गुरुदेव प्रो.डॉ अनिल कुमार वाजपेयी गुरुजी द्वारा लिखा गया लेख।
धर्म मान्यताओं के अनुसार ओर भद्रा दोष रहित रक्षाबंधन 31 अगस्त 2023 को मनाना शुभ रहेगा
रक्षाबंधन पर हो रहे तिथि ओर दिन के भ्रम को दूर करें, श्रावणी रक्षाबंधन 30/8/23 या 31
श्रावणी केवल रक्षा सूत्र बांधने का त्योहार नहीं है वह ब्राह्मणों का सबसे बड़ा त्योहार है और ऐसे में अबोध जन सामान्य को हर त्योहार पर जटिलतम प्रक्रिया समझाना कैसे उचित है वे उलझे हुए लोग ही जानते हैं, अबोध जन सामान्य नहीं, त्योहारों को सहज बनाए और जनता को दुविधा से बचाये अधिक विद्वता जटिल बनाने में ना लगाये।
लगभग 10 वर्ष पहिले तक पूजा में भद्रा और उसके दुर्गुण के विचार से भारत अनभिज्ञ था ,मगर अब पिछले 10 वर्षों से नयी नयी अवधारणा खड़ी हो रही है एक समाचार कुछ बोलता है दूसरा कुछ, परिणाम यह कि अबोध जनता उसमें पिसती है और धर्म सामान्य भावना का विषय ना रह कर ज्ञानियों के जीत हार के अस्त्र शस्त्र का साधन हो जाता है, यह बड़ी विडंबना है।
श्रावणी में वेदोक्त विधि से शिष्यों के संस्कार मंत्र दीक्षा का वृहत कर्मकांड का रूप है और 30 को तथा कथित विद्वानों द्वारा बताई जाने वाली श्रावणी का गणित भी देख लें।
लगभग 11 बजे तक चौदस चलेगी उसके बाद पूर्णिमा लगेगी
जो 31 तारीख़ की 7.10 तक चलना जहां तक उदया तिथि के त्योहारों की बात है वहाँ उदय के समय 30 तारीख़ में श्रावणी नहीं है 11 के बाद जब पूर्णिमा लगेगी तब ये लोग भद्रा लगना बता रहे है जो रात्रि 9 बज़े तक चलनी है, क्या गुरु दीक्षा का बड़ा कार्यक्रम जिसमें लगभग कमसे कम 5 घंटे लगते है क्या 9 बजे के बाद करना उचित है ?
धर्म के संबंध में बार बार होने वाले ये निर्णय भविष्य में आप ही करें उन्हें इन कसौटियों पर परखें जीवन भर ये समस्या निर्णय के लिये आपको भटकना नहीं पड़ेगा।
ॐ धर्म शास्त्र में बड़े बड़े मंचों से टोन टोटके और धर्म भीरु बनाने के अभियान बंद कीजिए और जो भी त्योहारों के निर्णय हो अपनी एक सहमति से स्पॉट करे तो ज्यादा उचित है।
ॐ जब परमेश्वर को अर्पण करके कोई कार्य किया जाये तो काल भी अनुकूल हो जाता है
ॐ जिन त्योहारों की पूजा सुबह के काल में नियत हो उसमे सुबह ज़िस दिन आये उसे पूरे दिन की मान्यता दें।
ॐ आप अपने परिवार की रीति रिवाज और मान्यता के अनुसार दिन तय करें
ॐ जिन त्योहारों को रात्रि पूजित है उनमें जिस प्रथम दिन धर्म सम्मत है जैसे होली दीपावली दशहरा चौथ तीज शिवरात्रि जन्माष्टमी प्रमुख है।
ॐ धर्म रूढ़िवादी सोच और भय का नाम नहीं है महानारायण को समर्पित कर जो कार्य धर्म सम्मत हो करें निर्विघ्न होगा सब
ॐ धर्म पर आस्था रखे धर्मांध ना हो धर्म की ग़लत मान्यताओं पर आप अपने विवेक के अनुसार भावनात्मक निर्णय लें जिसमें प्रभु समर्पण प्रमुख है।
ॐ रक्षाबंधन भारतीय परंपरा में पंचमी तक मनाई जाती है मारवाड़ राजस्थान गुजरात में कई स्थान पर पाँच दिन की मान्यता है।
धर्म विद्वता सिद्ध करने का अखाड़ा नहीं है उसे बहुजन हिताय रहने दे।
संक्षेप में मेरे मत में आप 30 या 31 तारीख़ को यदि रक्षाबंधन मनाना चाहे तो सबसे पहले सारे रक्षा सूत्र भगवान को समर्पित कर दे और अपने अनुसार भावनात्मक पूजन करके भय रहित होकर रक्षा बंधन का त्योहार मनायें
31 तारीख़ को पूर्णिमा ऊदिया तिथि में आने के कारण पूरे दिन के लिए मान्य है रक्षा बंधन का त्योहार माना सकते है और यही दिन गुरु परंपरा के लिए भी उचित है।
प्रभु को समर्पित कर किए जाने वाला हर कार्य सिद्ध है कालातीत है

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