इन पार्षदों के हस्ताक्षर
संजय गुप्ता - पाषद वार्ड कु04
ओमप्रकाश जैन - पार्षद वार्ड 5
मोनिका सोर्सडेया पार्षद वार्ड 6
ऋतु रत्नेश जैन-पषिद वार्ड 9
प्रतिभा शर्मा पार्षद वार्ड क्र 10
नीलम अनिल बघेल - पार्षद वार्ड 11
सरोज धाकड़ पार्षद वार्ड क्र.12
राजा यादव पार्षद वार्ड 17
रीना कुलदीप शर्मा वार्ड 18-
विजय शर्मा विदास पार्षद वार्ड 20
रघुराज सिंह राजू गुर्जर पार्षद वार्ड 21
सरोज रामजी व्यास पार्षद वार्ड 26-
ताराचंद राठौर पार्षद वार्ड 28
मीना मुकेश बाथम पार्षद वार्ड 29
कमला किशन शाक्य वार्ड 30
मीना पंकज शर्मा पार्षद 31
शशि आशीष शर्मा पार्षद वार्ड 34
गौरव सिंघल पार्षद वार्ड 37
कृष्णा पार्षद वार्ड 31
ममता धाकड़ वार्ड क्र. 39
मक्खन आदिवासी वार्ड 16
ये दिया है प्रस्ताव
प्रति,
श्रीमान कलेक्टर एवं जिला न्यायाधीश
जिला शिवपुरी
विषय: म.प्र. नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 43-क के अंतर्गत नगर पालिका अध्यक्षा को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव हेतु।
महोदय,
हम, नगर पालिका परिषद, शिवपुरी के अधोहस्ताक्षरी निर्वाचित पार्षदगण, यह आवेदन म.प्र. नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 43-क के अंतर्गत प्रस्तुत कर रहे हैं। इस आवेदन का उद्देश्य नगर पालिका परिषद शिवपुरी की वर्तमान में अध्यक्षाा श्रीमती गायत्री शर्मा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करना है, क्योंकि उनके कार्यकाल में व्यापक प्रशासनिक, वित्तीय और नैतिक अनियमितताएं, भ्रष्टाचार, पारदर्शिता का अभाव और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अवहेलना की गई है।
1. यह कि, हमारा यह सामूहिक मत है कि अध्यक्षा महोदय की कार्यशैली एवं व्यवहार परिषद की सामूहिक भावना के विपरीत है जिससे परिषद को अपूरणीय क्षति हुई है और शहर की जानता मूलभूत सुविधाओं से वंचित रही इसलिए उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाना आवश्यक हो गया है।
(देखिए video)
2. यह कि, हम इस आवेदन के साथ अध्यक्षा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने हेतु से अधिक पार्षदों के हस्ताक्षर युक्त समर्थन पत्र संलग्न कर रहे हैं।
3. यह कि, अविश्वास प्रस्ताव लाने के निम्नलिखित ठोस कारण हैं प्रत्येक कारणों का पृथक-पृथक संक्षिप्त विवरण, व विवरण क्रमांक के अनुरूप ही सम्बन्धित दस्तावेज भी इस आवेदन के अनुलग्न क-2 के साथ संलग्न किये जा रहे है।
अविश्वास लाने के पीछे ये बिंदु बतलाए
हमारे द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :-
- सामान्य बैठकों का आयोजन न होना एवं निर्णयों की पुष्टि का अभाव
मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 तथा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अनुसार नगर पालिका परिषद की सामान्य बैठक का समय-समय पर आयोजन किया जाना अनिवार्य है। तथापि, विगत वर्षों में परिषद की अनेक अनिवार्य सामान्य बैठकें निर्धारित समय पर आयोजित नहीं की गईं, जिसके परिणामस्वरूप परिषद की कार्यप्रणाली बाधित हुई तथा लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व की भावना गंभीर रूप से प्रभावित हुई। इसके अतिरिक्त, अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य ऐसे हैं जिन्हें बिना परिषद की बैठक में अनुमोदन अथवा पुष्टि प्राप्त किए ही अमल में लाया गया, जो कि न केवल अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है बल्कि पारदर्शिता एवं सामूहिक निर्णय प्रक्रिया के सिद्धांतों के भी प्रतिकूल है।
यह कि, पार्षदों द्वारा सामूहिक रूप से कई आवेदन पूर्व में दिया गए, की परिषद की सामान्य बैठकें नियमित रूप से करीं जाएँ और भी कई बार इसकी मांग की गई है लेकिन तब भी सामान्य बैठकें आयोजित नहीं की गई।
