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नगर में अवैध कॉलोनियों के सौदागर सक्रिय, न रेरा में पंजीयन, न टीसीपी से स्वीकृति, करोड़ों के कर रहे बारे न्यारे

गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

/ by Vipin Shukla Mama

शिवपुरी। नगर में रेरा, टीसीपी (Town and Country Planning Department, RERA) जैसी प्रथम औपचारिकता पूरी किये बगैर अवैध कॉलोनियों को विकसित करने वाला रैकेट सक्रिय है। जिला प्रशासन की नाक के नीचे अवैध कॉलोनी काटे जाने और सस्ते दाम पर प्लाट बेचने का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। कल तक फुटपाथी चंद लोग जमीन बेचकर रातों रात करोड़ पति बन बैठे हैं। जिनमें वैश्य बन्धु, धाकड़ बन्धु, शर्मा बन्धु, ठाकुर बन्धु से लेकर कई ऐसे नामचीन शामिल हैं जिनके कच्चे चिठे खोले गए तो इनको सलाखों के पीछे जाते देर न लगेगी। लोगों को विकसित कॉलोनी के सपने दिखाकर काली मिट्टी में दरकते भवन बनाकर टिका देने वालो पर कार्रवाई की दरकार है। बता दें कि मामा का धमाका डॉट कॉम ने सबसे पहले इस बारे में खबर का प्रकाशन किया था लेकिन कुम्भकर्णी निद्रा में सोए राजस्व अमले के कान में जू तक नहीं रेंगी। एसडीएम ने भी कोई ध्यान नहीं दिया था नतीजे में आम जनता से लेकर नोकरी पेशा लोगों को सस्ते प्लाट ओर घर बनाने के नाम पर ठगा जाता रहा है। लेकिन बीते दिनों शिवपुरी आईं मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने इस तरफ ध्यान दिया और जिले के आला अधिकारियों को इस पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जिसके बाद अब हमारी खबर का असर होता नजर आने लगा है। बता दें कि चंद फुटपाथी अवैध कोलोनी काटने के काम मे रातोरात करोड़ पति बन बैठे हैं। अब इन पर गाज गिराने की तैयारी हो रही है। हम अगली खबर में इनके नाम बेनकाब करने जा रहे हैं। फिलहाल जिन जगहों पर अवैध कोलोनी, प्लाट काटे गए उन पर एक नजर करते हैं। नगर में पुराने बायपास स्थित विवाह घरों के पास रेकिट सक्रिय है। फ़ेसबक पर प्लाट बुक किये जा रहे हैं। इसी तरह नाले को कब्जाने वाले एक वैश्य कॉलोनाइजर जिसके मकान तत्कालीन एसडीएम अतेंद्र गुर्जर तोड़कर गए थे उसने नाले से सटी जमीन पर कॉलोनी तान दी है। कथामिल के सामने भी दनादन अवैध कोलोनी कट रही हैं। पिपरसमा रोड, हवाई पट्टी के पीछे नेशनल पार्क होते हुए भी नॉन कोल्हू क्षेत्र, स्टेडियम रोड आंगनबाड़ी केंद्र के सामने, लुधावली क्षेत्र, नए वायपास के समीप खेतों में तो जनपद को नगरीय सीमा बताकर प्लाटिंग की जा रही है। इसके अलावा कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर अवैध कॉलोनियां काटी जा रहीं हैं। जहां पर सभी नियमों को ताक पर रखकर बेख़ौफ़ शहर में अवैध रूप से कॉलोनी काटने का खेल भू माफियाओं द्वारा खेला जा रहा है। जिनमें किसी भी तरह के कोई नियम का पालन न करते हुए शासकीय राजस्व को करोड़ों का चूना माफिया द्वारा लगाया जा रहा है। 
शिवपुरी में अवैध कॉलोनियों का फैला जाल, एडीएम ने जारी किया पत्र, कार्रवाई के दिए निर्देश,
