*लिंग आधारित हिंसा मानवाधिकारों के सबसे भयावह उल्लंघनों में से एक है। राजा बेटी आदिवासी जागरूक महिला
*तीन में से एक महिला अभी भी शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती है। पिंकी चौहान महिला अधिकार कार्यकर्ता
शिवपुरी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया भर में लगभग तीन में से एक महिला और लड़की को हिंसा का सामना करना पड़ता है
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस है आज, हर 10 मिनट में होती है एक महिला की हत्या तीन में से एक महिला अभी भी शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती है। कोई भी देश या समुदाय इससे अछूता नहीं है।
25 नवंबर को दुनिया भर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया गया है। यह सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय समूहों और सदस्य संगठनों के लिए एक दिन है, ताकि वे इस मुद्दे के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए एक साथ आ सकें।
इसी उद्देश्य को लेकर शक्ति शाली महिला संगठन शिवपुरी द्वारा शिवपुरी शहरी की पांच आगनवाड़ी केंद्रों महल सराय, बड़ौदी, मदकपुरा, ठकुरपूरा एवं फक्कड़ मोहल्ला में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने के लिए तीन सेकड़ा महिलाओं को आज जागरूक किया अधिक जानकारी देते हुए संस्था की महिला अधिकार मुद्दों की नोडल पिंकी चौहान ने बताया कि आज दुनिया भर में सबसे व्यापक, लगातार और विनाशकारी मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है। चुप्पी, कलंक, शर्म, पीड़ितों के लिए सुरक्षा और निवारण की कमी के कारण यह काफी हद तक सामने नहीं आता है। लिंग आधारित हिंसा मानवाधिकारों के सबसे भयावह उल्लंघनों में से एक है। यह एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा मानने के प्रयासों को भी विफल करता है क्योंकि अंतरंग साथी हिंसा महिलाओं में एचआईवी संक्रमण के बढ़ते खतरों से जुड़ी है और परीक्षण और उपचार तक पहुंच को कम करती है। बबिता कुर्मी ने ठकुरपुरा मे कहा कि दुनिया भर में आठ में से एक महिला और लड़की 18 वर्ष की आयु से पहले यौन हिंसा का अनुभव करती है। हानिकारक लिंग मानदंड, सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और सस्ती यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की कम प्राथमिकता, साथ ही कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली महिलाओं में एचआईवी संक्रमण के खतरों को बढ़ाती है और एचआईवी सेवाओं तक पहुंच को रोकती है। आज का दिन के अवसर पर नर्मदा शाक्य ने करौंदी एवं फक्कड़ कॉलोनी के जागरूकता कार्यक्रम में कहा किइसका उद्देश्य इस मुद्दे के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है और साथ ही दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा को खत्म करने के लिए समर्पित नीति निर्माण और संसाधनों को बढ़ाना है।
महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने और समाप्त करने के लिए उनसे जुड़े मुद्दों को सामने लाने का आह्वान करता है, न केवल साल में एक बार 25 नवंबर को, महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, बल्कि हर महीने। करण एवं धर्म गिरी ने बडौदी में कहा कि हर दिन औसतन 140 महिलाओं और लड़कियों की हत्या उनके ही परिवार के किसी न किसी सदस्य द्वारा कर दी जाती है। लगभग तीन में से एक महिला अभी भी शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती है। कोई भी देश या समुदाय इससे अछूता नहीं है।
यह दिन दुनिया भर में लोगों को हिंसा के खिलाफ कार्य करने के लिए एकजुट करता है, चाहे वह विरोध प्रदर्शनों, जागरूकता अभियानों या शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से क्यों न हो। आज इस अवसरआंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया साथ ही ज्योति भार्गव, सीमा आदिवासी ,रजनी आदिवासी, शिमला आदिवासी, सपना आदिवासी , सुनीता आदिवासी
राजकुमारी आदिवासी , कुसुम आदिवासी एवं राजाबेटी आदिवासी ने मुख्य रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग प्रदान किया।

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