पिक के प्रस्तावों की विधिवत पुष्टि भी सामान्य बैठकों में नहीं कराई गई। पिक द्वारा जो भी एजेंडा जिसमे विकास कार्य, नामांतरण, आदि उसकी पुष्टि परिषद की सामान्य बैठकों में कराना अनिवार्य है।
अध्यक्षा द्वारा लगातार पार्षदों को उनकी विधिसम्मत भूमिका से वंचित किया गया है। पार्षदों को अपने-अपने वार्ड में चल रहे विकास कार्यों, निर्माण परियोजनाओं, मरम्मत कार्यों, बजट व्यय आदि की कोई पूर्व जानकारी नहीं दी जाती। और पार्षद द्वारा कई बार आग्रह-आवेदन करने पर भी उनके वार्ड में प्रस्तावित विकास कार्य या प्रचलित विकास कार्यों की जानकारी उन्हें नहीं दी जाती है। बिना किसी बैठक या परामर्श के कार्य स्वीकृत कर लिए जाते हैं। इससे जनप्रतिनिधियों को अंधकार में रखकर कार्यपालिका द्वारा एकतरफा शासन किया जा रहा है, जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध है।
प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल (पिक) सदस्य को नियमविरुद्ध हटाया जाना
श्री गौरव सिंघल, जो कि विधिवत रूप से प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल सदस्य नियुक्त थे, को बिना किसी नोटिस, चर्चा, या औपचारिक प्रस्ताव के निष्कासित कर दिया गया।
यह प्रक्रिया पूर्णतः अलोकतांत्रिक है और विधिक प्रक्रिया का उल्लंघन है। यह न केवल संबंधित पार्षद का अपमान है बल्कि परिषद की सामूहिकता और संस्थागत गरिमा के लिए भी घातक है। और इसका प्रमुख कारण यह था कीपार्षद गौरव सिंघल द्वारा पिक में कुछ अवैधानिक कार्य पर सवाल उठाये, उनके द्वारा यह मामला उठाया गया कि एक वार्ड में बहुत सारे कार्य स्वीक़त किये जा रहे हैं और एक वार्ड में कोई भी विकास कार्य स्वीकृत नहीं किया जा रहे हैं, उनके द्वारा नामांतरण प्रकरण में अवैध अनुमति, आदि के एजेंडा बिंदु पर प्रश्न करने के कारण बिना प्रक्रिया का पालन किये उन्हें पिक से हड़बड़ी में हटा दिया।
वित्तीय अनियमिताएं व घोटाला
नगर पालिका के संचलन को लेकर की जाने वाली रोजमर्र की स्टेशनरी, ट्रेक्टर, ट्रक कचरा गाड़ी अदि वाहनों के पार्ट्स, की खरीद में अनियमितता हुई। बार-बार एक जैसे बिल लगाए गए, भुगतान बिना जांच के कर दिए गए। इससे स्पष्ट है कि वित्तीय प्रक्रिया का उल्लंघन कर भ्रष्टाचार किया गया।
पाम पार्क (पल्म पार्क) में बिना बजटीय स्वीकृति के खर्च
शहर में मेडिकल कॉलेज के सामने पाम पार्क में कार्य के भुगतान के लिए परिषद की 4.5 करोड़ की स्थायी निधि (एफडी) को तोड़कर भुगतान किया गया जबकि इसकी स्वीकृति न तो परिषद से ली गई और न ही बजटीय प्रक्रिया का पालन किया गया। यह कार्य सीधे-सीधे वित्तीय अनियमितता और नियम विरुद्ध व्यय को प्रदर्शित करता है।
निधियों का ठेकेदारों को फर्जी भुगतान
शिव ऑटोमोबाइल जेसी एवं अन्य फर्मों को ऐसे कार्यों के लिए भुगतान किया गया जो या तो कभी हुए ही नहीं या अत्यधिक मूल्यों पर दर्शाए गए। इससे पता चलता है कि ठेकेदारों से मिलीभगत कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। कई बार एक ही कार्य को दोबारा दर्शाकर भुगतान लिया गया। जिनकी वास्तविकता संदेहास्पद है। या जिनकी आवश्यकता ही नहीं थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि ठेकेदारी प्रणाली का दुरुपयोग हुआ है। विभिन निविदाओं में वर्णित शर्तों के अनुसार भुगतान न करना व अपनी मनमानी से भुगता का स्पेसिमेन
- पेंशन घोटाला - कर्मियों को भुगतान में अनियमितता