 तकनीकी शिक्षा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने पिछले दौरे पर प्रशासनिक अमले को निर्देश दिए थे कि वह शहर सहित जिले भर में निर्माण की जा रही अवैध कालोनियों को काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें। दिए गए निर्देशों के बाद अपर कलेक्टर आरएस बालोदिया ने एक आदेश जारी किया है जिसमें 7 दिन के भीतर अवैध कॉलोनियों का निर्माण करने वाले कॉलोनाइजरों की सूची मांगी गई है। मगर इमानदारी से रिपोर्ट मिलेगी इस पर संदेह है क्योंकि शहर की अवैध कॉलोनियों में संबंधित हल्का पटवारियों की पार्टनरशिप किसी से छुपी नहीं है, जिसके चलते भू माफिया और अवैध कॉलोनी काटने वालों के हौसले बुलंद हैं। हालांकि मंत्री सिंधिया जो ठान लेती हैं वो कर के रहती हैं तो उम्मीद है कि प्रशासन इन करोड़ीमल पर गाज गिरायेगा। क्योंकि इसके पहले तक नोटिस जारी कर पैकेज कुछ अधिकारियों की जेब मे जाता रहा है! जिससे मामले को सुल्टा दिया जाता था। हालांकि कलक्टर अक्षय कुमार सिंह के तीखे तेवर अभी तक देखने को मिले हैं तो उम्मीद है कि कॉलोनाइजर बेनकाव होंगे। 
 खेती की जमीन पर तान रहे बिल्डिंग
भू माफियाओं के हौसले किस कदर बुलंद हैं कि वे खेती की भूमि को भी नहीं छोड़ते। यहां अवैध कालोनियां काटी जा रही है। मध्यम वर्गीय लोगों को  सभी नियमों का पालनकर कॉलोनी काटने की बात कही जाती है। नियमानुसार सुविधाएं भी उपलब्ध कराने का हवाला देते हैं लेकिन भूमाफिया लोगों को ठगने से बाज नहीं आ रहा। 
ना रेरा में पंजीयन, ना वादों पर अमल, ठगे जा रहे लोग
 रियल स्टेट यानी सपनों का घर, हमारा भी एक आशियाना हो। बंगला हो, गाड़ी हो, सुरक्षा में तैनात गार्ड हो, 24 घण्टे पानी, बिजली, सीसी सड़कों का जाल बिछा हो, अस्पताल से लेकर खेल का मैदान भी हो। ये सपने आखिर कौंन सा इंसान नहीं देखता। हर इंसान चाहे वह गरीब ही क्यों न हो, उसकी ये अभिलाषा तो होती ही है, की उसका अपना खुद का आशियाना बने लेकिन शहर में मध्यम या सरकारी कर्मचारियों के सपनों को रियल स्टेट कारोबारी धोखा दे रहे है। लोगों को सर्वसुविधायुक्त मनभावन सपनों का घर, विकसित कॉलोनी में बनाकर देने का जो सपना दिखाया जा रहा है, उन सपनों के बदले लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। रेरा से लेकर टीपीसी की विधिवत अनुमति और दीगर कानूनी प्रावधानों को पूरा किये बिना भूमि कारोबारी अवैध ढंग से खेतों में कॉलोनी काटकर लोगों को भूखंड बेच रहे हैं। जिनमें सुविधाओं का टोटा पड़ा हुआ है। 
खेतों में काट डाली कॉलोनियां, अब विकास अटका
नगर में कारोबारियों ने नियम विरुद्ध ढंग से कॉलोनियां काट डाली हैं। कुछ नामचीन लोगों ने तो आवासीय भूमि नहीं बल्कि पट्टे की भूमि पर कॉलोनी काट डाली हैं। कुछ कॉलोनाइजर  की बात छोड़ दें तो अधिकांश कारोबारी प्रक्रिया को ताक पर रखकर कारोबार कर रहे हैं। नतीजे में जहां लोगों ने भूखंड क्रय किये वहाँ सालों के बाद भी मैदान में घास खड़ी दिखाई दे रही है। सीसी या डामर की सड़क, पथ प्रकाश, घरो के नल, बिजली कनेक्शन, द्वार पर सुरक्षा कर्मी, सीवर टैंक जैसी अहम जरूरतों को पूरा नहीं किया जा रहा। ऐसा नहीं है, की सभी कॉलोनी नियमों को पूरा न करते हुए काटी गईं, बल्कि जिन्होंने कायदे से कॉलोनी काटी उनके यहाँ भी काम अटका हुआ है। वादे पूरे नहीं हुए हैं, जिससे लोग परेशानी भुगतने को मजबूर हैं। 
आकर्षण में फस रहे लोग
लोगों को रियल स्टेट कारोबारी अपने मकड़ जाल में फंसाने के लिए ऊंचे सपने दिखा रहे हैं। 1 लाख में लीजिये प्लाट, कल बनिये लाखों के मालिक। मेडिकल कॉलेज के पास, फोरलेन के पास, पुराने वायपास के पास आदि जगहों के आसपास सपने बेचकर खेतो में कॉलोनियों काटी जा रही हैं। कारोबारी इन जगहों पर सुविधाओं का ऐसा बखान करते हैं, जैसे सारे सपने पूरे करके  देंगे। लेकिन हकीकत में रियल स्टेट कारोबार में ठगी का खेल लंबे समय से खेला जा रहा है। जिला प्रशासन आंख बंद किये बैठा है। कारोबारियों पर वैध दस्तावेज, पंजीयन जैसी औपचारिकताएँ पूरी नहीं हैं। खेत से लेकर सरकारी भूमि तक को नहीं छोड़ा जा रहा। 
कुछ तो हद ही कर रहे कारोबारी
रियल स्टेट में कुछ कारोबारी तो नियम, कायदों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। उनके द्वारा जनता को लुभाने के लिये जो प्रचार प्रसार या विज्ञापन दिये जाते हैं, उनमें आकर्षण की तो लंबी फेहरिस्त होती है, लेकिन कॉलोनी किसके द्वारा काटी जा रही, किससे संपर्क किया जाये, ये नाम पता तक उल्लेखित नहीं होता। आप खुद समझ सकते हैं, की किस तरह आपकी मेहनत की कमाई को आकर्षक प्लाट या घर दिलाने के नाम पर ठिकाने लगा रहे ये कारोबारी खुद रातोरात कौंन बनेगा करोड़पति का खेल खेल रहे हैं। जबकि रेरा में जो नियम तय किये गए हैं, उसके अनुसार रजिस्ट्रेशन से पहले किसी तरह का लॉन्च या विज्ञापन नहीं किया जा सकता। प्रोजेक्ट प्लान, लेआउट, सरकारी मंजूरी और लैंड टाइटल स्टेटस और उप-ठेकेदारों की जानकारी साझा करना जरूरी है। साथ ही  प्रोजेक्ट तय मापदंडों के अनुसार पूरा कर ग्राहकों को देना होगा। अंदाजा लगाया जा सकता है, कि बिना नाम, मोबाइल नम्बर के आकर्षक दामों पर प्लाट विक्रय का नारा बुलंद करने वाले कारोबारी लोगों को किस तरह लगातार ठग रहे हैं। इन कारोबारियों की जांच जिला प्रशासन को करनी होगी। जो पूरी तरह नियमों को धता बताकर काम करने में जुटे हैं। 
जिला प्रशासन की टेड़ी नजर की दरकार
रियल स्टेट कारोबार में लोगो के साथ ठगी को रोकने के लिये जिला प्रशासन को आगे आना होगा। नियमों के स्प्ष्ट उल्लेख और भूमि की परमिशन होने या न होने की पड़ताल करनी होगी। तभी लोगों के साथ ठगी को रोका जा सकता है।
हम हैं आपकी आवाज
 हम लगातार रियल स्टेट की कमियों को आगे लाने की कोशिश करते रहेंगे। आप भी अगर कहीं ठगी का शिकार हुए हैं, या किये गए वादों या दावों पर प्लाट या भूमि लेने के बाद अमल नहीं किया गया है, तो 98262 11550 पर जानकारी वाट्सएप कीजिये या फिर 500vip@gmail. com पर भी जानकारी दे सकते हैं। जिसकी खबर mamakachanak.com पर ऑनलाइन पढ़ी जा सकेगी। अच्छी और सच्ची खबरों के लिये करते रहिये हमारी लिंक क्लिक।
रेरा के दायरे में लेने की दरकार 
बता दें कि रेरा रियल एस्टेट सेक्टर की तरक्की के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें सेक्टर को प्रत्येक स्तर पर पारदर्शी करने की ताकत है। आजकल नए-नए बिल्डर बाजार में  उतर रहे हैं। ऐसे में सावधानी जरूरी है। क्योंकि घर खरीदने का मतलब जीवन भर की कमाई को इसमें लगा देना है। इस वजह से ग्राहक कीमत पर नजर रखते हैं, और बिल्डर के ब्रांड पर दांव लगाते हैं। इसके बाद वे प्रोडक्ट क्वालिटी, लोकेशन और प्रोजेक्ट के क़ानूनी पहलू के बारे में विचार करते हैं। अधिकतर मामलों में ग्राहक बिल्डर के जाल में फंस जाते हैं। बिल्डर को एक प्रोजेक्ट में घर बेचकर मुनाफा कमाना होता है, उसका ब्रांड और वैल्यू चेन से कोई लेना देना नहीं होता। इस वजह से इसमें पारदर्शिता, जिम्मेदारी, अच्छे बिजनेस प्रैक्टिस का अभाव होता है। वे घटिया मटेरियल लगाकर, विवादित टाइटल पर कंस्ट्रक्शन, बिना परमिशन के कंस्ट्रक्शन और कानून की परवाह किये बिना  लचर तरीके अपनाते हैं।
रेरा के आने के बाद इस तरह की कमियां दूर होने की उम्मीद जागी है। सरकार की मानें तो ग्राहक अब निश्चिंत होकर निवेश कर पाएंगे। छोटे बिल्डर अब उनके साथ धोखा नहीं कर पाएंगे और बड़े बिल्डर भी ग्राहकों के प्रति जवाबदेह बनेंगे।
इसमें ब्रोकर भी कवर्ड हैं। ग्राहकों को विवादित या गलत संपत्ति बेचने वाले ब्रोकर पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा। डील पूरी होने के बाद अगर कोई ऐसी स्थिति आई तो ब्रोकर कानून के दायरे में होगा। उसे सजा का भी प्रावधान है। रेगुलेटर नियम के दायरे में ब्रोकर और एजेंट गड़बड़ी नहीं कर सकते। बशर्ते रेरा के तहत इन सबका रजिस्ट्रेशन होना चाहिये। वे ग्राहकों को होने वाली परेशानी के लिए जिम्मेदार होंगे। 
क्या है, कानून
रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डवलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। इसका मकसद घर ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और रियल इस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ाना है। राज्य सभा ने रेरा को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को पास कर दिया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए।
अनिवार्य है, पंजीयन
केंद्रीय कानून के मुताबिक सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स (जहां विकसित होने वाला कुल क्षेत्रफल 500 स्क्वेयर मीटर से ज्यादा है, या किसी भी चरण में 8 से ज्यादा अपार्टमेंट बनने अनिवार्य हैं) उसका अपने राज्य व जिले, तहसील के रेरा में पंजीयन होना अनिवार्य है। जिन मौजूदा प्रोजेक्ट्स को कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) या आक्युपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) जारी नहीं हुआ है, उन्हें भी इस कानून के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन कराते वक्त प्रोमोटर्स को प्रोजेक्ट की जानकारी जैसे-जमीन की स्थिति, प्रोमोटर की जानकारी, अप्रूवल, पूरे होने का समय इत्यादि बतानी होगी। जब रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और सभी मंजूरियां मिल जाएंगी, तब प्रोजेक्ट की मार्केटिंग की जा सकती है।

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