शिवपुरी। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मनुष्य के पाप कट जाते है। लेकिन कथा सुनने में तीन बाधाए व्यवधान उत्पन्न करती है जिनमें नींद, वाणी और पैर शामिल है। जो भक्त इन बाधाओं से मुक्त होकर भागवत कथा का श्रवण करते है उनका कष्ट, दुख, दरिद्रता व्याधि सहित जीवन की अन्य समस्याएं नष्ट हो जाती है। उक्त बात कोलारस विकास खण्ड के ग्राम पडौदा के हनुमान मंदिर पर चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत भागवत कथा में पंडित राधेश्याम शर्मा ने भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए कही।
उन्होंने कहा भागवत कथा प्राप्ति नही अपितु प्रेम का साधन है जब तक प्रेम नहीं होगा अनुशक्ति प्राप्त नही होगी। अतः हमें भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करना होगा। श्रीमद्भागवत कथा मृत्यु से नही बल्कि उसके भय से बचाती है। क्योंकि जो होना है वह होगा उसकी चिन्ता क्यो करे। उन्होंने भागवत कथा में भगवान शिव माँ आदिशक्ति की कथा सुनाते हुए कहा माँ पार्वती के नवरूप है जिनकी आराधना हम करते है जिनमें पहला रूप शैल पुत्री,दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा रूप कुष्मांडा, पांचवा स्कंदमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी व नवमा रूप सिध्दिदात्री है। कथा के दौरान पंडित राधेश्याम शर्मा ने श्रीमद्भागवत कथा के अन्य प्रसंगों को गीत व संगीत के माध्यम से सुनाया।
फोटो कैप्शन : श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराते पंडित श्री शर्मा।
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