मनोज जैन द्वारा थाने में गाली गलोंच करने के बाद उसी का साथ देने आए भाजपाई
मुरैना। (अजय दण्डौतिया की रिपोर्ट) विगत दिवस कोतवाली पुलिस द्वारा नोटबंदी के दौरान करोडों रूपये की हेराफेरी करने के आरोपी एक्सैस बैंक के मैनेजर आशीष जैन को विगत दिवस ग्वालियर से गिरफ्तार कर लिया गया। आशीष जैन पिछले लम्बे समय से उक्त मामले में आरोपी था जिस पर जांच चल रही थी। उसी के चलते उसकी गिरफ्तारी हुई। जब उसे कोतवाली थाने लाया गया उसी के कुछ देर बाद वहां पर मनोज जैन आ गए और 420 के आरोपी बैंक मैनेजर अशीष जैन को छोडने की बात कहने लगे। इस पर कोतवाली पुलिस द्वारा बैंक मैनेजर को छोडने से साफ इंकार कर दिया था। पुलिस द्वारा इनकार किये जाने के बाद मनोज जैन ने कहा कि तुमको मेरी बात माननी पडेगी मैं आशीष की अग्रिम जमानत करा लूंगा। पुलिस द्वारा मुझसे कथित तौर पर पहलू भी पैसे लिये जा चुके हैं। इतने में कोतवाली में टीआई आरती चराटे पहुंची तो मनोज जैन द्वारा उनसे पहलू आरोपी को छोडने की बात कही जब टीआई ने बैंक मैनेजर को छोडने से इनकार कर दिया और कहा कि कानून हम ऐसा नहीं कर सकते जो नियम के तहत होगा वहीं रास्ता हमको अपनाना होगा। इस पर मनोज जैन भडक गए और टीआई से भी तू तडाक करके बातें करने लगे जब इसका विरोध पास में खडे पुलिसकर्मी द्वारा किया गया तो मनोज जैन द्वारा कथित तौर पर उससे हाथापाई कर गाली गलोंच करने लगे जिसके विरोध में अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड लिया। अपने रसूक को फीडा पडता देख मनोज जैन वहां से भडकते हुए निकल दिये और फिर अस्पताल में जाकर अपने आपको चोटिल दिखाया और अपने सपोर्ट में भाजपाईयों को साथ में ले लिया। इसके बाद उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव कर पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की मांग की। पुलिस अधीक्षक द्वारा भाजपा जिलाध्यक्ष को मामले की जांच करने के उपरांत कार्यवाही करने का आश्वासन दे दिया।
आरोपी से मिलने क्यों पहुंचे मनोज जैन...?
यहां पर यह सवाल उठता है कि नोटबंदी के दौरान धोखाधडी करने वाले आरोपी बैंक मैनेजर आशीष जैन से मिलने मनोज जैन आखिर गए ही क्यों..? दूसरी सवाल यह उठता है कि उक्त आरोपी को छुडाने व जमानत दिलवाने की बात वह क्यों कर रहे थे ...? अगर बैंक मैनेजर उनका रिश्तेदार था तो नियम के तहत मनोज जैन ने जमानत की कार्यवाही क्यों नहीं की...? अगर वह पुलिस द्वारा रिश्वत लिये जाने की बात कह रहे थे तो फिर उक्त पुलिसकर्मी के खिलाफ शिकायत क्यों नहीं की...? क्या गाली गलोंच करना और एक सीनियर अधिकारी से तू तडाक बात करना यह सही रास्ता था...? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जबाव शायद भाजपा जिलाध्यक्ष के पास भी नहीं होगा।
एक महीने पहले मनोज जैन के भाई को किया था गिरफ्तार
सूत्रों द्वारा कथित तौर पर बताया गया कि विगत दिवस हुए कोतवाली में मनोज जैन द्वारा किए गए हंगामे की एक मुख्य वजह यह रही कि उनके भाई को पुलिस द्वारा जुआ खेलते हुए गिरफ्तार किया गया था और उनसे पास से जुए की जीती हुई रकम 3.5 लाख रूपये भी जप्त की गई थी। चूंकि इस मामले में मनोज जैन का भाई रंगे हाथों पकडा गया था तो वह कुछ भी नहीं कर सके। पुलिस जैसे ही उन्हें पुलिस पर आरोप लगाने का मौका मिला तो उन्होंने उक्त मौके को हाथ न जाने के लिये पूरा प्रपंच रचा और 420 के आरोपी बैंक मैनेजर की वकालात करने थाने पहुंच गए। अपुष्ट सूत्रों द्वारा यह भी बताया गया है कि मनोज जैन का भाई कथित तौर पर आईपीएल के सट््टे का भी एक बडा खिलाडी है और लाखों रूपये का सट््ट लगवाता है जिस पर जल्द ही पुलिस बडी कार्यवाही करेगी।
क्या घाटाले में था मनोज जैन का हाथ.....?
