शिवपुरी। नगर की प्रथम नागरिक नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा को पद से हटाने की बगीचा सरकार पर कसम खाने वाले बागी पार्षद भले ही संगठन के हठ योग, पद बचाने के लिए हुई खरीद फरोख्त से हार गए हों लेकिन सही मायने में कुछ हद तक उनकी जीत हुई है। लगातार दो महीने तक सर पर कफ़न बांधकर नपाध्यक्ष के विरोध में ताल ठोकते रहे पार्षद भविष्य के चिंतन पर दिल हार बैठे और गुरुवार को इस्तीफे की झड़ी लगाने जा रहे हैं लेकिन इतनी लंबी लड़ाई एक लय में लड़ी जाना मुमकिन नहीं थी। आज भले ही उन पर तरह तरह के इल्ज़ाम लगाए जा रहे हों लेकिन उन्होंने सिद्धांतों की लड़ाई लड़ी और सच मानिए संगठन आज भले ही जीत गया लेकिन आने वाले चुनाव में जनता इस बात का बदला जरूर लेगी। इधर नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा को हटाने का अविश्वास प्रस्ताव आखिरकार कलेक्टर ने अमान्य कर दिया है। नपा उपाध्यक्ष पति के पार्टी विश्वास से नपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव टल गया है। अब नपा में अविश्वास प्रस्ताव की अग्नि परीक्षा फिलहाल नहीं होगी। हस्ताक्षर सत्यापन कराने वाले पार्षद इस मामले में बुधवार को पूरे दिन किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे। ऐसे में अब सभी पार्षदों की निगाह पार्टी नेतृत्व के निर्णय पर है।
जो ठेकेदार फाइनेंसर, गले का हार, खरीदार उसी पर सैकड़ों काम के टेंडर फिर भी नगर में काम नहीं, जनता परेशान, नर्क हुआ शहर तो जिम्मेदारी किसकी ?
जी हां कौन नहीं जानता कि नपाध्यक्ष के किचन कैबिनेट का मेंबर कौन है ? कौन फाइनेंसर है? कौन खरीदार है ? किसके पास नपा के सैकड़ों काम के इकलौते टेंडर हैं फिर भी वो कोई काम नहीं करता ? तो आखिर दोषी कौन ? ये सवाल जनता के हैं हमारे नहीं और इनका सीधा जबाव है संस्था प्रधान को स्वयं इस्तीफा देना चाहिए या नेताओं को लेना चाहिए लेकिन हो उल्टा रहा है। उन्हें कोई दोषी मानने को तैयार नहीं बल्कि क्लीन चिट देकर नगर की आवाम को आईना दिखाया जा रहा है ?
आइए गुरुवार को सुलगती भट्टी में कौन देगा इस्तीफा कीजिए एक नजर
नगर के वार्ड 4 के पार्षद संजय गुप्ता पप्पू इस्तीफा देंगे। लगातार तीन बार से पार्षद, हनुमान जी के परम उपासक, लगातार जंगलों, शहर और जिले के हनुमान जी के श्रृंगार करने वाले संजय गुप्ता भी इस संग्राम में कृपाल हाथ में उठाए थे। अब इस्तीफा देंगे। दोस्तों याद रखिए पप्पू को उनके कार्य के बदले जनता चुनती है और कोई भी प्रत्याशी उनके सामने जीतने की ताकत नहीं रखता। पप्पू ने कहा कि
(पप्पू पार्षद वार्ड क्रमांक 4)
मैं नगर पालिका के पार्षद पद से इस्तीफा गुरुवार को दे रहा हूं.....
क्योंकि मेरे वार्ड में 3 वर्ष में नगर पालिका ने मेरे द्वारा स्वीकृत कराई गई फाइलें 2022 से आज दिनांक तक मेरे वार्ड में अध्यक्ष द्वारा उन फाइलों का अभी तक काम नहीं कराया। मैने कई बार निवेदन किया पर मेरी नहीं सुनी। इस कारण में अपनी वार्ड की जनता के काम के प्रति खरा नहीं उतर पा रहा और न में 2 वर्ष से वार्ड में भी जनता के सामने नहीं जा पा रहा। वार्ड की जनता मुझसे बार बार काम की कहती है में उनको झूठा आश्वासन कब तक दु। नगर पालिका सुनती नहीं है इस कारण में परेशान होकर अपने पार्षद पद से इस्तीफा दे रहा हु और अपनी जनता से हाथ जोड़ कर माफी भी चाहता हु मेरे द्वारा जो वार्ड के काम स्वीकृत कराए गए है में उसकी सूची भी पोस्ट कर रहा हु और मैने बगीचा सरकार पर कसम भी खाई थी के हम अध्यक्ष को नहीं हटा पाए तो में अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा में बगीचा सरकार की कसम का पालन कर रहा हु आगे बगीचा सरकार की मर्जी।
आइए देखिए और कौन ने की घोषणा
नगर पालिका के सबसे सजग, एक्ट की धाराओं के मौखिक जानकार, इस
लड़ाई में अग्नि के सामान तेज रखते हुए जनता के बीच खासे पॉपुलर राजू गुर्जर का इस्तीफा होगा। उन्होंने बगीचा सरकार पर कसम खाई थी। वार्ड 6 की पार्षद मोनिका भी देंगी इस्तीफा
लड़ाई में अग्नि के सामान तेज रखते हुए जनता के बीच खासे पॉपुलर राजू गुर्जर का इस्तीफा होगा। उन्होंने बगीचा सरकार पर कसम खाई थी। वार्ड 6 की पार्षद मोनिका भी देंगी इस्तीफा
भले ही उनके पति ने बगीचा सरकार पर कसम खाई थी लेकिन मोनिका सीटू सड़ैया अपने पद से गुरुवार की इस्तीफा देंगी।
इधर पीआईसी से बड़े बे आबरू कर बाहर निकाले गए पार्षद गौरव सिंघल भी अपने पद से इस्तीफा देंगे। हालांकि वे बगीचा सरकार पर कसम खाने वाली टीम में तत्सम्य नहीं था बाद में युद्ध में कूदे थे।
वार्ड 17 के पार्षद Raja Yadav भी देंगे इस्तीफा
वार्ड 17 के पार्षद Raja Yadav भी गुरुवार को इस्तीफा देंगे।
इधर वार्ड न 26 की पार्षद उपाध्यक्ष नगरपालिका सरोज रामजी व्यास भी कल देंगी पार्षद पद से इस्तीफा।
गुरुवार अहम कई के फोन स्विच ऑफ
साफ हो गया है कि गुरुवार का दिन अहम होगा। गणेश जी की स्थापना के बाद एक साथ कई इस्तीफे होंगे इसकी संभावना बढ़ गई है।
हमारे साथी जयपाल जाट कहते हैं
एक व्यक्ति को किसी दल से चुनाव लड़ने के लिए सबसे पहले टिकिट की लड़ाई लड़नी पड़ती है फिर जनता की कसौटी पर खरा उतर कर चुनाव जीतना होता है। तब जाकर कोई जनप्रतिनिधि बन पाता है। लेकिन अगर इतने परिश्रम के बाद भी कोई अपने पद से त्याग पत्र देने की हिम्मत रखता है।तो ये वाकई में बहुत बड़ी बात है। जो आम चर्चा करने वाले लोगों को शायद समझ ने ना आए। मैं तो इस्तीफा देने वाले सभी लोगों की तारीफ करूंगा कि उन्होंने इतनी हिम्मत जुटाई। आखिर अभी भी दो साल बचे हैं और वे अपने इस्तीफे दे रहे हैं।