नगर पालिका परिषद में पदस्थ नियमित कर्मचारियों को निर्धारित समय-सीमा में वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है, बल्कि कई मामलों में 3 से 4 माह तक वेतन लंबित रखे जाने की स्थिति पाई गई है। इससे कर्मचारियों के जीवन-निर्वाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और कार्यस्थल का वातावरण भी तनावपूर्ण हो गया है। इसके अतिरिक्त, एक कर्मचारी के खाते में अतिरिक्त पेंशन राशि का भुगतान किए जाने का मामला प्रकाश में आया है, जो वित्तीय अनुशासन एवं पारदर्शिता के सिद्धांतों के प्रतिकूल है। इस प्रकार के मामलों से स्पष्ट होता है कि परिषद की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली में गंभीर अनियमितताएँ हैं, जो न केवल नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि भ्रष्टाचार की आशंका को भी जन्म देती हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप- एफआईआर दर्ज
इमें नगर पालिका के पदस्थ दो उपयंत्री जितेन्द्र परिहार एवं सतीश निगम तथा
ठेकेदार अर्पित शर्मा (प्रो. शिवम कंस्ट्रक्शन) के विरुद्ध भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सिद्ध होने पर कोतवाली, शिवपुरी में प्राथमिकी (फिर) दर्ज की गई है। यह आपराधिक मामला जिलाधीश, शिवपुरी के निर्देश एवं एसडीएम शिवपुरी की जांच रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुआ, जिसमें यह स्पष्ट रूप से पाया गया कि वार्ड क्रमांक 01, 07, 17, 31, 36 एवं 39 में वर्षा के मौसम में डाले जाने हेतु स्वीकृत आरएस16,13,906/- (सोलह लाख तेरह हजार नौ सौ छह रुपये) की गिट्टी-डस्ट की आपूर्ति वास्तविक रूप से नहीं की गई, फिर भी अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार को पूर्ण भुगतान कर दिया गया। जांच में यह भी प्रमाणित हुआ कि सामग्री का न तो निर्धारित मानकों के अनुसार उपयोग हुआ और न ही कई स्थानों पर कोई कार्य किया गया; भुगतान फर्जी बिलों एवं माप पुस्तिकाओं के आधार पर किया गया। इस घोटाले पर अध्यक्षा महोदया की मिलीभगत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कार्य उनके प्रत्यक्ष संज्ञान एवं नियंत्रण के अंतर्गत हुआ। इसके उपरांत अपर कलेक्टर, शिवपुरी द्वारा भी एक विस्तृत जांच की गई, परंतु इन मामलों में नगरपालिका अध्यक्षा ने किसी प्रकार की अनुशासनात्मक अथवा दंडात्मक कार्यवाही नहीं की, बल्कि अनेक मामलों में संबंधित दोषियों को संरक्षण प्रदान किया। यह आचरण, अध्यक्षा की मूक स्वीकृति एवं भ्रष्ट तंत्र को संरक्षण देने की भूमिका का स्पष्ट प्रमाण है, जो परिषद की कार्यप्रणाली एवं जन-विश्वास, दोनों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
उपरोक्त सभी तथ्यों एवं बिंदुओं से यह स्पष्ट रूप से सिद्ध होता है कि नगरपालिका परिषद शिवपुरी की वर्तमान अध्यक्षा श्रीमती गायत्री शर्मा की कार्यप्रणाली पूर्णतः अलोकतांत्रिक, भ्रष्ट, स्वेच्छाचारी एवं परिषद की गरिमा के प्रतिकूल रही है। उनके आचरण से न केवल परिषद की संस्थागत प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची है, बल्कि जनप्रतिनिधियों की भूमिका, कर्मचारियों का सम्मान एवं जनता का विश्वास भी गहन रूप से प्रभावित हुआ है। ऐसी परिस्थितियों में, मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 43-ए के तहत, परिषद में "अविश्वास प्रस्ताव पारित करने हेतु आवश्यक बैठक आहूत की जाना अत्यावश्यक है, ताकि विधि एवं लोकतांत्रिक मर्यादाओं के अनुरूप वर्तमान अध्यक्षा को पद से मुक्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा सके। सके।
नगर पालिका परिषद, शिवपुरी के अधोहस्ताक्षरी पार्षदगण
(हस्ताक्षर-पत्र पृथक संलग्न क -1)
प्रतिलिपि,
1. मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद, शिवपुरी
2. प्रमुख सचिव, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, भोपाल
3. आयुक्त, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, भोपाल
4. संचालक, संचालनालय, नगरीय प्रशासन, भोपाल

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