इन चार महीनों में अनाज कम से कम खाएं, जो खाएं भी तो गेंहू-चावल छोड़कर मोटा अनाज जैसे कि मिलेट खाएं. पेट जितना हलका और ठंडा रखें, बेहतर है.
लंच से पहले खीरा, ककड़ी, टमाटर, प्याज की सलाद और बाक़ी हर घंटे तरबूज, खरबूजा, आडू, खुम्बानी, आलूबुखारा, अनार, सेव, अंगूर, कीवी, चेरी, स्ट्राबेरी, अनान्नास, संतरा, आदि लेते रहें.
इसके अलावा नीम्बू जल, आम का पन्ना, गन्ने का रस, छाछ, मट्ठा, नारियल पानी, बेल का शरबत पीते रहें, फ्रीज के पानी की जगह मटकी का पानी पीयें.
मिर्च-मसाले, तले-भुने से पूर्णतः परहेज करें. घर में बना सादा भोजन ही करें. गरमी में भोजन जल्दी सड़ने लगता है, इसलिए बासी भोजन ना करें, वरना डायरिया हो सकता है.
इससे एक तो गरमी का अहसास कम होगा, तरावट रहेगी, शरीर को नमी मिलेगी और दूसरे पेट की बीमारियों से बचे रहेंगे.
स्वस्थ रहे, दीर्घायु को प्राप्त करें, डाक्टरों और दवा कम्पनियों के जाल से स्वयं को बचाएं. सौ साल तक युवा बने रह कर जीयें.

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