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तीन महत्वपूर्ण ग्रह- शनि, राहु व केतु वर्ष 2021 में नहीं करेंगे राशि परिवर्तन

सोमवार, 28 दिसंबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama

देव गुरु बृहस्पति बदलेंगे अपनी राशि
शिवपुरी। डॉ विकासदीप शर्मा मंशापूर्ण ज्योतिष के अनुसार 5 अप्रैल 2021 को दोपहर 4:00 बजकर 21 मिनट पर अपनी नीच मकर राशि से शनि की कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और 13 महीने तक वहीं रहेंगे।सूर्य तो हर महीने अपनी राशि बदलते हैं। बाकी ग्रह शुक्र, बुध, मंगल भी समय-समय पर राशि परिवर्तन करते हैं। वर्ष 2021 में ग्रहों की स्थिति और ग्रहणों की स्थिति यह बता रही है कि अगले साल वर्ष 2021 इस साल के मुकाबले सबके लिए बहुत बेहतर बीतेगा। बहुत मंगलकारी रहेगा। लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आएंगे। काफी कुछ पॉजिटिव देखने को मिलेगा। 2021 में चार प्रमुख ग्रह गुरु, शनि, राहु एवं केतु का प्रभाव अधिक रहेगा। इस पूरे साल राहु वृष में रहेंगे, केतु वृश्चिक में, शनि मकर राशि में और गुरु मकर एवं कुंभ में संचार करेंगे। ग्रह-नक्षत्रों की यह स्थिति 2021 में 5 राशियों के लिए अधिक फायदेमंद रहेगी।
2021 विक्रम संवत 2078 देश के लिए कैसा रहेगा
विक्रम संवत 2078 का राजा मंगल  है, मंगल को युद्ध का देवता कहा जाता जाता है। लाल रंग के कारण उग्र और क्रूर ग्रह है। यह हिंसा, विनाश, शक्ति, सशस्त्र बलों, सेना, पुलिस, इंजीनियरिंग,अग्निशमन,शल्य चिकित्सा, कसाई, छिपकर हत्या करने वाला, दुर्घटना, अपहरण, दुष्कर्म, राजनेतिक अस्थिरता के कारक ग्रह हैं। राक्षस संवत में प्राकृतिक प्रकोपों एवं अव्यवस्था के कारण फसलों को हानि तथा विभिन्न की बीमारियों एवं महामारी से लोगों को कष्ट रहेगा। मँहगाई में वृद्धि, ये परिणाम दिखाई देंगे , राक्षसों जैसा आचरण। स्वार्थी, भय का वातावरण, लोगों की राक्षस जैसी सोच बन जाएगी। विक्रम संवत 2078 के राजा मंगल होने से इस साल आंधी तूफान का जोर रहेगा।वायुयान दुर्घटनाएँ, अग्निकांड, भूंकम्प, प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवादी घटनाओं, तस्करी, ठगी और लूटपाट की घटनाओं में वृद्धि होगी। समाज मे रोगों की बढ़ोतरी और अचानक आंधी-तूफान, चक्रवात होने से जनता बहुत ज्यादा दुःखी होगी। कृषि क्षेत्र में उत्पादन की कमी से महगाई बढ़ेगी। नववर्ष विक्रम संवत 2078 की कुंडली में 6 क्रूर ग्रहो के पास महत्वपूर्ण पदों की भूमिका है। राजा, मन्त्री और वर्षा का अधिकार मंगल ग्रह के पास है। मंगल ग्रह युद्ध प्रिय, टकराव, प्रतिद्वंद्विता प्रवृत्तियां बढ़ेगी। जिससे भारत और पड़ोसी देशों में आशन्ति बढ़ेगी।जिसके कारण राजैनतिक, सामाजिक और सरहदी क्षेत्रों में तनाव दिखाई देगा।भारतवर्ष में आंतरिक क्षेत्रों में साम्प्रदायिक दंगे, उग्रवादी घटनाओं, देश की आर्थिक मन्दी, अनिश्चितता को बढ़ावा मिलेगा। भारतवर्ष, नेपाल, पाकिस्तान, चीन, ईरान और ईराक आदि देशों में राजनेतिक हिंसा बढ़ने से तनाव का मौहाल बनेगा। उपद्रव की घटनाओं की वृद्धि होगी। प्रधान नेतृत्व निरकुंश एवं मनमानी करेगे। जिससे साधारण जनजीवन प्रभावित होगा। चीन सीमाओँ पर उथलपुथल का मौहल बरकरार रहेगा। हमारी सीमाओँ पर हम सुरक्षित नही होंगे, आम लोग बाजार में तेजी से बढ़ती महंगाई से परेशान होंगे। भारतवर्ष को अपनी सुरक्षा के उचित कदम उठाने की जरूरत होगी।

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