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#धमाका_न्यूज: धन तेरस से हुआ दीपावली का शुभारंभ, बिजली की रोशनी से नहाई शिवपुरी, इस साल दिवाली के बाद 1 दिन खाली, 6 दिन का दिवाली पर्व मनेगा

शनिवार, 18 अक्टूबर 2025

/ by Vipin Shukla Mama
SHIVPURI शिवपुरी। धन तेरस से साल का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली का शुभारंभ हो गया है। रोशनी का पर्व होने से दीपावली की शुरुआत होते ही शहर बिजली की रोशनी से नहाया नजर आने लगा है। लोगों ने एक से बढ़कर एक रोशनी के इंतजाम किए हैं। बता दें कि वैसे तो ये त्यौहार पांच दिन का होता है। यानी धनत्रयोदशी से शुरू होकर यम द्वितीया तक और शास्त्रों में इन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है। इन पांच दिनों में यमराज, वैद्यराज धनवंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान, काली और भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है,  लेकिन इस साल दिवाली के बाद 1 दिन खाली होने से 6 दिन का दिवाली पर्व मनाया जाएगा। धनत्रयोदशी और अमावस्या की तिथि 25 घंटे से अधिक अवधि तक रहने से पंच दिवसीय दीपपर्व लगातार तीसरे साल छह दिनों में पूरा होगा। 18 अक्टूबर को धनतेरस, 19 को नरक चतुर्दशी, 20 को दिवाली, 21 को स्नान दान की अमावस्या, 22 को गोवर्धन पूजा और 23 को भाईदूज है।
नरक चतुर्दशी छोटी दिवाली 19 को क्या करें
नरक चतुर्दशी इस साल 19 अक्टूबर 2025 को है। नरक चतुर्दशी की नरक चौदस और हनुमान जयंती के रूप में भी प्रतिष्ठा है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार इस दिन शाम को चार बत्तियों वाला पुराना दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा में कूड़े के ढेर पर जलाना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि स्थान चाहे कोई भी हो शुभता का वास हर जगह है। सुबह सरसों का तेल और उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए। नरक चतुर्दशी के दिन, व्यक्ति तेल और जड़ी-बूटियों से स्नान करता है, जिसे रोग-मुक्ति और सुंदरता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। 
यमराज के निमित्त तर्पण जरूर करें। शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए। सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के मध्य हनुमान दर्शन की महत्ता है। हनुमानजी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की शाम को मेष लग्न में हुआ था। कुछ क्षेत्रों में, नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जयंती भी होती है, और हनुमान जी को लड्डू चढ़ाए जाते हैं। घरों को रोशन करने और सजाने के लिए रंगोली, दीपक और फूलों का उपयोग किया जाता है। 
दीपावली
दीपावली सनातनी परंपरा में रात में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में है। तीसरी महानिशा कालरात्रि का पर्व जनसामान्य में दीपावली के नाम से प्रतिष्ठित है। दीपावली के दिन सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच का काल विशेष रूप से प्रभावी है। कालरात्रि वह निशा है जिसमें तंत्र साधकों के लिए सर्वाधिक अवसर होते हैं। कालरात्रि में औघड़ पंथ के साधक जनकल्याण के लिए विशिष्ट सिद्धियां अर्जित करने के लिए महाश्मशान पर अनुष्ठान करते हैं। वहीं घर-घर में श्रीगणेश-माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। 20 अक्टूबर को दिवाली पर लक्ष्मी पूजन शुभ है। 21 अक्टूबर को भी अमावस्या की तिथि रहेगी, इस दिन स्नान और दान कर सकते हैं।अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजा : 22 अक्तूबर
*कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा प्रारंभ : 21 अक्टूबर शाम 4:26 बजे 
*कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा समापन :22 अक्तूबर शाम 6:18 बजे (उदयातिथि में प्रतिपदा 22 अक्तूबर को होने से इसका मान उसी दिन होगा)
गोवर्धन पूजा का मुहूर्त
22 अक्तूबर: सुबह 6:43 बजे से 8:52 बजे तक कुल अवधि : 2 घंटे 9 मिनट
भाई दूज : 23 अक्टुबर 
*कार्तिक मास द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्तूबर रात 6:18 बजे
*कार्तिक मास की द्वितीया तिथि समापन : 23 अक्टुबर रात 8:23 बजे
*टीका का मुहूर्त : 23 अक्टुबर सुबह 6:22 बजे से रात 8:23 बजे तक।














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