*राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने हेतु प्रधानमन्त्री को लिखे पत्र ज्ञापन को कलेक्टर शिवपुरी ने एक माह अपने पास रोककर रखा
*सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगने से हुआ खुलासा
*18 अप्रैल को वीर तात्या टोपे का 166 वा बलिदान दिवसशिवपुरी। भारत के प्रथम स्वाधीनता आन्दोलन 1857 के महान योद्धा क्रांतिरत्न तात्या टोपे के समाधि स्थल का विकास शासन-प्रशासन की उदासीनता के कारण अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।
आर्यावर्त सोशल फाउंडेशन की पहल पर क्षेत्रीय सांसद डॉ. के पी यादव ने वर्ष 2021 में संसद में तात्या टोपे समाधि स्थल को राष्ट्रीय संग्रहालय के रूप में विकसित कराने हेतु मांग उठाई। जिस पर केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली ने केन्द्रीय संग्रहालय अनुदान योजना के तहत् समाधि स्थल को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने में अपनी रूचि दिखाते हुए राज्य सरकार से पत्र व्यवहार किया जिस पर राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी मई 2021 में कलेक्टर शिवपुरी की ओर अंतरित की। लेकिन कलेक्टर कार्यालय ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। जब भी कलेक्टर कार्यालय से इस संदर्भ में जानकारी ली जाती तो प्रक्रिया जारी है कह कर टाल दिया जाता था।
उक्त संदर्भ में जब आर्यावर्त सोशल फाउंडेशन के अध्यक्ष एडवोकेट नितिन कुमार शर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय में पीजी के माध्यम से केंद्र सरकार से संपर्क किया तो पता चला कि केंद्र सरकार इस समाधि स्थल के विकास के लिए प्राथमिकता से कार्य करना चाहती है। किंतु राज्य सरकार व ज़िला प्रशासन डीपीआर बना कर भेजे तो।
*कलेक्टर शिवपुरी ने एक माह रोककर रखा प्रधानमंत्री के नाम भेजा ज्ञापन पत्र
आर्यावर्त सोशल फाउंडेशन ने एक मुहिम के तहत् तात्या टोपे समाधि स्थल को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने हेतु प्रधानमन्त्री जी के नाम मांग पत्र लिखने का आमजन व संस्थाआें से अनुरोध किया। जिस पर विभिन्न जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थानों, आदि द्वारा प्रधानमंत्री जी के नाम पत्र लिखे। वीर तात्या टोपे जी की जन्मजयंती समारोह के अवसर पर 6 जनवरी को फाउंडेशन के प्रतिनिधि मंडल ने एक ज्ञापन कलेक्टर शिवपुरी को प्रधानमंत्री जी के नाम सौंपा जिसमें सरपंच से लेकर सांसद तक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संगठनो के मूल पत्र संलग्न थे। किंतु हैरान कर देने वाली बात यह है कि आख़िर किस कारण से कलेक्टर शिवपुरी ने जनप्रतिनिधियों के पत्र लगे ज्ञापन को प्रधानमंत्री जी की ओर प्रेषित नहीं किया। बार-बार जानकारी न देने पर जब एडवोकेट नितिन कुमार शर्मा ने सूचना के अधिकार का प्रयोग किया तब कहीं जा कर कलेक्टर शिवपुरी द्वारा आनन फानन में ज्ञापन एक माह बाद 8 फरवरी को सचिव मध्यप्रदेश शासन की ओर प्रेषित किया।
विदित है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश की स्वाधीनता में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महानायकों के सम्मान में उल्लेखनीय कार्य किया है। किंतु क्षेत्रीय नेतृत्व, राज्य सरकार व ज़िला प्रशासन की लापरवाही के कारण भारत की प्रथम क्रांति के सूत्रधार सेनानी तात्या टोपे समाधि स्थल को विकास से वंचित रखा गया।
"अब मुझे लगता है कि काश! तात्या टोपे का जातिगत आधार पर वोट बैंक होता तो निश्चित ही आज़ उनका पवित्र समाधि स्थल इस तरह अपमान और बदहाली का शिकार न होता, सरकार अभी तक इसे उनकी अंतरराष्ट्रीय गरिमा के अनुकूल विकसित कर लोकार्पण कर चुकी होती। हम पिछले एक दशक से समाधि स्थल के विकास के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार से हमारा विश्वास उठ सा गया है हम इसके विकास के लिए कानूनी रास्ता ज़रूर निकालेंगे"।
एडवोकेट नितिन कुमार शर्मा

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