बता रहा है जिसे सबको मुहब्बत की दुकान
नज़र वो आ रही है साफ सियासत की दुकान
अब इक पढ़े लिखे ज़ाहिल को कौन समझाए
सनातन धर्म को समाप्त करने की बात कहने वालों को ललकारते हुए सुकून शिवपुरी ने कहा -
वो ख़ूब चमके पर इतना ग़ुरूर ठीक नहीं
वो एक फूंक से हमको बुझा न पाएगा
ये कह दो जुगनू से औक़ात में रहे अपनी
क़रीब आएगा सूरज के तो जल जाएगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मित्तल जी ने युवा कवियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम सिर्फ़ नए युवा कवियों को तराश कर उन्हें योग्य मंच प्रदान कर शिखर तक पहुंचाने का कार्य ही नहीं करता, अपितु वह समाज व राष्ट्र सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय है। सभी युवा कवि अपनी कविताओं को अपने जीवन में भी उतारें और राष्ट्र के उत्थान व नवनिर्माण के लिए राष्ट्र जागरण का कार्य करते रहें ।



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