भांडावत निवास पर हुआ जैन साध्वियों का जोरदार स्वागत, कहा आपके जीवन में बदलाव आया तो हमारा चार्तुमास करना होगा सार्थक
शिवपुरी। देश में ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज ठाणा पांच सतियों का कल दो दिन बाद शिवपुरी से इंदौर की ओर बिहार हो जाएगा। गुरूवार को भांडावत निवास स्थान पर जैन साध्वियों का जोरदार स्वागत हुआ। इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में साध्वी रमणीक कुंवर जी ने संदेश दिया कि यदि हम अपने जीवन में पुण्य की पूंजी बढ़ाना चाहते हैं तो हमें पाप के कार्यों से अपने आपको दूर रखना होगा। ऐसा संभव नहीं है कि काम हम पाप के करें और आकांक्षा पुण्य की करें। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने संत पद की महिमा का बखान करते हुए कहा कि जिस तरह से बसंत हरियाली लाता है उसी तरह से संत जहां भी जाते हैं जीवन में खुशहाली लाते हैं। साध्वी वंदना श्री जी ने सुमधुर स्वर में भजन का गायन किया कि गुरू श्रृद्धा से भी ऊंचे हैं, ये बात जमाना क्या जाने। प्रारंभ में मुकेश भांडावत परिवार की ओर से श्रीमती सोनम भांडावत और श्रीमती खुशबू भांडावत ने काव्यात्मक अंदाज में जैन साध्वियों का अपने निवास स्थान पर स्वागत किया। धर्मसभा में मंगलम वात्सल्य गृह के प्रणेता डॉ. अजय खैमरिया और भाजपा जिलाध्यक्ष राजू बाथम का आयोजक मुकेश भांडावत ने बहुमान किया। श्री खैमरिया और श्री बाथम ने गुरूणी मैया से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर वात्सल्य गृह के बालक भी धर्मसभा में उपस्थित थे।
धर्मसभा में अपने प्रवचनों की पैनी धार के लिए प्रख्यात साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि बड़े सौभाग्य से और पुण्यों के प्रताप से संतों के चरण किसी घर में पड़ते हैं। संत जहां भी जाते हैं खुशहाली लेकर जाते हैं। संतों की दृष्टि और चरणरज से जन्मों-जन्मों के पाप धुल जाते हैं। लेकिन इसके लिए आवश्क है कि मन में श्रृद्धा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संत कोई चमत्कार नहीं करते, लेकिन इसके बाद भी चमत्कार घटित हो जाते हैं। इसका सीधा अर्थ है कि चमत्कार संत नहीं बल्कि आपकी श्रृद्धा करती है। उन्होंने कहा कि हम तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं लेकिन तीर्थ स्थल जाना सभी लोगों के लिए सार्थक नहीं होता। वहां जाना सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए सार्थक होता है जिसके मन में ईश्वर के प्रति श्रद्धा होती है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग शिकायत करते हैं कि हम मंदिर जाते हैं, संतों के दर्शन करते हैं, लेकिन फिर भी कुछ होता नहीं? हम क्यों धर्म को मानें। साध्वी जी ने कहा कि इसका अर्थ है आप धर्म नहीं कर रहे। बल्कि दुकानदारी कर रहे हैं। साध्वी जी ने बताया कि गुरू चरणों में यदि कुछ मिले या न मिले लेकिन अदृश्य आशीर्वाद अवश्य मिलता है। श्रृद्धा के साथ संत दर्शन के लिए बढ़ाए गए हर कदम से जन्मों-जन्मों के पाप धुल जाते हैं। साध्वी जी ने एक प्रेरक कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान विष्णु के दरबार में गंगा मैया पहुंची और उन्होंने शिकायत की कि लोग जन्म-जन्म के पाप लेकर मेरे पास आते हैं और स्नान कर उनके पाप धुल जाते हैं वे सारे पाप मेरे पास छोड़ जाते हैं, ऐसे में मेरे पाप कैसे धुलेंगे। इस पर मुस्कराते हुए भगवान विष्णु ने कहा कि जिस दिन किसी संत की दृष्टि तुम पर पड़ेगी और उनकी चरण रज तुम्हारी भूमि और जल पर पड़ेगी उस दिन तुम्हारे सारे पाप धुल जाऐंगे।
आज स्कूल और अस्पताल जैसे मानवता के मंदिरों की आवश्यकता है: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी
साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि हमने ईट और गारे के मंदिर बहुत बना लिए। उन मंदिरों में ही हम प्रभू की पूजा कर लें, वहीं बहुत है। अब मानवता के मंदिरों को बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि धर्मान्तरण रोकने लिए आवश्यक है कि हम अपनी ऊर्जा, श्रम और धन का उपयोग समाज सुधार के लिए करें। बच्चों को संस्कार वान बनाऐं। इसके लिए आवश्यक है कि स्कूलों का निर्माण किया जाए और उनमें पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक और नैतिक शिक्षा भी दी जाए। भारतीय संस्कारों की प्रेरणा देकर नई पीढ़ी का निर्माण किया जाए जिससे भारत अपने प्राचीन गौरव को पुन: प्राप्त कर सके। ठीक उसी तरह अस्पतालों का निर्माण किया जाए। उनमें अच्छे डॉक्टर, अच्छी सुविधायें नि:शुल्क दी जाए जिससे पीड़ित मानवता की सेवा हो सके। उन्होंने अपील की कि शिवपुरी के लोग एक चलित एम्बुलेंस का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधायें बढ़ाने के लिए करें तो वह देश, समाज और धर्म की अच्छी सेवा कर सकेंगे।
आदर्श नगर में साध्वी जी कल होगी साध्वी जी की धर्मसभा
शिवपुरी में प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी की चार्तुमास के बाद अंतिम सभा आदर्श नगर में यशवंत सांड के निवास स्थान पर होगी। सुबह 9 बजे जैन साध्वी कलेक्टर बंगला रोड़ से पद बिहार कर आदर्शनगर पहुंचेगी। जहां सुबह साढे 9 बजे से साढ़े 10 बजे तक वह धर्मसभा को संबोधित करेंगी। 10 दिसम्बर रविवार को साध्वी रमणीक कुंवर जी पद बिहार कर इंदौर की ओर रवाना होंगी।

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