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धमाका बड़ी खबर: CAG की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा, 14 में से आठ प्रोजेक्ट में 47 महीने तक देरी, स्वदेश दर्शन योजना में मिली गड़बड़ियां

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

/ by Vipin Shukla Mama
दिल्ली। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट में स्वदेश दर्शन योजना के क्रियान्वयन पर सवाल उठाते हुए अनियमितताएं उजागर की हैं। 9 अगस्त को पेश CAG की ऑडिट रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ हैं। ऑडिट के लिए चुने गए 14 प्रोजेक्ट में से आठ प्रोजेक्ट पूरे होने में 22 महीने से लेकर 47 महीने तक की देरी हुई इनमें छह प्रोजेक्ट अभी भी बाकी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों ने काम देने तक में 11 महीने से लेकर 58 महीने तक की देरी की। प्रोजेक्ट के तहत बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में काम होने थे। CAG के मुताबिक, मंत्रालय ने 2014-15 से 2018-19 की अवधि के दौरान 76 प्रोजेक्ट के लिए 5,455.69 करोड़ रुपए मंजूर किए। ऑडिट रिपोर्ट में जनवरी 2015 से मार्च 2022 तक का समय कवर किया गया है। इस पीरियड में भारत के चार पर्यटन मंत्री रहे- महेश शर्मा ( नवंबर 2014 सितंबर 2017), के अल्फोंस (सितंबर 2017 - मई 2019 ), प्रह्लाद सिंह पटेल ( मई 2019 जुलाई 2021) और जी किशन रेड्डी ( जुलाई 2021 - अभी तक )। 
ऑडिट रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु
यह प्रोजेक्ट योजना आयोग और वित्त मंत्रालय की आपत्ति के बावजूद शुरू किए गए। मंत्रालय ने कोई व्यवहार्यता (फिजिबिलिटी) अध्ययन किए बिना प्रोजेक्ट तैयार किया। इससे प्रोजेक्ट में देरी हुई। पर्यटन मंत्रालय ने कैबिनेट की मंजूरी लिए बिना ही इस प्रोजेक्ट के लिए फंड मंजूर कर दिया। जबकि रूल्स के मुताबिक ₹1,000 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होती है।
15 में से 14 साइटों के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) ही तैयार नहीं थी। फिर भी प्रोजेक्ट शुरू कर दिए गए।
मंत्रालय ने ग्रामीण सर्किट के विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। 31 मार्च 2022 तक ग्रामीण सर्किट पर कुल ₹30.84 करोड़ खर्च किए गए। यह कुल खर्च का केवल 0.73 फीसदी था।
मंत्रालय ने किन स्थानों का विकास होना है उन्हें चुनने में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। राज्य सरकारों की रिपोर्ट पर भरोसा किया।
प्रोजेक्ट में बड़ी संख्या में साइट्स चुन ली गईं। 76 परियोजनाओं के तहत 243 जिलों में 910 साइट्स और 6,898 Constituent (घटक) चुन लिए गए। इससे मंत्रालय/राज्य सरकारें सभी साइट्स पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे सकीं। इस कारण समय पर मंजूरी मिलने, निगरानी में, साइट निरीक्षण करने में और कार्य सौंपने में देरी हुई कई साइट्स को बदलना या छोड़ना पड़ा।
प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद चुनी गई सभी 14 परियोजनाओं की DPR बनीं। इनमें खामियां थीं। परिणामस्वरूप, कई परियोजनाओं में लागत बढ़ गई। राज्य सरकारों / काम कर रही एजेंसियों के पास केंद्र सरकार का पैसा पढ़ा रहा। मंत्रालय ने राशि की वसूली के लिए कोशिश नहीं की।
भुगतान में अनियमितता के कारण ठेकेदारों को ₹19.73 करोड़ का अनुचित लाभ हुआ। राज्य सरकारों ने ₹51.56 करोड़ रुपए बिना जरूरत खर्च किए। इसका जवाब पर्यटन मंत्रालय ने नहीं मांगा।
प्रोजेक्ट से जुड़े काम बिना टेंडर निकाले सौंपे ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकारों ने प्रोजेक्ट से जुड़े कार्य, बिना टेंडरिंग के और सिर्फ नामांकन के आधार पर दे दिए । 14 में से 6 प्रोजेक्ट में अनुमोदित DPR के विपरीत काम हुए। पर्यटन मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए कि राज्य सरकारें बनाई गई संपत्तियों का स्थायी तरीके से उचित संचालन, रखरखाव और कार्यस्थल निरीक्षण करें। इसके कारण साइट की हालत खराब हो गई।
कन्सल्टेंट ने जिम्मेदारियां नहीं निभाई कार्यक्रम प्रबंधन सलाहकार के रूप में अर्न्स्ट एंड यंग की नियुक्ति में भी अनियमितता हुई थी। मंत्रालय ने चयन के लिए ओपन टेंडर प्रोसेस का पालन नहीं किया। इस कारण 2.39 करोड़ रुपए बिना जरूरत खर्च किए गए। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अर्न्स्ट एंड यंग ने जिम्मेदारी नहीं निभाई। इसके कारण पर्यटन मंत्रालय को DPR तैयार करने में अतिरिक्त खर्च करना पड़ा।
प्रोजेक्ट्स की निगरानी तक नहीं की गई
 केंद्रीय मंत्रालय ने प्रोजेक्ट की निगरानी नहीं की। जहां काम किया गया वहां पर्यटन बढ़ा या नहीं इसका पता लगाने के लिए सालान सर्वेक्षण करना और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर योजना का असर देखना जरूरी था। मंत्रालय ने सालाना सर्वेक्षण नहीं किया। यहां तक कि मंत्रालय ने इसके लिए कोई सिस्टम तक डेवलप नहीं किया।
जानिए स्वदेश दर्शन योजना हैं क्या
स्वदेश दर्शन योजना के तहत देश में पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मंत्रालय ने 15 पर्यटन सर्किट की पहचान की थी। इनके विकास के लिए कुल 76 प्रोजेक्ट मंजूर किए गए। 15 पर्यटन सर्किटों में हिमालय सर्किट, उत्तर पूर्व सर्किट, कृष्णा सर्किट, बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, रेगिस्तान सर्किट, जनजातीय सर्किट, इको सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, इको सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट, हेरिटेज सर्किट, तीर्थंकर सर्किट और सूफी सर्किट शामिल हैं।












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