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आज शरद पूर्णिमा, घर घर बनेगी खीर

शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। शरद पूर्णिमा आज मनाई जाएगी। पंडित विकासदीप मंशापूर्ण ज्योतिष शिवपुरी के अनुसार शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर 2020 शुक्रवार को है। शरद पूर्णिमा उदय तिथि से  31अक्टूबर 2020 को है, लेकिन पूर्णिमा के चांद दर्शन पूजा का महत्व  30 अक्टूबर को रात्रि में पूर्णिमा तिथि होने से इस वर्ष यह त्योहार 30 अक्टूबर 2020 को ही  मनाया जाएग।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर को शाम 5:45 से हो रहा है। जो अगले दिन 31 अक्टूबर को 8:18 मिनट तक रहेगा। स्नान व दान की पूर्णिमा शनिवार को मनाई जाएगी। सनातन धर्मावलंबी यमुना, गंगा व संगम के पावन जल में स्नान का महत्व है लेकिन covid के कारण अगर कही न जा सके तो घर मे ही रखे गंगा जल या तीर्थ या पवित्र नदी जल से स्नान कर सकते है। मंदिरों पर भी आज आयोजन होते हैं।
शरद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 30 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 45 मिनट तक। शरद पूर्णिमा तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट तक। 
31 को होगा पूर्णमासी दान
स्नान, दान आदि की पूर्णमासी 31 अक्टूबर को होगी। भगवा श्री सत्यनारायण व्रत का पूजन और दान, हवन आदि भी 31 अक्टूबर को किया जाएगा। पूर्णिमा की तिथि को दान, स्नान आदि को विशेष फलदायी बताया गया है।
ये भी है, महत्व
शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी आती हैं, पृथ्वी पर
कहा जाता है, कि शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। घर-घर जाकर भक्तों को आशीर्वाद देती है। माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। रात भर जागकर माता की स्तुति की जाती है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। जिसमें देवी लक्ष्मी का प्रिय भोग और वस्तुएं अर्पित करते हैं। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कमल गट्टे की माला लेकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए। 
मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:
कर्जमुक्ति पूर्णिमा भी है नाम
कहते हैं, विधान से पूजा की जाए तो शरद पूर्णिमा कर्ज से मुक्ति दिलाती है, इसीलिए इसे कर्जमुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। इस रात श्रीसूक्त का पाठ, कनकधारा स्तोत्र, विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना चाहिए।
चांदी का बर्तन न हो तो किसी भी पात्र में रखें खीर
शरद पूर्णिमा की खीर को चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उचित है, लेकिन चांदी का बर्तन न हो तो किसी भी पात्र में खीर रख सकते हैं।
गाय के दूध की खीर 
पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर रखकर अगले दिन सुबह उसका सेवन करने का विधान है। खीर कम से कम चार घंटे चंद्रमा की रोशनी में रखना चाहिए। कहते हैं, कि इससे उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। खीर को सुरक्षित रखने वस्त्र से ढकना चाहिए। फिर भगवान लक्ष्मीनारायण का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
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