सभी सदस्य देशों, संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं, संयुक्त राष्ट्र के महिला विभाग, सिविल सोसाइटी आदि को सम्मिलित कर योजना बनाना व समाज में लैंगिक असमानता आदि को दूर करने के लिये ठोस कदम उठाए जाने पर विचार किया जाना शामिल है।वृद्ध हमारे समाज का महत्त्वपूर्ण आधार स्तंभ हैं। परंतु अवस्था ढल जाने के पश्चात् कई बार इन्हें समाज में गैर-ज़रूरी मान लिया जाता है। एक व्यक्ति जो आपके समाज में एक संसाधन के तौर पर कार्य कर रहा था अचानक ही समाज पर बोझ होने लगता है। भारतीय परिदृश्य में वृद्धों के समक्ष अनेक चुनौतियाँ विद्यमान हैं जो सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सभी रूपों में दिखाई देती हैं। वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धजनों की स्थिति बदतर होने के पीछे एक बड़ा कारण प्रवासन है। चूँकि ग्रामीण क्षेत्र व्यापाक रूप में रोज़गार सृजन में अक्षम हैं इसके चलते अधिकांश युवा रोज़गार की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं। परिणामस्वरूप उनके बूढ़े माता-पिता कई बार अकेले रह जाते हैं। इससे संबंधित एक अन्य पहलू यह भी है कि कई बार बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को अपने साथ शहर में ले आते हैं ताकि वे साथ रह सकें और उनकी अच्छी देखभाल हो सके। एक नज़रिये से यह बात ठीक मालूम होती है लेकिन ग्रामीण परिवेश में जीवन व्यतीत करने वाले ये लोग स्वयं को शहरी परिवेश के अनुकूल बनाने में अक्षम होते हैं और धीरे-धीरे मानसिक असहजता के शिकार बन जाते हैं। वे शहर में आ तो जाते हैं लेकिन यहाँ उनके साथ कोई बोलने या बात करने वाला नहीं होता है। इस तरह जीवन में अचानक एकाकीपन आना भी एक बड़ी समस्या है। प्रोग्राम में ललित एवम धर्म ने कहा की वृद्धों का समाज हमारे समाज के लिये पारंपरिक ज्ञान का विशाल भंडार होता है। हमें उस पारंपरिक ज्ञान को वर्तमान संदर्भों के साथ उपयोग करना सीखना चाहिये। इससे उनकी उपयोगिता लगातार बनी रहेगी और वे उपेक्षित महसूस नहीं करेंगे। जिस क्षेत्र में उनकी विशेषता है उन क्षेत्रों में उनसे मदद ली जानी चाहिये। सरकार को इस स्तर पर एक योजना तैयार करनी चाहिये जहाँ वे ग्राम स्तर से शहरी मुहल्लों तक यानी सबसे छोटी इकाई तक एक योजना बनाकर सभी क्षेत्रों में अपनी विशेज्ञता से समाज के लिये कुछ कर सकें। पुरानी व नई पीढ़ी के मध्य नैतिक मूल्यों का संतुलन साध कर बुजुर्गों को सम्मानजनक जीवन दिया जा सकता है। जिस उम्र में उन्हें संवेदना की सर्वाधिक आवश्यकता होती है, उस उम्र में उन्हें कोई सुनने वाला तक नहीं होता, यह बड़ा संकट है। जीवन के अंतिम क्षणों में एक वृद्ध को जिस लगाव, स्नेह और अपनेपन की आवश्यकता होती है, उसे यह सब उसका अपना परिवार ही दे सकता है। प्रोग्राम में एक सेकड़ा समुदाय के साथ आगानवाड़ी एवम शक्ती शाली महिला संगठन की टीम ने भाग लिया।

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