अतीत के पन्नों पर किए हस्ताक्षर
कमलेश्वर स्टोन पर प्रतिवर्ष की भांति आयोजित आज के कार्यक्रम में उनके राजनीतिक जीवन में संपर्क में आये उन सभी दिवंगत विभूतियों को केपी सिंह ककाजू ने याद कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा उनसे जुड़ी घटनाओं का जिक्र किया। कहते हैं अतीत पर हस्ताक्षर करने से जीवन में सहजता रहती हैं और कोई गुमान नहीं होता। उन्होंने इस दौरान राजनैतिक जीवन में सर्वप्रथम स्व श्री गौतम शर्मा, नारायण गुरु, सांवलदास गुप्ता, दाऊ हनुमंत सिंह, नरहरिप्रसाद शर्मा, प्रेमनारायण वर्मा, हरदास गुप्ता, कमलसिंह पडरिया, पत्रकार स्वर्गीय हरिशंकर शर्मा, नन्नाजू, राम सिंह यादव,
हरिदास गुप्ता, मजीद खान, रफत अधीर, शिवाजीराव सिरसे, जगदीश वर्मा, हिमांशु शर्मा, ए पी एस चौहान, किरणसिंह रावत, गोपाल गंभीर, चंद्रशेखर शर्मा चंदू बाबूजी, आदि के साथ उनके जीवन में संपर्क में आये गैर राजनीतिक लोगों को भी याद किया। इस दौरान जिले के जानेमाने कवि राम पंडित, सुकून शिवपुरी, दिनेश वसिष्ठ, श्री प्रकाश शर्मा, जिलाध्यक्ष कांग्रेस विजय सिंह चौहान आदि मोजूद थे।
मैं मुख्यमंत्री बना तो पिछोर बनेगा जिला
गोठ के दौरान मीडिया ने भी आमद दर्ज कराई। वार्ता के दौरान जब उनसे पिछोर को जिला बनाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा की वे पिछोर को जिला बनाने की लम्बे समय से मांग करते आ रहे हैं। जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तब भी सिंधिया जी की जानकारी में लाकर प्रयास किए थे। जब पत्रकारों ने कहा क्या कमलनाथ ने जिला नहीं बनाया तो कक्काजू ने कहा की उस समय मंत्री न बनने से लगता था पार्टी छोड़ी जाए या क्या किया जाए। उनकी इस बात से ये साफ हो गया की कांग्रेस सरकार में वे मंत्री न बनाएं जाने से खासे नाराज और परेशान थे। जब पिछोर को जिला बनाने की बात को ही एक पत्रकार साथी ने आगे बढ़ाते हुए कहा की क्या कांग्रेस की सरकार बनेगी तो पिछोर जिला बनेगा। जिस पर उन्होंने कहा की ये केसे कहा जा सकता हैं तो पत्रकार ने कहा की मतलब आपकी सरकार बनी तब भी पिछोर का जिला बनना संभव नहीं, इस पर केपी ने कहा की हां ये तब हो सकता हैं जब मैं मुख्यमंत्री बना तो पिछोर जिला बनेगा। इस पर सभी हंस दिए। ये बात उन्होंने इसी परिप्रेक्ष्य में कही थी। उन्होंने यहां तक कहा की पिछोर को जिला बनाने की मांग कोई राजनीतिक मसला नहीं लोग शिवपुरी तक आते हैं और परेशान होते हैं। दूसरी बात पिछोर खनियाधाना से कई छोटे इलाकों को जिला बनाया गया तो पिछोर को भी बनाना चाहिए। ये बात भी मुझे पता हैं की सीएम अगर पिछोर को जिला बनाने की घोषणा करते तो उसका नुकसान भी कहीं न कहीं मुझको ही उठाना पड़ता लेकिन जो जनता के लिए फायदे की बात हैं उसमें नफा नुकसान नहीं देखा जाता। उन्होंने साफ कहा की अभी जिला बनाने की मांग इसलिए की थी की सिंधिया जी केंद्र में मंत्री हैं, अगले छह महीने में लोकसभा का चुनाव होगा, वे पिछोर से पिछले चुनाव में जीते थे इसलिए किसी का भी लगाव उस इलाके से हो सकता हैं जिससे उसे फायदा मिला हो, ये सोचकर मांग फिर उठाई थी।
पार्टी छोड़ी जाए या घर बैठा जाए
अल्प समय कमलनाथ सरकार रही थी। इस दौरान केपी सिंह को मंत्री पद मिलने का पूरा भरोसा था। प्रदेश को भी इस बात पर भरोसा था लेकिन केपी को मंत्री नहीं बनाया गया। आज केपी ने स्वीकार किया की ये बात उनको छह महीने तक सालती रही थी और विचार मंथन करते रहे की पार्टी छोड़ी जाए या घर बैठा जाए।
जीत के प्रति पूर्ण आशान्वित दिखे
कक्काजु पिछोर से अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आए। उन्होंने विश्वास पूर्वक कहा की परिणाम देखिएगा। जब पत्रकार ने कहा क्या तैयारी हैं तो उनका कहना था युद्ध में पूर्व से तैयारी के बारे में कुछ बताया नहीं जाता क्योंकि विरोधी नुकसान पहुंचा सकता हैं।
प्रीतम को लेकर स्वालों को टाल गए
मीडिया ने प्रीतम लोधी को लेकर कई बार सवाल किए। बीच में बयान को लेकर वायरल वीडियो आदि को लेकर उनसे सवाल लिए गए लेकिन वे उन्हें बखूबी टाल गए।

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