शिवपुरी, 28 मई 2025। विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर शिवपुरी के बड़ोदी सड़क स्थित सामुदायिक स्थल पर एक प्रभावशाली और जनजागरूकता से भरपूर कार्यक्रम का आयोजन शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा किया गया। यह आयोजन माहवारी स्वच्छता जैसे संवेदनशील विषय पर सामाजिक चुप्पी को तोड़ने और ग्रामीण-आदिवासी समुदाय की महिलाओं-बालिकाओं को स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 10:30 बजे हुई, जिसमें बड़ी संख्या में किशोरियाँ, महिलाएँ, स्वंय सहायता समूह की सदस्याएँ और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता नर्मदा शाक्य नोडल एम एच एम प्रोग्राम द्वारा की, जिन्होंने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा:
> "माहवारी कोई बीमारी नहीं, यह एक जैविक प्रक्रिया है। हमें शर्म की नहीं, समझ और स्वच्छता की ज़रूरत है। समाज तभी बदलेगा जब हम बेटियों को संकोच नहीं, समर्थन देंगे।"
कार्यक्रम की मुख्य झलकियाँ:
विशेष संवाद सत्र: रजनी सेन द्वारा किया जिसमें किशोरियों ने खुलकर अपने अनुभव साझा किए और माहवारी से जुड़े भ्रमों पर चर्चा की गई।
विशेषज्ञों का मार्गदर्शन:
आंगनवाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ता पिंकी लोधी ने महिला स्वास्थ्य पर विशेष जोर देते हुए कहा कि मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के महत्व, संक्रमण से बचाव और उचित देखभाल की वैज्ञानिक जानकारी दी। पुनः उपयोगी सैनिटरी किट का वितरण: लगभग 50 किशोरियों और महिलाओं को संस्थान द्वारा बायो डिग्रेबल पर्यावरण अनुकूल, उपयोगी सैनिटरी पैड्स वितरित की गई। एम एच एम की चैंपियन दानवती ने अपनी सहेलियों के साथ एक नाटक द्वारा नाटक और गीतों के माध्यम से माहवारी को लेकर फैले मिथकों पर व्यंग्यात्मक और सशक्त प्रस्तुत किया।
अंत में फीडबैक सत्र: जिसमें उपस्थित किशोरियों एवं महिलाओं ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से उन्हें न केवल जानकारी मिलती है, बल्कि आत्मबल भी बढ़ता है।
इस अवसर पर कई स्थानीय आंगनवाड़ी सहायिकाओं, महिला समूह प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ता करण एवं धर्म गोस्वामी ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए विश्व महावारी स्वच्छता दिवस की इस पहल को जन-जागरूकता का क्रांतिकारी कदम बताया।
सहभागिता और प्रतिबद्धता:
कार्यक्रम का समापन 'स्वच्छता है स्वाभिमान' के उद्घोष के साथ हुआ। उपस्थित सभी सहभागियों ने माहवारी स्वच्छता को अपने जीवन में अपनाने और दूसरों को जागरूक करने की शपथ ली।
शक्ति शाली महिला संगठन की यह पहल न केवल माहवारी को लेकर समाज में व्याप्त संकोच को तोड़ने की दिशा में एक मजबूत प्रयास थी, बल्कि इससे सैकड़ों महिलाओं और किशोरियों को एक नई दृष्टि, आत्मबल और सम्मान भी मिला।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें