गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव का किया अभिनंदन
शिवपुरी। प्रातःकाल भृमण करने, जल्दी उठकर शरीर को स्वस्थ रखने का मंत्र देने वाले मॉर्निंग वॉक के दीवानों ने बलिदानी परम्परा की मिसाल गुरु गोविंद सिंह जी के वीर पुत्रो के बलिदान दिवस को टूरिस्ट वैलकम सेंटर में मनाया और श्रद्धा के पुष्प अर्पित किए।
सर्वप्रथम सभी मोर्निंग वाक के सदस्यों ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी शिवपुरी के सचिव मुख्य वक्ता सुरेंद्र सिंह बॉबी भाई का माल्यार्पण कर स्वागत किया।तत्पश्चात गुरुपुत्रो के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए सुरेंद्र सिंह बॉबी भाई ने कहा कि विश्व मे बलिदानी परम्परा का सबसे बड़ा प्रमाण चमकौर युद्ध ही है,जिसमे चालीस सिक्खों ने दस लाख मुगल आक्रांताओं के छक्के छुड़ाए,और गुरु पुत्रो का बलिदान हुआ, सरहिंद की दीवार अपने आप मे बलिदानी गाथा को प्रकट करती है जहां सात वर्ष फतेह सिंह और नौ वर्ष के जोरावर सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था,चुनवाने से पूर्व घनघोर यातनाएं दोनो वीर पुत्रो को दी गयी,धर्म परिवर्तन करने के लिए बाध्य किया गया परन्तु दोनो वीर पुत्रो ने कहा कि हम तेगबहादुर जी के पौत्र है, गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्र है, अपने धर्म से विमुख नही हो सकते। जिंदा चुनवा दिए गए पर धर्म से नही डिगे।
चमकौर के युद्ध मे अजीत सिंह और जुझार सिंह दोनो बड़े साहेबजादे दस लाख आक्रांताओं से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए इस तरह एक सप्ताह में चारो पुत्रो ने गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान हो गए और अद्भुत गाथा लिख गए,उनका ये बलिदान कभी भुलाया नही जा सकता।
ओमप्रकाश जैन ओमी ने भी गुरु पुत्रो के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उन्हें भारतीय संस्कृति बलिदानी परम्परा का अद्भुत नायक निरूपित किया।
युवा कवि आशुतोष शर्मा ने इतिहास वीरता का यदि बतलाते यहां, देशप्रेम भावना तो कंठ में विराजती, किस्से वीरता से जुड़े बांचते जो नोनिहाल, भाषा देशद्रोहियों की नरक में सिधारती, युद्ध चमकौर वाला होता यदि पुस्तको में, सोच बंटवारे वाली शब्द न उचारती को सुना सभी को रोमांचित किया।अभियंता नरेश पाराशर ने गुरु की आवश्यकता और सद्कर्मो के साथ जीवन की सार्थकता पर बल दिया।कार्यक्रम का सधा हुआ बेहतरीन संचालन समाजसेवी और मोर्निंग वॉक के संस्थापक विष्णु गोयल ने किया।अंत मे तुलाराम चौधरी गुरु, विमल जैन मामा, संजय ओझा, दिनेश चंद्र भारद्वाज, हरिओम नरवरिया काका, संजय गुप्ता, धर्मेंद्र रजक, अजीत सिंह राठौड़, दलजीत सिंह भाटिया काके, मोनू बंसल, सन्मति जैन, मुकेश जैन, नीरज खटीक, आलोक पाल, अमन शर्मा, प्रशांत गुर्जर, नरेश पटवारी, विश्वनाथ आदि ने गुरु गोविंद सिंह व चारो गुरु पुत्रो के चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित कर जो बोले सो निहाल शत श्री अकाल के नारों के साथ पुण्य स्मरण करते हुए बलिदान दिवस पर भावांजलि अर्पित की।

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