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विश्व एड्स दिवस, किया जागरूक

सोमवार, 30 नवंबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama
- गर्भवती माताएं प्रथम व तीसरे माह में एड्स की जांच अवश्य कराएः डा. आशाीष व्यास 
आदिवासी वस्ती महल सराय में गर्भवती एवं कुपोषित बच्चों में टीबी तो नहीं, की जांच
विश्व एड्स दिवस के पूर्व संध्या पर रेड रिबीन एवं पैम्पलेट देकर समुदाय को किया जागरुक
शिवपुरी। सहरिया बाहुल्य आदिवासी बस्ती महल सराय में 40 कुपोषित बच्चों एवं 10 गर्भवती माताओं को क्षय रोग, एड्स से बचाने एवं समय रहते नियत्रंण के लिए डा.आशाीष व्यास की पहल पर विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित हुआ। बता दें कि जिले मे 700 एड्स के मरीज हैं।
40 लाख की मशीन से जानिये टीबी तो नहीं
उन्होने बच्चों के पालको को बताया कि अगर आपके घर में या आस पास किसी को भी 15 दिन से अधिक समय तक खासीं, बुखार, गले में गठान या भूख न लगना, इसके साथ वजन में कमी आना इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो वह अपनी टीबी की जांच जिला क्षय अस्पताल मे निशुल्क जरुर कराएं। भारत सरकार द्वारा 40 लाख की लागत से सिव्हीनेट मशीन लगायी गई है जिसमें केवल 2 घण्टे के अन्दर यह पता चल जाता है कि मरीज को टीबी है कि नहीं। इस मशीन का लाभ अवश्य लें। 
आदिवासी बाहुल्य वस्ती पहुंची टीम
कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने बताया कि शक्तिशाली महिला संगठन शिवपुरी द्वारा विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर टीबी की जांच के लिए स्वास्थ्य शिविर एवं एडस दिवस जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन आदिवासी बाहुल्य वस्ती महल सराय की आंगनवाड़ी केन्द्र के खुले परिसर में सोसल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए किया। महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शिविर लगा। 
एड्स सबसे पहले कॉन्गो में
उन्होने बताया कि कल 1 दिसंबर को पूरी दुनिया श्विश्व एड्स दिवस मनाती है। साल 1988 से यह दिन लोगों के बीच एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता रहा है। कई जागरूकता अभियानों की मदद से ही पूरा संसार इस खतरनाक बीमारी के बारे में जान सका। लेकिन एक बात और है जिसके बारे में आज भी कई लोग नहीं जानते। वो ये कि दुनिया में सबसे पहले किस व्यक्ति को एड्स हुआ था ये खतरनाक बीमारी आखिर कैसे फैली थी। ऐसा माना जाता है कि एचआईवी एड्स सबसे पहले कॉन्गो में 1920 के आसपास एक चिंपांजी की वजह से हुआ। बताया जाता है कि कैमरून के जंगलों में एक घायल चिंपांजी ने एक शिकारी को खरोंचा और काट खाया था। इससे शिकारी के शरीर पर भी गहरे जख्म हो गए। इसी दौरान घायल चिंपाजी का खून शिकारी के शरीर में जा मिला और इससे एचआईवी का इंफेक्शन फैल गया। नवजात को एड्स के संक्रमण से बचाये
शिविर में डा आशाीष व्यास द्वारा विशेष रुप से न्यूट्रीशन चैम्पियन एवं समुदाय की महिलाओं को एड्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए उनको जागरुक किया। डा आशाीष व्यास ने खासतौर से गर्भवती माताओं को बताया कि आप अपने पहली तिमाही में एड्स की जांच अवश्य कराऐ जिससे कि नवजात को एड्स के संक्रमण से बचाया जा सकें। देखने में आता है कि 5 या 6 माह में गर्भवती माताऐ एड्स जांच कराती है इसमें जो माताऐं एड्स संक्रमित है उनके बच्चे में भी एड्स संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 
जांच कराई तो दिया उपहार
डा आशाीष व्यास एवं  रवि गोयल ने गर्भवती महिला जिन्होने तीन महिने में अपनी एड्स की जांच करा ली थी ऐसी एक महिला चांदनी जावेद को उपहार देेकर सम्मानित किया। न्यूट्रीशन चैम्पियन आसीया एवं नरगिस ने रेड रिबिन लगाकर एक दुसरे को एड्स के बारे में जागरुक किया एवं समुदाय के अन्य किशोरीयों को भी जागरुक करने का निश्चय किया।
जिले मे 700 एड्स के मरीज यह बात ठीक नहीं
 कार्यक्रम मे डा आशीष व्यास ने बताया कि महल सराय से कई एड्स एवं टीबी के मरीज पाए गए है जिनका की उपचार चल रहा है। वर्तमान में हमारे जिले मे 700 एड्स के मरीज है, इस विषय में गंभीरता से सोचने की जरुरत है। कार्यक्रम मे सुपोषण सखी फरीदा बानो ने कहा कि महल सराय में कई लोग सूई से नशा करने के आदी है जो कि एक ही सूई से नशा करते है और एड्स के सक्रमण को फैलाते है। हमे मिलकर इस दिशा में जागरुकता लाने का प्रयास करना होगा और पुलिस  को ऐसे नशे के आदी गेंग के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी होगी तो समाज मे एड्स के बढ़ते खतरे केा कम किया जा सकता है। कार्यक्रम में डा आशाीष व्यास की टीम के द्वारा टीबी एवं एड्स  से बचाव के लिए पैम्पलेट भी प्रदान किये।
ये रहे कार्यक्रम में मौजूद
 कार्यक्रम में डा आशीष व्यास, शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल एवं उनकी पूरी टीम, सुपेाषण सखी फरीदा वानो, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सरोज शर्मा, सहायिका सहनाज बानों, न्यूट्रीशन चैम्पियन आसिया, नरगिस, सामिया, आसीन, के साथ कुपोषित बच्चों की माताए   एवं समुदाय की महिलाओं ने भागीदारी की।

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