जांच में जो तथ्य उजागर हुए उसके अनुसार सस्पेक्टेड बताया जा रहा वाहन नियमित रूप
से दूध की सप्लाई करने वाला है तथा उसमें उपलब्ध दूध मिलावटी नहीं निकला।
प्रशासन कोर्ट में फसा तो आया था बेक फुट पर
आपको बता दें कि आनंद दूध डेयरी पर कुछ महीने पहले जिला प्रशासन ने एक केस दर्ज किया था, जिसे गलत ठहराते हुए डेयरी संचालक हाइ कोर्ट तक जा पहुंचा। जहां प्रशासन गलत निकला तो पुलिस के तत्कालीन टीआई और केस दर्ज करने वाले अधिकारी की भावर पड़ गई थी जिसे लेकर पुलिस ने किसी तरह जोड़ तोड़ करके उक्त केस निपटाया। आज फिर किसी शैतान आत्मा ने अफवाह फैला दी थी। आपको बताना होगा कि नगर में दूधियों की हड़ताल में आनंद राठौड़ और चंद डेयरी संचालक ही दूध के दाम मनमाने नहीं बढ़ने देते और जनता का पक्ष रखते हैं अन्यथा दूध कभी का महंगा हो जाता। दूसरी बात ये कि अगर किसी की खाद्य सामग्री मिलावटी होती तो उसका काउंटर इस तरह रोज भरा नहीं दिखता जैसे कोई चीज फ्री मिलती हो। हम किसी की तरफदारी नहीं करते लेकिन सच को सच लिखना हमारा दायित्व है।
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