शिवपुरी। बालकों के विरुद्ध बढ़ते यौन अपराध गंभीर चिंता और चिंतन का विषय है। लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम जैसे कठोरतम कानून के बावजूद भी अपराधियों को उचित दंड नहीं मिल पा रहा है,जिसके पीछे अनेकों कारण है। पीड़ित को शीघ्र न्याय और
अपराधियों को उचित दंड मिल सके, इसके लिए अब प्रत्येक पॉक्सो पीड़ित बालक को एक सहायक व्यक्ति उपलब्ध कराया जाएगा। जो बच्चे को होने वाली क्षति को कम करने, न्याय तक पहुंच को सुगम बनाने और उसके पुनर्वास में मदद करेगा। दरअसल पॉक्सो कानून में पीड़ित को जरूरत होने पर सहायक व्यक्ति उपलब्ध कराने का प्रावधान था, किंतु
बहुत कम मामलों में पीड़ितों को सहायक व्यक्ति उपलब्ध कराए गए। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हर पीड़ित को सपोर्ट पर्सन उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
एवं महिला बाल विकास विभाग द्वारा तैयार कार्ययोजना अनुसार हर जिले में सपोर्ट पर्सन का एक पैनल तैयार किया गया है।
बीते रोज सपोर्ट पर्सन का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें जिला कार्यक्रम अधिकारी डीएस जादौन, सहायक संचालक महेंद्र सिंह अम्ब, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष सुगंधा शर्मा,सदस्य रेखा शर्मा, ज्ञानसिंह कौरव,संतोष पांडेय एवं धीरेंद्र सिंह राजपूत, बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा एवं ममता संस्था की समन्वयक कल्पना रायजादा के द्वारा कानूनी प्रावधानों एवं सपोर्ट पर्सन के कर्तव्यों की जानकारी दी गई।
जिला कार्यक्रम अधिकारी डीएस जादौन ने कहा कि सहायक व्यक्ति पीड़ित बच्चे के लिए अभिभावक के रूप में कार्य करेंगे तथा बच्चों के खिलाफ़ अपराधों की जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखेंगे। बच्चे को भरोसा दिलाएंगे कि वे उसकी हर तरह से मदद करेंगे।पीड़ित के प्रति जागरूक साथी और सजग अभिभावक जैसा भाव होंना जरूरी है
पॉक्सो एक्ट के तहत नामांकित सपोर्ट पर्सन यौन अपराध से पीड़ित बच्चे को कानूनी प्रक्रिया, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सा, आर्थिक और सामाजिक सहायता प्रदान करने तथा बच्चे को अपराध के प्रभाव से उबरने और एक सुरक्षित और सहायक वातावरण में पुनर्वास करने में मदद करेंगें। सपोर्ट पर्सन बच्चे को अपराध के प्रभाव से उबरने और एक सुरक्षित और सहायक वातावरण में पुनर्वास करने में मदद करता है।

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