बता दें की शिवपुरी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माधव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित रामसर साइट सांख्य सागर झील में चारों ओर जलकुंभी फैली है। इस जलकुंभी के कारणसांख्य सागर झील की हालत खराब है। जलकुंभी ने पूरी झील के पानी को घेर लिया है। नौकायन बंद पड़ा हैं। साथ ही नगर की आधी आबादी को सदियों से पेयजल उपलब्ध करवाने वाले इस चांद पाठा तालाब से वन्य जीवों के लिए पेयजल मिलता हैं। जबकि इसी तालाब में मगरमच्छ की भरमार हैं, बावजूद इसके वन महकमे की लापरवाही के चलते पूरे तालाब में जलकुंभी बिछी हुई नजर आती हैं जिससे आने वाली भीषण गर्मी में पानी का संकट सामने आ सकता हैं खासकर माधव नेशनल पार्क के वन्य प्राणियों को पानी के लिए परेशान होना पड़ सकता हैं वहीं बीते मानसून की तरह जलकुंभी के कारण डेम टूटने की नौबत आ सकती हैं। जैसा बीते साल हुआ था। दरअसल सांख्य सागर झील 1919 में तैयार हुई। इसकी विशेषता हैं की जल भराव 1132 फीट के बाद जैसे ही जल स्तर बढ़ता हैं इसके ओटोमेटिक गेटों से पानी की निकासी शुरू हो जाती हैं। बीते कुछ साल पहले जब डेम की दीवार में कुछ जगह दरार आईं तो इनसे जल निकलने लगा। जिससे जल स्तर कम होने और सौ साल के हो चुके डेम को खतरा उत्पन्न हुआ। ऐसे में तत्कालीन सरकार में मंत्री रहते ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुने और विशालकाय पत्थरों से निर्मित इस डेम की सुध ली और साढ़े छह करोड़ की राशि से इसका रिसाव बंद करवाया। लेकिन बताया जाता है की इसी दौरान जब रेडियल गेटों को बदलकर नए ओटोमेटिक गेट लगाए गए उसमे चूक हुई। जिन गेटों से हर साल उपजने वाली जल कुंभी बारिश के ओवर फ्लो के साथ डेम से निकल जाती थी वह नए गेटों के लगने के बाद निकलती नहीं बल्कि गेटों में जाकर फस जाती हैं जिससे डेम बारिश के दिनों में टूटने की संभावना जल संसाधन विभाग ने जाहिर की थी और मुनादी करवाने के साथ मीडिया ने खबर भी दी थी। खेर डेम तो नहीं टूटा लेकिन जलकुंभी की निकासी न होने से झील का अस्तित्व खतरे में हैं। एक और बात ये की सांख्य सागर झील पर जल संसाधन का अधिकार हैं लेकिन नेशनल पार्क की सीमा में होने से पार्क प्रबंधन उसे पूरी तरह दखल नहीं देने देता।

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