शिवपुरी। पुलिस की नोकरी दूर से भले ही ठाठ वाली नजर आती हो लेकिन जानते वही हैं जिनके कंधों पर देश भक्ति जन सेवा वाली वर्दी मौजूद है। बिना अवकाश लगातार काम करते रहने के परिणामस्वरूप उन्हें यह गाना 'तेरी दो टकिया की नोकरी में मेरा लाखों का सावन जाए' तो घर से सुनने मिलता रहता है पर एक पुलिसकर्मी के मन की पीढ़ा भी कभी कभी झलक पड़ती है। इसी तरह की एक पाती हम आपके लिए लेकर आये हैं।
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🙏🌹थाना प्रभारी डायरी 🌹🙏
परिवार के संग शादी में जाना था हमें, पर
ट्रांसफर की जुगाड़ और पोस्टिंग की सेटिंग ने
राजनीति के चक्कर व अफसर के फेरों में
हमने सब कुछ भुला दिया 🙏
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बिटिया का मनाना था जन्मदिन घर में, पर
क्राईममीटिंग की फटकार व निंदा की सजा ने
माईनर एक्ट टारगेट व प्रिवेंटिव की कमी में
हमने सब कुछ भुला दिया 🙏
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बेटे को कॉलेज में प्रवेश दिलाना था हमें,पर
अंधे कत्ल की गुत्थी और लूट की घटना ने
समन्स वारन्ट तामिली व लंबित जप्ती माल में
हमने सब कुछ भुला दिया 🙏
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रिश्तेदार जो आये घर मिलने हमसे, पर
कानून व्यवस्था ड्यूटी , वी आई पी मूवमेंट ने
न्यायालय की पुकार व फरियादी की गुहार में
हमने सब कुछ भुला दिया 🙏
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अपने बच्चों का रखना था ध्यान हमें, पर
नकबजनो की खोज, जुआरियों की तलाश ने
निगरानी बदमाश चेकिंग व गुंडों की पकड में
हमने सब कुछ भुला दिया 🙏
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करना तो बहुत कुछ चाहा था हमने,पर
विभागीय जांच के डर व प्रमोशन की आस ने
निलम्बन के खतरे और शाबाशी की चाह में
हमने सब कुछ भुला दिया 🙏
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बैठे रहे कुर्सी पर हम ओढ़े वर्दी का रौब,पर
मित्रों की बेरुखी और अपनों से हुई दूरी ने
रिश्तों की नाराजी व अपनी पाली बीमारी में
हमने सब कुछ भुला दिया 🙏
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👩👩👦👦 अजय सिंह 87 🌸🌸

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