नोटबंदी के दौरान करोडों रूपये के हेराफेरी करने वाले बैंक मैनेजर की पैरवी करने थाने पहुंचे मनोज जैन पर यह सवाल उठता है कि क्या उस समय हुए इस घोटले में इनका भी हाथ था। क्योंकि नोटबंदी करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक ही उद््देश्य था कि कालेधन और अवैध रूपये से कमाए धन को उजागर करना। अगर मनोज जैन उक्त बैंक मैनेजर की वकालात करने वहां पहुंचे तो इससे साफ सिद्ध होता है कि इनकी काली कमाई को नम्बर एक में बदलने के लिये सहयोग 420 के आरोपी बैंक मैनेजर का ही रहा होगा।
अभद्र भाषा का उपयोग करना बिल्कुल गलत : आशा सिंह
समाज सेवी व महिलाओं के विरूद्ध होते अपराधों के खिलाफ समय-समय पर आवाज उठाने वाली आशा सिंह सिकरवार ने उक्त मामले में कहा कि अगर मनोज जैन द्वारा कोतवाली टीआई आरती चराटे से अभद्र तरीके से बातचीत की गई है तो निश्चित ही यह गलत बात है। जहां तक मनोज जैन की बात है तो अगर उन्होंने पुलिसकर्मी द्वारा पैसे मांगे जाने की बात कही तो उन्हें नियमानुसार उसकी शिकायत करनी चाहिए थी। लेकिन एक महिला अधिकारी से अभद्र भाषा का उपयोग बातचीत के दौरान करना बिल्कुल भी सही नहीं है।
थाने में पुलिसकर्मियों से की गाली गलोंच : टीइआई
मनोज जैन द्वारा विगत दिवस किए गए हंगामे को लेकर जब टीआई कोतवाली आरती चराटे से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि 420 के आरोपी बैंक मैनेजर आशीष जैन को छुडवाने के लिये मनोज जैन पुलिसकर्मियों पर दबाव बना रहे थे। जब मैं थाने पहुंची तो मैंने मनोज जैन से कहा कि जो नियम के तहत होगा वहीं हम करेंगे इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है। इतना कहने पर मनोज जैन भडक गए और वह कहने लगे कि आपके दारोगा से मेरी 50 हजार में बात फाइनल हो गई है। जब टीआई पैसों के लेनदेन को लेकर मना कर दिया तो वह और भी भडक गए और मुझसे अभद्र भाषा में बातचीत करने लगे और कथित तौर पर कहने लगे कि मैं तुम्हारे खिलाफ कार्यवाही करवाऊंगा।
क्या व्यापारियों को एकत्रित कर मनोज जैन बनाऐंगे पुलिस पर दबाव
हमारे अपुष्ट सूत्रों द्वारा यह बताया गया है कि मनोज जैन द्वारा टीआई कोतवाली को हटवाने के लिये व्यापारियों व अन्य राजनैतिक दलों को एकत्रित कर पुलिस पर दबाव बनाने की योजना बना रहे हैं। लेकिन यहां पर यह सवाल उठता है कि क्यों एक पुलिसकर्मियों और खुद पुलिस के एक सीनियर ऑफिसर से अभद्र बातचीत करना और फिर एक 420 के आरोपी को छुडाने की बात कहना ये कहां तक सही है। पुलिस द्वारा भी कथित तौर पर मनोज जैन के साथ हाथापाई की गई जिसकी चोटें उन्होंने जिला चिकित्सालय में दिखाई लेकिन क्या उनके थाने पहुंचने का उद््देश्य सही था ? अगर अन्य राजनैतिक दल व व्यापारी संगठन मनोज जैन का साथ देंगे तो इससे साफ सिद्ध हो जायेगा कि अगर किसी आरोपी को बचाना हो तो पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर उसे आसानी से बचाया जा सकता है।

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