ग्वालियर। ऐतिहासिक गूजरी महल का नाम भारतीय ऐतिहासिक भूमि में गौरवशाली दर्जा प्राप्त है। यहाँ का निर्माण यशस्वी तोमर राजा मानसिंह द्वारा सन् 1486-1516 ई. में किया गया था। इस ऐतिहासिक स्थल का नाम एक रोचक प्रसंग से जुड़ा है जिसमें राजा मानसिंह ने राई गाँव की एक सुन्दर कन्या से विवाह किया था।हेरिटेज साइट्स को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक जानकारी लोगो तक आसानी से पहुंच सके इसके लिए उर्मिला शुक्ल आयुक्त पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय, मध्य प्रदेश,ग्वालियर एवं पी सी महोबिया उपसंचालक के प्रयाशो से अब लोगो को आसानी से जानकारी मिल सकेगी
गूजरी महल की अद्वितीयता को अब तकनीकी उन्नति ने भी चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन अब यहाँ पर एक नई तकनीकी उपाय के जरिए आप इस महल और उसके संग्रहालय की सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अब आप अपने मोबाइल फोन के बारकोड स्कैनर का इस्तेमाल करके गूजरी महल और ग्वालियर के संग्रहालयों की सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ग्वालियर राज्य के तत्कालीन महाराजा माधवराव सिंधिया ने सन् 1913 ई. में पुरातत्व विभाग का गठन किया और ग्वालियर में संग्रहालय स्थापित करने का निर्णय लिया था। गूजरी महल में 28 कक्ष हैं, जिन्हें सम्पूर्ण रंगीन टाइल्स से अलंकृत किया गया है। संग्रहालय में प्रदर्शित किए गए विभिन्न पुरातात्विक सामग्रियों में पाषाण प्रतिमाएँ, शिलालेख, शास्त्रीय वाद्ययंत्र, मृणमयी मूर्तियाँ, सिक्के, पेंटिंग्स, अस्त्र-शस्त्र आदि शामिल हैं।
यह नया तकनीकी उपाय गूजरी महल के ऐतिहासिक महत्व को साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, साथ ही दर्शकों को उसके समृद्ध इतिहास को और निकट से जानने का मौका भी देगा।

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