10 मार्च को जहां बाघिन को पूर्व इलाके में छोड़ा था, उसी क्षेत्र में इस टाइगर को छोड़ा गया है। इसकी पुष्टि प्रियांशी सिंह, उप संचालक, माधव टाइगर रिजर्व शिवपुरी ने की। उन्होंने कहा कि टाइगर छोड़ने को लेकर रिजर्व में हमारी पूरी तैयारी थी।                 (देखिए video)
 
तांडव है टाइगर का नाम, लेकिन अब नहीं करेगा माधव टाइगर रिजर्व में तांडव, जानिए क्यों ?
इस टाइगर का नाम 'तांडव' है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से टाइगर 'तांडव' को 3 अप्रैल की अल सुबह शिवपुरी लाकर छोड़ा गया। जैसे ही उसे छोड़ा वह अंधेरे में कहीं खो गया। बता दें कि पर्यटन बढ़ाने के लिए माधव टाइगर रिजर्व के सेलिंग क्लब क्षेत्र में टाइगर लाकर छोड़े जा रहे हैं। शिवपुरी में टाइगर लाकर बसाने से अब धीरे-धीरे टूरिज्म भी बढ़ने लगा है। बाघिन आने के बाद आज 3 अप्रैल को बांधवगढ़ टाइगर  रिजर्व से टाइगर एमटी-5 'तांडव' को छोड़ा गया है। शिवपुरी लाये गए इस टाइगर का नाम तांडव, गाइड और सैलानियों ने रखा है। दरअसल यह टाइगर बांधवगढ़ में टेरिटोरियल फाइट जीतने में माहिर रहा।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में टाइगर तांडव अपना टेरिटरी एरिया के लिए दूसरे टाइगर से फाइट करता था। हर बार दूसरे टाइगर को हरा देता है। इस कारण टेरिटोरियल फाइट जीतने पर नाम तांडव पड़ा। लेकिन अब माधव टाइगर रिजर्व शिवपुरी में आने के बाद तांडव को टेरिटरी बनाने दूसरे टाइगर से फाइट की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि फिलहाल पूर्व इलाके का इकलौता वही मालिक हो गया है, बाघिन से उसकी किस तरह की टकराहट होगी आप खुद समझ सकते हैं।
बाघिन के आसपास डोलेगा तो नजर आएगा पर्यटकों को, आदमी ही नहीं मातृ शक्ति का गुलाम! टाइगर भी नाचते हैं उंगली पर 
माधव टाइगर रिजर्व में 10 मार्च को मादा टाइगर को छोड़े जाने के बाद अब नर टाइगर को भी मुक्त किया गया है। जिससे टाइगर दूर न भागे, इसलिए पहले मादा टाइगर छोड़ी है।  अब नर टाइगर को उसके साथ छोड़ा गया है। मादा टाइगर पहले से क्षेत्र में होने की वजह से नर टाइगर दूर नहीं जा सके, जिससे सैलानी आसानी से टाइगर देख सकेंगे। मादा टाइगर ने शिवपुरी आने के बाद तीन सप्ताह के भीतर अपना टेरिटरी एरिया बना चुकी है।
प्लान से लाया गया अब टाइगर
बता दें कि इसके 23 दिन पहले माधव टाइगर रिजर्व में सीएम डॉ मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री द ग्रेट ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को पन्ना की बाघिन एमटी-4 को छोड़कर नेशनल पार्क को माधव टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया था। इसी समय दो टाइगर आने थे लेकिन प्लान के अनुसार पहले बाघिन को लाया गया। 
 
 
 









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