-एकता परिषद के बैनर तले बैठे धरने पर
शिवपुरी। शहर के गांधी पार्क मैदान स्थित गांधी की समाधि पर आज जिले के किसान 1 दिन के उपवास पर जा बैठे हैं केंद्र सरकार केक के साथ बिल के विरोध में या उपवास किया जा रहा है किसान नेता एकता परिषद के बैनर तले उपवास कर रहे हैं उनका कहना है कि सरकार यदि जल्दी ही बिल वापस नहीं लेगी तो आंदोलन जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक किया जाएगा और उसके लिए कोई भी कीमत
चुकानी पड़ेगी तो तैयार हैं किसानों के नेता इस आंदोलन में है आज शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रख रहे हैं उनका कहना है कि जल्दी ही मांगे नहीं मानी गई तो हम बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे एकता परिषद के जिला संयोजक राम प्रकाश शर्मा, केशव धाकड़, सरदार केशर सिंह, किसान नेता धरने पर बैठे हैं। देखिये वीडियो।
यह कहना है प्रदर्शन कर रहे किसानों का
अन्नदाता के लिए अन्नत्याग --एकता परिषद
शिवपुरी/मुरैना/ग्वालियर/श्योपुर/शिवपुरी
दिनांक 6 अक्टूबर
भारत सरकार द्वारा बनाये गए तीन कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग को लेकर देश भर के किसान दिल्ली घेरकर बैठे है, आंदोलनकारी किसान अक्सर अपनी बाते रखते समय दिल्ली के लोगों को हो रही परेशनी के लिए माफी भी मांग रहे है, खुद अपने खेत, घर छोड़कर, तेज ठंड में सड़क पर संघर्ष कर रहे इन किसानों का दिल कितना बड़ा है, इन्हें अपनी चिंता नही है, बल्कि इस बात कि चिंता है कि इनकी वजह से आम भारतवासी को परेशानी ना हो। एम्बुलेंस के लिए रास्ता दे रहे, पर कुछ लोग इन्हीं किसानों के खिलाफ बातें कर रहे हैं, खैर इस देश का नागरिक सच जानता है कि अन्नदाता दुखी है, उसे हमारे साथ कि जरूरत है, और हम हमारे अन्नदाता के साथ हर कदम पर है।ये अन्नदाता किसी राजनीतिक प्रभाव या सहयोग से नहीं हैं बल्कि इन कानूनों के कारण इन मेहनतकश किसानों की मेहनत को पूंजी वादी व्यवस्था के हवाले करने के कारण दुखी होकर आंदोलन कर रहे हैं। अपनी बहुत जायज़ मांगो के साथ देश के किसान बीते 4 महीने से आन्दोलन कर रहे हैं, सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी, मजबूरन उन्हें दिल्ली घेरना पड़ा।
आखिर क्यों अन्यदाता, आंदोलन कर रहा है?? लॉकडाउन के समय हमारी केंद्र सरकार ने चोरदारवाज़े से 3 आध्यदेश लाये, जो अब कानून बन गए हैं। इन कानूनों में लिखा है अब व्यापारी जितना चाहे मॉल स्टॉक कर सकता है, इसका मतलब है कि वो बाजार और रेट पर भी नियंत्रण कर सकता है।
दूसरा APMC मंडियां खत्म करने का हिडन एजेंडा कानूनों में है।इसका मतलब भविष्य में मंडियों पर सरकार का नहीं बल्कि पूंजीपतियों के नियंत्रण होगा। किसान सिर्फ इतना चाहते हैं उन्हें उनकी फसल का सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मूल्य मिल जाये, क्या इतना हक भी नहीं हमारे किसानों को?? वो चाहते हैं, ये किसान विरोधी तीनों कानून वापस हो जाएं। अभी जरूरत इस बात की है कि हमारी थाली में रोटी पहुंचाने वालों का हम साथ दें। अतः सोमवार 7 दिसंबर, 2020 को आइये हम सब अपने अन्नदाता के समर्थन में 1 दिन उपवास रख अन्नत्याग करें, और ईश्वर से सरकार की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें। एकता परिषद पूरे देश के जिला,तहसील विकासखण्ड स्तर पर किसानों के आंदोलन के समर्थन में एक दिन का उपवास करने जा रही है ,तथा किसानों के आंदोलन को समर्थन देने का आवाहन कर रही है। हमें पता है, आप अपने अन्नदाता का साथ जरूर देंगे, 7 दिसम्बर दिन सोमवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे बजे तक होने
वाले उपवास में कोविड 19 की की गाइड लाइन का पालन करते हुए उपवास किया जाएगा ।
रन सिंह परमार
राष्ट्रीय अध्यक्ष
एकतापरिषद
गांधी भवन, भोपाल

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