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गुना महिला सीएसपी नेहा और उप निरीक्षक चंचल चुनाव आयोग से हुई शिकायत

गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama
चुनाव आयोग से पत्रकारों ने जड़ी महिला सीएसपी नेहा और उप निरीक्षक चंचल की शिकायत, 
पत्रकारों ने कहा फसाने के लिए दवाब डालकर बनवाए नाबालिग से वीडियो
गुना। गुना के पत्रकारों ने गुरुवार को एक राय होकर जिला निर्वाचन अधिकारी गुना को एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें गुना में तैनात सीएसपी नेहा पच्चीसिया एवम उपनिरीक्षक चंचल तिवारी पर एक नाबालिग से पत्रकारों के विरुद्ध जबरिया वीडियो तैयार कराने की बात कही और दोनों महिला अधिकारियो के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई किये जाने की मांग की। ज्ञापन सामूहिक रूप से सभी मीडिया कर्मियों ने सौंपा। जिसकी प्रति राज्यपाल, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग तथा पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश भोपाल और पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर जोन को भी भेजा है। पत्रकारों ने बताया कि उक्त मामले में दोनों महिला अधिकारियों ने पत्रकारों को द्वेष भावना से झूठा फंसाने और बदनाम करने की कोशिश की। इस फेर में इन्होंने सीएससी कार्यालय में नाबालिक को बुलाकर पत्रकारों पर खबर के बदले भ्रष्टाचार के झूठे आरोप सिखा पढ़ाकर अपने मोबाइल से वीडियो शूट किया। और यहां तक की नाबालिग की पहचान उजागर करते हुए उन वीडियो को वायरल कर दिया, जिससे दोनों पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध विभिन्न अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की जाना जरूरी है। ज्ञापन में पत्रकारों ने लिखा है, कि 28 अक्टूबर 2020 को सोशल मीडिया पर नई बस्ती कोसमादा गुना निवासी एक 17 वर्षीय नाबालिग के दो अलग-अलग वीडियो वायरल किए गए थे। इन वीडियो की कॉपी पेन ड्राइव में ज्ञापन के साथ संलग्न की गई है। ज्ञापन में लिखा कि नाबालिग के यह दोनों वीडियो सीएससी कार्यालय में सीएसपी नेहा पच्चीसिया और उप निरीक्षक चंचल तिवारी द्वारा शूट किए गए। एक वीडियो में उपनिरीक्षक चंचल तिवारी तथा नेहा की आवाज नाबालिग से जिले के विकास दीक्षित और विनोद के संबंध में पूछताछ करते सुनाई दे रही है। इस वीडियो में  नाबालिग से आरोप लगवाया गया है, कि दोनों पत्रकारों ने उससे 10,000 रुपये लिए। यह आरोप भी लगवाया गया की उप निरीक्षक चंचल तिवारी पर रुपए लेकर उसे डराने धमकाने संबंधी नाबालिग का एक माह पूर्व सामने आया वीडियो भी दोनों पत्रकारों ने ही बनाया था। सीएसपी नेहा और उप निरीक्षक चंचल तिवारी ने इस नाबालिग को सिखा पढ़ा कर और नावालिग को रिहर्सल कराकर यह दोनों वीडियो बनाए। दूसरे वीडियो में नाबालिग से पत्रकारों के नाम के साथ चैनल का विवरण भी लिया गया है। और 12000 पत्रकारों को देने की बात कहलवाई गई। पत्रकारों के अनुसार इससे स्पष्ट है, कि नाबालिग के दोनों वीडियो मनगढ़ंत और बहला-फुसलाकर या दबाव में लेकर बनाया जाना प्रमाणित होता है, क्योंकि इस वीडियो में पत्रकारों को 10,000 देने की बात नाबालिग से कहलवाई गई थी। दोनों वीडियो में नाबालिग द्वारा कहीं जा रही बातों में भारी विरोधाभास है। वस्तुस्थिति के अनुसार 24 अक्टूबर 2020 को शहर के प्रतिष्ठित वकील सीपी राय के क्लाइंट के रूप में अपने वकील की उपस्थिति में नाबालिग ने अपने साथ और माँ व भाई पर प्रताड़ना देने के आरोप लगाते हुए, उक्त संबंध में पुलिस से शिकायत की थी और दस्तावेज व वीडियो पत्रकार विकास दीक्षित एवं विनोद कुशवाहा व अन्य लोगों को दिया था। पुलिस द्वारा एफआईआर न करने की बात कही थी, इसके आधार पर कुछ समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित किया गया जिसमें पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने की बात भी प्रकाशित हुई थी। दिये गए ज्ञापन में लिखा है, कि पत्रकार विकास दीक्षित और विनोद द्वारा और ना तो कथित रेप पीड़िता नाबालिग को बहला फुसलाकर कुछ कहलवाया गया और न ही उससे रुपये लिए। इस बात के साक्षी नाबालिग के विद्वान वकील सीपी राय हैं। इसी तरह सब इंस्पेक्टर चंचल तिवारी पर आरोप संबंधी वीडियो भी पत्रकारों द्वारा नहीं बनाए गए बल्कि नाबालिक द्वारा स्वयं बनाकर पक्षकारों को उपलब्ध कराया गया था। इस वीडियो के सामने आने के बाद ही कैंट थाना पुलिस ने नाबालिग की शिकायत पर नाबालिग की मां के विरुद्ध अपराध 18 सितंबर 2020 को दर्ज किया था। पत्रकारों ने यह भी लिखा है, कि सीएसपी नेहा पच्चीसिया पूर्व में गुना जिले में पदस्थ रहीं और शिकायतों के बाद इनका तबादला होशंगाबाद आईजी ऑफिस हो गया था, लेकिन राजनीतिक अनुशंसा पर यह फिर से गुना पदस्थ हो गई तथा पत्रकार विकास दीक्षित से उनकी खबरों के कारण बनती नहीं है। इसलिए उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर  चंचल तिवारी के साथ मिलकर षडयंत्रपूर्वक नाबालिग को बहला फुसलाकर पत्रकारों की छवि धूमिल करने वाले वीडियो बना लिए, ताकि बाकी पत्रकार भी भयभीत हो जाएं। पत्रकारों ने एक न्यूज़ पोर्टल की भी जांच कराने की मांग की है। जिसने नाबालिग के वीडियो के साथ न्यूज़ वायरल की थी। पत्रकारों ने कहा कि नेहा और उप निरीक्षक द्वारा सेवा के निर्देशों और साथ ही दोनों पर नाबालिग को कार्यालय में बुलाकर पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में और मानसिक दबाव बनाकर उसके वीडियो शूट करके दुरुपयोग कर पत्रकारों पर भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगवाना। नाबालिग की पहचान उजागर करते हुए वीडियो वायरल करना। उक्त दोनों अधिकारियों ने यह कृत्य गंभीर किस्म के होकर पद के दुरुपयोग, स्वेक्षाचारिता, पक्षपात और बदले की भावना से कार्रवाई रचने की श्रेणी का कृत्य है। साथ ही यह इंडियन पीनल कोड और द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट (पोक्सो) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दंड की श्रेणी में आने वाला है।  इस संबंध में पत्रकारों ने विस्तार से ज्ञापन सौंपते हुए दोनों पर कार्रवाई की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा है। कुल मिलाकर यह मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है।
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