शिवपुरी। श्री गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, भक्त भगवान गणेश की मूर्ति को शुभ मुहूर्त में स्थापित करते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। वहीं, मूर्ति स्थापित करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से बेहद शुभ फल की प्राप्ति होती है। श्री गणेश चतुर्थी आज बुधवार को है। बाजार आकर्षक मूर्तियों से सजे हुए हैं, मिट्टी से लेकर अन्य तरह की मूर्तियां मौजूद है। इधर नगर के हनुमान मंदिर माधव चौक स्थित लक्ष्मी मिष्ठान भंडार पर गणेश भगवान को नित्य भोग लगाने के लिए स्पेशल कलर फुल मोदक तैयार किए गए है। आज घर और प्रतिष्ठानों में श्री जी का आगमन होना है इसके लिए पंडित विकासदीप शर्मा का देखिए मुहूर्त।
कहा जाता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मध्याह्न में भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसे में आज के दिन दोपहर के समय ही अभिजीत मुहूर्त में उनकी मूर्ति स्थापित करना शुभ माना जाता है।
इस तरह कीजिए पूजा
इस तरह कीजिए पूजा
भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने की विधिभगवान गणेशजी की मूर्ति के साथ-साथ कल की स्थापना पूर्व या उत्तर दिशा में करना सबसे उत्तम माना जाता है। इसके बाद, गणपति बप्पा के सभी नामों का जाप करें।जिस भी स्थान पर आप भगवान गणेश की मूर्ति रखें वहां स्वास्तिक जरूर बनाना चाहिए और उस पर चावल व पुष्प की वर्षा करें।पुष्प, धूप, दीप आदि के साथ विधि-विधान से गणेशजी की पूजा करें और अंत में घी का दीपक जलाकर आरती करें।
गाजे बाजे डीजे के साथ विराजे भगवान गणेश जी
आज से एक दिन पहले नगर के फिजिकल से नगर के पंडालों के लिए भगवान गणेश जी भक्त लेकर गए। डीजे की धुन पर लोग उन्हें पंडालों में लेकर गए। आज पूजन के साथ स्थापित किए जाएंगे। फिजिकल पर कल जाम के हालात बने रहे।
जानिए विशेष, गणेश पुराण में भगवान हेरमब की अनेकों इस्तुलय कथाओं का वर्णन है, इसी में गणेश जी के निम्न आठ प्रमुख अवतारों की कथा आई है। वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लम्बोदर, विकट, विधनराज, धूमवर्ण
1. गणेश्वर का प्रथम अवतार है वक्रतुण्ड अवतार। भगवान वक्रतुण्ड ने मत्सरासुर का संहार किया था जो कि देवराज इंद्र के प्रमाद से उत्पन्न हुआ था। वक्रतुण्ड सिंहारूढ़ बतलाए गए हैं।
2. एकदंत अवतार में भगवान के हाथों मदासुर नामक असुर का उद्धार हुआ। एकदंत भगवान का वाहन मूषक है। भगवान गणेश का एक नाम महोदर भी है जिसका शाब्दिक अर्थ बड़े उदर यानी पेट वाला है।
3. महोदर अवतार में भी मूषकवाहन गजानन ने मोहासुर नामक दैत्य का वध करके जगत का कल्याण किया।
4. गजानन अवतार में भी मूषक को अपने साथ ले देव ने लोभासुर नाम राक्षस से त्रिलोक को मुक्ति दिलाई।
5. लम्बोदर अवतार में मूषकसवार गणेशजी ने क्रोधासुर का उन्मूलन करके भक्तों को सुख प्रदान किया।
6. विकट भी भगवान गणेश का अनन्य नाम है। इस विकटावतार में कामासुर नामक दैत्य का संहार करके उसका उद्धार किया। उन्होंने मयूर को अपना वाहन निर्दिष्ट किया जो कि उनके भ्राता कार्तिकेय का वाहन है।
7. भगवान गणेश विघ्नविनाशक हैं। विघ्नराज अवतार की कथा में उन्होंने ममतासुर नामक दैत्य का वध किया जो कि माता गिरिजा के हास्य से ही उत्पन्न हुआ था। भगवती पार्वती अपने प्राणप्रिय महादेव से रूठकर उपवन में बैठी थीं और उसी मान की अवस्था में उन्हें हंसी आ गई, जिससे ममतासुर का जन्म हुआ। ममतासुर का वध करने वाले विघ्नराज शेषवाहन हैं जिन्होंने उसके गर्व को चूर कर दिया।
8. अष्टम अवतार धूम्रवर्णावतार है जिनका स्वरूप धूम्र समान है और उनका वाहन भी मूषक है। इस अवतार में समस्त बलों के अधिष्ठाता भगवान धूम्रवर्ण ने अभिमान नामक असुर का नाश करके त्रैलोक्य का मंगल किया।
सार यह है कि भगवान गणेश मत्सर, मद, मोह, लोभ, क्रोध, काम, मान और अभिमान जैसी बुराइयों को नष्ट करके जगत का कल्याण करते हैं। अंततः इस गणेशदास धमाका न्यूज शिवपुरी की भी यही प्रार्थना है कि महागणपति आपके जीवन के विघ्नों को हरें एवं बुद्धि, बल व ऐश्वर्य का वर प्रदान करें।

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