* जैन साध्वी ने चेताया कि दुलर्भ मनुष्य जीवन प्रमाद में हार मत जाना, कषायों से मुक्ति हो जीवन का लक्ष्य
शिवपुरी। बड़े भाग्य से हमें यह मानव जीवन मिला है। देवता भी मानव जीवन के लिए तरसते हैं। यह ऐसी योनि हैं जिससे गुजर कर हमारी आत्मा परमात्मा बन सकती है। लेकिन इसके लिए कषायों से मुक्ति और परमात्मा से निकटता अत्यंत आवश्यक है। उक्त उदगार प्रसिद्ध जैन साध्वी अमीदर्शाश्री जी ने श्वेताम्बर जैन समाज के अध्यक्ष तेजमल सांखला के निवास स्थान पर आयोजित एक विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए। साध्वी जी ने चेताया कि प्रमाद के कारण इस मानव जीवन को तुम हार मत जाना। धर्मसभा में साध्वी अमीपूर्णाश्रीजी महाराज ने स्व लिखित भजन का सुमधुर स्वर में गायन किया जिससे धर्मसभा का माहौल भक्ति रस से परिपूर्ण हो गया। धर्मसभा में जैन साध्वियों के सम्मान और स्वागत में श्रीमती रूचि सांखला, श्रीमती अरूणा सांखला ने सुन्दर भजन का गायन किया वहीं आयोजक तेजमल सांखला ने जैन साध्वियों को वंदन करते हुए उन्हें धर्मलाभ देने के लिए उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
धर्मसभा के प्रारंभ में 20 वें तीर्थंकर मुनि सुव्रत स्वामी की महिमा का गुणगान किया। साध्वी अमीदर्शा श्री जी ने बताया कि शनिवार को मुनि सुब्रत स्वामी की महिमा के पाठ से शनि प्रकोप से मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि ग्रहों का प्रभाव किसी को भी नहीं छोड़ता। 9 ग्रहों से मुक्ति के लिए जैन दर्शन में आठ तीर्थंकरों का गुणगान किया जाता है। उन्होंने बताया कि तीर्थंकरों में निगोद से ही परोपकार वृत्ति होती है और उनकी कामना रहती है कि प्रत्येक आत्मा का कल्याण किया जाए। साध्वी जी ने बताया कि तीर्थंकर मुनि सुब्रत स्वामी एक घोड़े को प्रतिवोध देने के लिए 60 योजन का बिहार कर वहां गए थे और उन्होंने घोड़े को प्रतिवोध किया जिससे वह घोड़ा अगले जन्म में देवलोक में गया। साध्वी जी ने बताया कि आत्मा को यदि आप परमात्मा बनाना चाहते हैं तो आपको प्रभू के नजदीक जाना होगा। प्रभू के नजदीक कैसे जाऐं। इसका भी उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि आत्मा को विकार और कषाय घेरे हुए हैं। 18 कषायों जैसे क्रोध, माया, लोभ, राग, द्वेष, कलह आदि से अपने आपको मुक्त करना होगा। जैसे-जैसे हम कषायों से मुक्त होते जाऐंगे वैसे-वैसे प्रभू की कृपा और अनुकंपा हम पर बरसने लगेगी। आत्मा का सौन्दर्य प्रकट होगा और आत्मिक दर्शन से ही हम परम पद को प्राप्त कर पाऐंगे। अपने जीवन के दूषित विचारों को कैसे शुद्ध करें इसके लिए उन्होंने बताया कि प्रभू का आलमबन जरूरी है। धर्मसभा में साध्वी जी के सम्मान में श्रावक महेन्द्र रावत, संजीव बांझल और अशोक कोचेटा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
पुण्य के कार्य तुरंत करो, पाप के कार्यों को टालो
साध्वी अमीदर्शा श्री जी ने संदेश दिया कि हमें अच्छे कार्यों को तुरंत करना चाहिए। उसे कल पर नहीं टालना चाहिए। ऐसे कार्यों को आज और अभी तुरंत कर लेना चाहिए। लेकिन यदि पाप के कार्य करने की इच्छा आए तो ऐसे कार्यों को टालना चाहिए।















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