शिवपुरी। श्रीकृष्ण-रूकमणी मंगल विवाह की कथा यदि श्रीमद् भागवत कथा में है तो समझिए कि यह गृहस्थ जीवन के लिए एक संदेश है कि पति-पत्नि एक ही गाड़ी के दो पहिए है जिन्हें मिलकर चलना चाहिए, यदि एक भी पहिया गड़बड़ हुआ तो समझिए गृहस्थ जीवन भी डगमगाने लगता है इसलिए इसे विश्वास की डोर से पवित्र करें और रखें ताकि यह संदेश हरेक गृहस्थ जीवन जीने वाले को मिले कि जब भगवान ने विवाह रचाया और उसे निभाया तो इस संसार के हरेक मनुष्य को भी अपने गृहस्थ जीवन को इसका पालन करना चाहिए और मिलकर ही अपना घर-परिवार चलाऐं, भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी मंगल विवाह है हमें बताता है कि हमे अपने दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए, जब विवाह होता है तो अग्नि के समक्ष पति पत्नी के रूप में साक्षी होकर सात वचन जब सुने जाते है तो उन्हें निभाना भी ईमानदारी से चाहिए, क्योंकि विवाह बंधन एक दूसरे का विश्वास का प्रतीक है। मानव जीवन के दांपत्य जीवन का यह सार सुनाया व्यासपीठ से कथा का वाचनप्रसिद्ध श्रीमद् भागवत कथा मर्मज्ञ पं.श्री अंकुश तिवारी महाराज (ओरैया वाले) ने जो स्थानीय शगुन वाटिका में पंसारी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण रुकमणी मंगल विवाह कथा के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं को वैवाहिक जीवन पर आर्शीवचन प्रदान कर रहे थे। इस अवसर पर कथा यजमान परिजन समाजसेवी पंसारी परिवार के श्रीमती पिस्ता-राधेश्याम गुप्ता, श्रीमती मंजू-पंकज कुमार एवं श्रीमती ऋचा-विनय गुप्ता के द्वारा श्रीकृष्ण-रूकमणी मंगल विवाह के प्रतीक स्वरूप झांकी का स्वागत किया और पूजन-करते हुए धर्मलाभ प्राप्त किया। इस अवसर पर श्रीकृष्ण-रूकमणी मंगल विवाह के अवसर पर आकर्षक शोभा यात्रा भी निकाली गई जिसमे भगवान की बारात में शामिल होकर श्रद्धुलाओ ने धर्मलाभ प्राप्त किया।
्रलायंस क्लब साउथ ने किया कथावाचक पं.अंकुश तिवारी जी महाराज का अभिनंदन
पंसारी परिवार शिवपुरी के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के भव्य आयोजन में धर्म का संदेश प्रदाय करने वाले व्यासपीठ से कथावाचक पं. अंकुश तिवारी जी महाराज का भव्य अभिनंदन समाजसेवी संस्था लायंस क्लब ऑफ शिवपुरी साउथ शिवपुरी के द्वारा कथा स्थल पर पहुंचकर किया गया। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष ला.सौरभ सांखला, सचिव कृष्णमोहन अग्रवाल (बंटी) व कोषाध्यक्ष विवेक अग्रवाल के साथ एड.पारस जैन, नरेन्द्र जैन भोला, मुकेश जैन खरई, सुनील जैन, विकास अग्रवाल (वॉली) के द्वारा शॉल-श्रीफल एवं अभिनंदन पत्र भेंट करते हुए महाराजश्री से आर्शीवाद प्राप्त किया। इस अवसर पर कथा यजमान परिजनों के साथ सभी लायंस साथियों ने कथा विश्राम के दौरान आरती करते हुए प्रसाद वितरण करते हुए पुण्य लाभ अर्जित किया।
इन्द्र के नहीं बल्कि हरेक अभिमानी के अभिमान को दूर करने भगवान ने कराई गोवर्धन पूजा : अंकुश तिवारी
एक दिन पहले शगुन वाटिका में उत्साह और उल्लास के साथ हुई गोवर्धन पूजा, कथा आयोजक पंसारी परिवार ने की गोवर्धन परिक्रमा, बंटा अन्नकूट प्रसाद
जब - जब अधर्म और अभिमान का प्रकोप बढ़ता है तब - तब भगवान ने अपनी विभिन्न लीलाओं के माध्यम से ऐसे अभिमानियों को उनकी गलती का एहसास कराया और श्रृष्टि रक्षा की, श्रीमद भागवत कथा में भी इंद्र का ही अभिमान नहीं बल्कि हरेक अभिमानियों के अभिमान को दूर करते हुए भगवान ने श्रीगोवर्धन पूजा कराई और आज उसी गोवर्धन में श्रद्धा का सैलाब हर माह उमड़ रहा है, इसलिए मनुष्य किसी भी प्रकार का अभिमान ना पाले कि उसने फला काम कर दिया तो यह उसकी वजह से हुआ बल्कि अपने द्वारा की गई किसी भी प्रकार की मदद हो या सहयोग उसे ईश्वर स्वरुप मानकर ही करना चाहिए तभी यह मानव जीवन सार्थक होगा। इंद्र के अभिमान को तोड़ते हुए श्रीगोवर्धन पूजा का यह तत्व बताया व्यासपीठ से पंडित अंकुश तिवारी जी महाराज ने जो स्थानीय शगुन वाटिका में पंसारी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में गोवर्धन पूजा कथा वृतान्त का उपस्थित श्रद्धालुओं को श्रवण करा रहे थे। इस दौरान कथा के यजमान समाजसेवी पंसारी परिवार के श्रीमती पिस्ता-राधेश्याम गुप्ता, श्रीमती मंजू-पंकज कुमार एवं श्रीमती ऋचा-विनय गुप्ता परिजनों के द्वारा श्रीमद् भागवत पूजन व श्रीगोवर्धन पूजन किया गया तत्पश्चात गोवर्धन परिक्रमा करते हुए उत्साह और उल्लास के साथ श्रीगोवर्धन पूजा के भजन गाए गए। इस अवसर पर कथावाचक अंकुश तिवारी ने इस संसार के हरेक मनुष्य को उसके बोध कराते हुए कहा कि किसी भी रूप में हमें अभिमान नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्रता और सहजता से अपने कार्यों को करना चाहिए, यह सरल-सहज स्वभाव अपने संस्कारों के साथ आने वाली पीढ़ी में भी दें ताकि हरेक घर-परिवार में सरलता, सहजता और विनम्रता बनी रहे। इसके साथ ही कथा विश्राम के दौरान आयोजक पंसारी परिवार के द्वारा श्रद्धालुओं में गोवर्धन पूजा के अवसर पर अन्नकूट का प्रसाद वितरण किया गया। कथा स्थल शगुन वाटिका में आयेाजित श्रीमद् भागवत कथा विश्राम की ओर है और श्रीकृष्ण-रूकमणी मंगल विवाह और श्रीकृष्ण-सुदामा चरित कथा के साथ कथा को विश्राम दिया जाएगा।

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