शिवपुरी। माधव टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया टाइगर एमटी-1 बीते तीन महीने से लापता है। मीडिया लगातार इस तरह की खबर प्रकाशित करती रही लेकिन वन महकमे की चुप्पी ने इस बात की पुष्टि नहीं की जबकि माधव टाइगर रिजर्व (MTR) में छोड़े गए तीन टाइगर (MT-1, MT-2, और MT-3) की कॉलर आईडी 2024 में ही बंद हो गई थी, जिससे उनकी निगरानी में बाधा आ रही थी। हद तो तब हुई जब इनमें से एक टाइगर एमटी-1, पिछले तीन महीनों से लापता हुआ और उसके पदचिह्न या अन्य कोई सुराग नहीं मिला तो अब जबकि विधानसभा में ये मुद्दा उठा है तो हड़कंप मचा है। हालांकि एमटी-2 और एमटी-3 के पदचिह्न समय-समय पर देखे जाने से उनकी पार्क में मौजूदगी का दावा पार्क प्रबंधन कर रहा है लेकिन जो टाइगर लापता है उसे ढूंढने अब कूनो से हाथी बुलाए गए हैं। इस सारी स्थिति को देखकर ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि शिवपुरी जिले में मौजूद वन विभाग के अधिकारी शायद शिवपुरी के माधव टाइगर रिजर्व के पर्यटन को बढ़ते देखना नहीं चाहते।रिजर्व की शुरुआत से स्थानीय मीडिया को हाशिए पर रखकर चलने वाले शिवपुरी के अधिकारी टाइगर खो जाने यानि लापता होने के मामले को भी हल्के में लिए बैठे हैं। लोगों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी में पर्यटन विकास की जो संभावना देख रहे हैं उनकी मंशा पर शिवपुरी के अधिकारी भारी हैं। इनके स्थान पर पर्यटन में रुचि रखने वाले अच्छे फीड बैक के अधिकारियों को शिवपुरी में लाना आवश्यक हो गया है।
चीता वाले हाथी ढूंढेंगे लापता टाइगर को
माधव टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने कूनो नेशनल पार्क से दो हाथी और एक हथिनी को बुलाया है। इन हाथियों की मदद से लापता एमटी-1 टाइगर को खोजने के साथ सभी टाइगर की कॉलर आईडी बदलने का प्रयास किया जाएगा।
सवाल ये जब मालूम एक साल चलती कॉलर आईडी तो पहले क्यों नहीं जागे अधिकारी
टाइगरों की निगरानी के लिए उनके गले में पहनाई जाने वाली कॉलर आईडी विदेश से मंगवाई जाती हैं और इनकी अवधि एक वर्ष की होती है। एक बार कॉलर आईडी बंद हो जाने के बाद, टाइगर को इतने बड़े जंगल में खोजना मुश्किल हो जाता है, खासकर जब एमपी और राजस्थान के जंगल एक-दूसरे से सटे हैं। टाइगर राजस्थान की सीमा में भी जा सकते हैं। तब सवाल ये है कि वन अधिकारी एक साल के पहले क्यों हरकत में नहीं आए? क्यों कॉलर आईडी नहीं बदली ?
विधानसभा में उठा मुद्दा
जो कभी नहीं होता था बंद वो नेशनल पार्क पर ताले!
इतिहास गवाह है कि 90 के दशक में भी जब शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी हुआ करती थी तब भी मानसून में शिवपुरी का नेशनल पार्क कभी पर्यटकों के लिए बंद नहीं हुआ लेकिन बीते दो तीन सालों से पार्क बंद कर दिया जाता है। जबकि शिवपुरी के पार्क में लाल मुरम की पक्की सड़कें होने के चलते ये कभी बंद नहीं हुआ।
हरियाली से आच्छादित रहती है शिवपुरी, खिल उठते हैं झील झरने
शिवपुरी में बारिश शुरू होते ही हरियाली खिल उठती है। झील झरने इतराते जान पड़ते है देश विदेश के पर्यटकों के लिए ये मानसून आकर्षण हो सकता है लेकिन यहां पर्यटकों को पर्यटन स्थलों पर जाने से रोक दिया जाता है। जो ठीक नहीं।
ठेके पर दीजिए होम स्टे की तरह लाइए स्कीम
जिले में करीब 50 ऐतिहासिक झील झरने किले तालाब नदियां जंगल इमारतें मौजूद हैं इन्हें देखना अचंभित करने वाला है इसीलिए किसी भी खतरे से दूर इन स्थलों को निजी ठेके पर दिया जाना चाहिए। कोई पानी के पास न जाए इसकी जिम्मेदारी भी ठेके पर हो। साथ ही इंडक्शन के उपयोग के साथ खान पान की व्यवस्था निर्धारित दरों पर पर्यटन स्थलों पर करना चाहिए न कि इन पर ताले लगाकर बैठे रहने से पर्यटन बढ़ेगा।
हां लापता है टाइगर, बुलवाए हैं हाथी
सिंह परियोजना के डायरेक्टर उत्तम शर्मा ने स्वीकार लिया है कि तीनों बाघों की कॉलर आईडी बंद हो चुकी हैं। हम पदचिह्न तथा कैमरों की सहायता से निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि करीब तीन माह से एमटी-1 के पदचिह्न या जंगल में मौजूदगी का कोई संकेत नहीं मिला है और बाघ को खोजने व डायवर्ट करने के लिए हाथियों की आवश्यकता होती है, जिसके लिए कूनो से हाथी बुलाए गए हैं।
दो महिला अधिकारियों ने लिए थे प्रयास, अब दोनों के हो चुके ट्रांसफर
बात कड़वी है लेकिन माधव टाइगर रिजर्व में पार्क को बीते समय में जिन दो महिला अधिकारियों ने देखा उनमें से एक ने रिजर्व की बाउंड्री वाल तैयार करवाई, और भी कुछ काम किए। जबकि हाल ही में इंदौर स्थानांतरित एसपी अमन सिंह की पत्नी ने भी माधव टाइगर रिजर्व के विकास के लिए काम किए। इसी तरह के रुचिकर अधिकारी शिवपुरी में तैनात करना होंगे।

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