* लोगों के मन में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए दोहरी मानसिकता होती है। आगनवाड़ी नीता श्रीवास्तव
शिवपुरी। महिलाओ को कानूनी तौर पर पुरुषों के समान ही अधिकार मिले हैं, लेकिन समाज में उनकी स्थिति को लेकर असमानता है। लोगों के मन में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए दोहरी मानसिकता होती है।समाज में आज भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर के अधिक नहीं मिलते हैं। हालांकि दुनियाभर में महिलाओं को समान अधिकार और स्थान दिलाए जाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। देश में लैंगिक समानता लाने का प्रयास करते हुए हाल ही में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने चार महिला सदस्यों (50 फीसदी) को उपाध्यक्षों के पैनम में नामित किया। अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने कहा की महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने और समाज में उनकी स्थिति मजबूत बनाने के उद्देश्य से हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत तब हुई जब एक देश में महिलाओं को मतदान का अधिकार तक नहीं था। इसी तारतम्य में शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा ग्राम हातोद में एक सेकड़ा महिलाओ एवम किशीरियो के साथ महिला समानता पर जागरूकता कार्यक्रम रखा इसके साथ हर महिला को अपने अधिकारों की लड़ाई एवम रक्षा करने के लिए एक एक पौधा उपहार स्वरूप भेंट किया। प्रोग्राम में सामाजिक कार्यकर्ता धर्म गिरी ने एक प्रश्न पूछा की आज का भी आप मानती हो को आपको पुरुषों की तुलना में बराबर या समान भाव से व्यवहार नहीं होता तो सबने कहा की आज भी महिलाओ के साथ अधिकारों के बीच असमानता व्याप्त है इसके बाद आगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती नीता श्रीवास्तव ने कहा की महिला समानता दिवस हर साल 26 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1920 के बाद से हुई।महिला समानता दिवस पहली बार अमेरिका में मनाया गया। महिला अधिकारों की लड़ाई अमेरिका में 1853 से शुरू हुई। 50 साल तक महिला समानता की मांग को लेकर हुए आंदोलन का अंत 1920 में हुआ, जब महिलाओं को अधिकार मिलने शुरू हुई। उसके बाद से इस दिन को महिला समानता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। सामाजिक कार्यकर्ता ललित एवम राहुल ने कहा की । भारत में महिलाओं को वोट करने का अधिकार ब्रिटिश शासन काल में ही मिल गया था। पहले अमेरिका और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 26 अगस्त को महिला समानता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा।इस साल महिला समानता दिवस 2023 की थीम एंब्रेस क्वालिटी यानी समानता को अपनाओ। यह विषय लैंगिक समानता हासिल करने की जरूरत पर प्रकाश डालता है, जो न केवल आर्थिक विकास के लिए बल्कि मौलिक मानवाधिकारों के लिए भी आवश्यक है। प्रोग्राम में एक सेकड़ा ग्रामीण महिलाओं के साथ किशोरी बालिकाओं ने प्रमुख रूप से भाग लिया इसके साथ आगनवाड़ी कार्यकर्ता, साहियका, आशा कार्यकर्ता, शक्ति शाली महिला संगठन की पूरी टीम ने प्रमुख रूप से भाग ली इसके साथ हर एक महिलाओ को वितरीत सहजन, आंवला, कटहल के पौधे लगाकर महीला समानता का साथ देने को कहा।

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